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August 4, 2019

बेनीवाल ने मोदी से कहा, समय आ गया पाक अधिकृत कश्मीर तुरंत कब्जे में लो

राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष व सांसद हनुमान बेनीवाल ने कश्मीर को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी से कहा कि पाक अधिकृत कब्जे को तुरंत कब्जे में लेने का समय आ गया है।



जयपुर में वैपन भारत की ओर से आयोजित सोशियल मीडिया काॅन्फ्लुएंस में बेनीवाल बोले कि बीते दो दिन से देश में राष्ट्र विरोधी ताकतें घबरा रही है। खौफ से लोग इधर-उधर भाग रहे हैं। पीएम मोदीजी को धन्यवाद देता हूं कि बिना कुछ किए सबको सबक सिखा दिया। उन्होंने कहा कि तीन तलाक बिल का पूरी दुनिया में अच्छा संदेश गया है। अब समय आ गया है, मोदीजी को पाक अधिकृत कश्मीर तुरंत कब्जे में लेना चाहिए। देश के करोड़ों लोग उनके साथ हैं। सोशियल मीडिया इसका प्रमाण हैं।


हिम्मतवाले हैं मोदी-शाह
बेनीवाल बोले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह हिम्मतवाले हैं। उम्मीद है जम्मू-कश्मीर का मामला जल्दी निपटेगा। पाक अधिकृत कश्मीर भारत का होगा। कार्यक्रम में डॉ. प्रणय कुमार, डॉ. सौम्या गुर्जर, डॉ. शीला रॉय, संगीता प्रणवेंद्र ने भी विचार रखे।


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February 18, 2019

Pakistan can not spoil us anything : Sukhwinder Singh

Bollywood singer and artist Sukhwinder Singh become aggressive after the Pulwama terror attack. He says, Pakistan can not spoil us anything. We will love India the whole life and we will kill the enemies. we will never stop dancing, we will never stop celebrating because we are the great indian. He says, Pakistan you cant stop us to celebrates our life.

Sukhwinder had come to participate in a live concert during the annual festival of Hanuman temple. He appealed for the help of martyr families.Story by Sumit Saraswat



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November 11, 2018

पहली बार बहू ने सास की अर्थी को दिया कंधा | Emotional Story of Relationship

  • पोतियों ने दादी की चिता को दी मुखाग्नि
  • समाज में कायम की नई मिसाल

पुरातन काल से चली आ रही सामाजिक रूढ़ियों और मिथक को तोड़ते हुए अपनी सास की आखिरी ख्वाहिश को पूरा करने के लिए राजस्थान के ब्यावर की एक बहू ने सास की अर्थी को कंधा देकर समाज के लिए नई मिसाल पेश की। मुक्तिधाम में दो पोतियों ने दादी की चिता को मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार की रस्में निभाई। संभवत: यह देश का पहला उदाहरण है जब मुक्तिधाम में महिलाओं ने महिला का पूर्ण अंतिम संस्कार किया है।


जानकारी के मुताबिक ब्यावर में रहने वाली राजपूत समाज की 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला नीलम भाटी का शनिवार देर रात निधन हो गया। परिवार में कोई पुरुष नहीं होने पर बहू यल्पना ने सास की अर्थी को कंधा दिया। मां को देखकर प्रांजल व प्रियांशी ने भी अपनी दादी के अंतिम संस्कार की रस्में निभाई। पोतियों ने दादी की अर्थी को कंधा और मुक्तिधाम में चिता को मुखाग्नि भी दी। सास को कंधा देने वाली बहू यल्पना भाटी का कहना है कि मेरी सास ने मुझे बेटी की तरह रखा। मैंने अपनी मां समान सास की अंतिम इच्छा का सम्मान किया है।


दरअसल विवाह के कुछ समय बाद ही नीलम के पति भैरूसिंह भाटी का निधन हो गया था। इकलौते पुत्र गजेंद्र सिंह भी 15 साल पहले चल बसे। ऐसे में सास-बहू अपनी दो बेटी-पोतियों के साथ रहती थी। मां-बेटियों के इस कदम ने समाज में सास-बहू के रिश्ते की नई मिसाल कायम की है। -सुमित सारस्वत, सामाजिक चिंतक, मो.09462737273

