ब्रज चौरासी कोस में 801वीं रामकथा में बापू ने कहा कि कलयुग समान कोई युग नहीं है। भारत में जन्म लेना पुण्य है। आंसू और आश्रय भक्ति की बहुत बड़ी संपदा है। ‘मैं हूं एक फूल मुझे शाख से ना तोड़ा जाए, मैं जैसा भी हूं मेरे हाल पे छोड़ा जाए..’ शेर सुनाते हुए संदेश दिया कि किसी भक्त की आलोचना न करें। भक्त भगवान की याद में आंसू बहाए या नाचे तो उसकी मजाक ना बनाएं, यह भक्त अपराध है। उन्होंने कहा कि गोकुल तपस्या, भजन, भाव और साक्षात्कार की भूमि है। यहां प्रभु ने कई लीलाएं की है। यहां आनंद आता है। बापू ने ठाकुर के प्रति प्रेम प्रकट करते हुए ‘ठाकुर हमरे रमण बिहारी, हम हैं रमण बिहारी के..’ भजन सुनाया। -सुमित सारस्वत, मो.9462737273
नारी को उद्धार का अधिकार
बापू ने अहिल्या प्रसंग सुनाते हुए नारी सशक्तिकरण का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि नारी को भी उद्धार का अधिकार है। भगवान राम ने अहिल्या का उद्धार किया। आज समाज में उच्चारक, विचारक, सुधारक तो है मगर स्वीकारक नहीं। भगवान राम स्वीकारक है इसलिए गांव-गांव में उनकी पूजा होती है। राम ने शबरी, अहिल्या जैसी कई नारियों का उद्धार किया। गुरु विश्वामित्र से संवाद करते हुए राम ने कहा, एक भक्त ने मुझे पत्थर से प्रकट किया था नृसिंह रूप में, आज मेरा कर्त्तव्य है कि मैं पत्थर से भक्त को प्रकट करूं अहिल्या रूप में। अवध में कौशल्या ने राम को प्रकट किया और वन में राम ने अहिल्या को प्रकट किया। महर्षि गौतम की पत्नी अहिल्या विश्व की सुंदर रचना थी। इंद्र ने उनका शीलहरण किया तो गौतम उन्हें छोड़कर चले गए। गुरु विश्वामित्र ने अहिल्या को बेटी की तरह सम्मान व स्नेह देते हुए गौतम से मिलवाया। बापू ने समाज में हो रहे महिला शोषण पर चिंता जताते हुए कहा कि आज भी समाज के इंद्र महिलाओं का शोषण कर छोड़ देते हैं। आजीविका का इंतजाम भी नहीं करते। यह दर्द बयां करते हुए उन्होंने ‘बनके पत्थर हम पड़े थे सूनी-सूनी राह में..’ गीत सुनाया।
आज नहीं तो कल होगा
बापू ने कहा कि राम नाम चेतन है। पदार्थ व जड़ को पाने के लिए पुरूषार्थ करना पड़ता है और चेतन को पाने के लिए पुकार करनी होती है। परमात्मा को पाना है तो प्रतिदिन नाम सुमिरन करें। कभी अहंकार न करें। कोई प्रशंसा करे तो मान शून्यता रखें। जीवन में निराशा न आने दें। सदैव आशावादी बने रहें। आज नहीं तो कल परमात्मा अवश्य मिलेंगे।
महामंत्र है राम नाम
दशरथ पुत्रों का नामकरण संस्कार प्रसंग सुनाते हुए कहा कि राम नाम महामंत्र है। जिसके नाम से विश्राम मिले वो राम है। भरत दूसरों के पोषण का संदेश देता है। किसी का शोषण न करें। शत्रुघ्न कहता है किसी से शत्रुता न रखें। दुश्मनी खत्म हो। लक्ष्मण का अर्थ आधार है। जीव का आधार बनें। कमाई का दसवां हिस्सा दान करें। माता-पिता व गुरुजन का अभिवादन करें। इससे आयु, विद्या, बल व कीर्ति बढ़ेगी।
मथुरा में होगा छप्पन भोग मनोरथ
मानस परिक्रमा कथा शनिवार को मथुरा में होगी। यहां छप्पन भोग मनोरथ होगा। कथा विराम से पूर्व गोवर्धननाथजी को छप्पन भोग लगाया जाएगा। रविवार को यह भोग सभी भक्तों को प्रसाद रूप में वितरित किया जाएगा।
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