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June 26, 2018

अशोक गहलोत ने भाजपा व आरएसएस पर साधा निशाना, बोले- खुलकर मैदान में आए संघ

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरएसएस पर निशाना साधा है। गहलोत ने मीडिया से बातचीत में संघ पर शब्द बाण चलाते हुए कहा कि सांस्कृतिक व सामाजिक स्वयंसेवी संगठन कहलाने वाला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अब पर्दे के पीछे राजनीति कर रहा है। देश में किसको पीएम-सीएम बनाना है अब संघ तय करता है। आरएसएस सेवा के मार्ग से भटक गई है। इनको चाहिए कि भाजपा को संघ में मर्ज कर लें और खुलकर राजनीति करें। लड़ाई विचारधारा और सिद्धांतों की ही रहेगी। आरएसएस को सौ साल पूरे होने आए हैं। सौ साल के इतिहास में उन्होंने हमेशा कहा कि हम सांस्कृतिक संगठन के लोग हैं। राजनीति से हमारा कोई सरोकार नहीं है। हम सिर्फ देशभक्ति की बात करते हैं। देशप्रेम फैलाने की बात करते हैं। अब मोदी सरकार बनने के बाद संघ का राजनीति में हस्तक्षेप बढ़ गया है।


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February 18, 2018

दिल का दर्द : भगवान तू जालिम क्यों बन गया! | Human Story

✍ Sumit Saraswat 'SP'
हेमंत और रितु ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनकी शादी ऐसे गमगीन माहौल में होगी। उन्होंने क्या, किसी ने भी नहीं सोचा होगा कि कोई शादी ऐसी दर्दनाक भी होगी। जहां खुशियों की शहनाई बजनी थी वहां मातमी सन्नाटा पसरा था। जीवनसाथी के साथ जन्मों का रिश्ता जोड़ने के लिए अग्नि के सात फेरे लेते वक्त उत्साह की बजाय उदास हेमंत के पैर लड़खड़ा रहे थे। मांग भरते वक्त हाथ कांप रहे थे। मुस्कुराने की बजाय रितु रो रही थी। यह पता लगने पर आज मैं रो रहा हूं। जब से इनके विवाह की तस्वीरें देखी और जानकारी हुई तब से हृदय विचलित है। रोंगटे खड़े हो गए। दिल भर आया। नम आंखों से उस भगवान को कोसने के लिए यह लिख रहा हूं जिसकी जिम्मेदारी थी इस विवाह को आनंदमय बनाने की। यह शिकायत सिर्फ और सिर्फ उस दिव्यात्मा के लिए है जिसे हम परमात्मा कहते हैं। जिससे उम्मीद करते हैं कि हमारे संकट में वो काम आएगा।


अरे निर्दयी, हमने सोचा नहीं था कि तू खुशियों के बीच ऐसा दर्द देगा। इतना नाराज क्यों हो गया, अगर वो परिवार गजानंद को मनाना भूल गया। क्या हो गया अगर हलवाई ने चूल्हा जलाने से पहले अग्नि को भोग नहीं लगाया। क्या फर्क पड़ गया तूझे अगर मायरा रस्म से पहले तेरे लिए कपड़े नहीं निकाले। 
जालिम न जाने कौनसी बात तुझे अखर गई कि तूने रक्षाबंधन पर सुख और सुरक्षा के वादे करने वाले भाई-बहनों को भी नहीं बख्शा। दोनों भाई अपने भांजे की शादी में बहन को चुनरी ओढ़ाने आए थे। उन्होंने सपने में भी कल्पना नहीं की होगी कि मायरे में जो चुनरी वो बहन को ओढ़ा रहे हैं वो कफन बन जाएगी। बहन की मौत के बाद भाई पीहर की चुनर ओढ़ाते हैं तूने तो जीते जी आखिरी चुनरी ओढ़वा दी। बेशर्म थोड़ी तो शर्म करता।
कहर बरपाने से पहले एक पल सोच तो लेता कि क्या बीतेगी इस परिवार पर। शेरवानी पहनकर शादी करने वाले दूल्हे ने आंखों में आंसू लेकर सामान्य शर्ट और जींस में नंगे पैर शादी की। घोड़ी पर सवार होकर शादी के लिए आने वाले शहजादे को देखने का सपना संजोए दुल्हन की दिली ख्वाहिश धमाके में धूमिल हो गई। यह नवविवाहित जोड़ा अपनी शादी में हुआ मौत का मंजर कभी भुला नहीं पाएगा। जो मां निकासी के वक्त घोड़े पर बैठे बेटे की बलाइयां लेती उसी मां की अर्थी को बेटा कंधों पर लेकर श्मशान जाएगा। जब भी इस जोड़े की वैवाहिक वर्षगांठ होगी तब यह खुशियां नहीं मनाएगा बल्कि इस हादसे को याद करते हुए कांपेगा।
ध्यान है हमें कि कलयुग चल रहा है और तेरी ऐसी हरकतों से ही तो लोगों को कलयुग का एहसास होगा। बड़ा शातिर है रे तू। हलवाई को मौत का माध्यम बनाकर बदनाम कर दिया। उन नेताओं को नजरअंदाज कर दिया जिन्होंने आबादी क्षेत्र में ऐसी व्यावसायिक गतिविधियों को अनदेखा किया। समाज सेवा के नाम पर चांदी कूटने वालों को चर्चा में ही नहीं आने दिया। उन अधिकारियों को भी चतुराई से बचा लिया जिनकी जिम्मेदारी है इन घटनाओं को रोकना। और तो और घटना के बाद अगर मलबे में दबा कोई जीव जिंदा हो तो उसे बचा न सकें इसलिए संसाधन भी उपलब्ध नहीं होने दिए। खाली हाथ भेज दिया बचाने वालों को। क्या गजब खेल रचाया! तालियां बजानी चाहिए तेरे इस खेल पर। लेकिन नहीं बजा पा रहे। रो रहे हैं उन लाशों को देखकर जो एक के बाद एक मलबे से निकलती जा रही है। कल जब एक मजदूर हाथों में मासूम से बच्चे की लाश उठाकर लाया तब सभी देखने वाले भावुक हो गए। छोटे-छोटे हाथों से उसकी मासूमियत को महसूस कर लिया। हम लोग कहते हैं कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं, तू उनको तो बख्श देता पापी। सुन, अगर इस तरह की मौत देने के लिए धरती पर भेजा है ना, तो नहीं चाहिए ऐसी जिंदगी। अगर तेरे पास कमी पड़ गई थी और मौत देकर इंसानों को बुलाना था तो कोई और जरिया अपना लेता। शादी में आकर जो तांड़व किया, वो अच्छा नहीं।
पता है उस क्षेत्र में कई मकान क्षतिग्रस्त हो गए। उन घरों में रहने वाले परिवार इधर-उधर छुपे हैं। भोजन-पानी भी मुश्किल से नसीब हो रहा है। अंधेरे में रातें गुजारनी पड़ रही है। बुजुर्गों का तो दम भरने लगा है। कुछ तो सांसों को सुचारू रखने के लिए अस्पताल पहुंच गए हैं। कई लोग अपनों की आस लगाए तलाश में भटक रहे हैं। कितने और शव मलबे में दबे हैं किसी को खबर नहीं। शादी वाले घरों में मातम छाया हुआ है। जो खिलखिलाते चेहरे शादी के एलबम में आने थे उनकी तस्वीरें अब माला के साथ दीवारों पर टंग गई है। पूरा प्रदेश हिल गया तेरी इस हरकत से। ब्यावर, अजमेर, जोधपुर, पीपाड़ सिटी में तो हर शख्स की जुबां पर सिर्फ इसी घटना की चर्चा है। चुनावी साल में नेताओं को राजनीतिक मसाला भी मिल गया। वो मौत के मुआवजे पर चटकारे ले रहे हैं। मृतकों और घायलों के परिवार का क्या हाल है, किसी को मतलब नहीं। खैर, तूझे क्यों पता होगा। तू तो तमाशबीन बना ऊपर से देख रहा होगा उन लोगों की तरह जो मौके पर मातमी मंजर को मनोरंजन समझकर देखने उमड़े हैं। -सुमित सारस्वत, सामाजिक चिंतक, मो.09462737273

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January 16, 2018

कांग्रेस और अकाल भाई भाई, वसुंधरा मतलब सूखी धरती पर पानी : नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाड़मेर के पचपदरा की सभा में राजस्थान की राजनीति को लेकर कई सियासी संदेष दिए। उन्होंने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस और अकाल भाई भाई है। यहां वसुंधरा का मतलब सूखी धरती पर पानी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि राजस्थान से उनका गहरा नाता है, क्योंकि वे काफी समय से यहां आते-जाते रहे हैं। वे संगठन में थे तब भी यहां आते-जाते थे। वे जब-जब भी यहां आए यहां के लोगों से एक ही बात सुनने को मिली कि राजस्थान में कांग्रेस और अकाल जुड़वां भाई हैं। जहां कांग्रेस आती है अकाल साथ लाती है। जबकि वसुंधराजी को जब-जब भी राजस्थान की सेवा का मौका मिला, यहां की सूखी धरती को पानी मिलता रहा। राजनीतिक पंडित प्रधानमंत्री के इस कथन को राजस्थान की सियासत से जोड़ रहे हैं।

रिफाइनरी वसुंधराजी की मेहनत का परिणाम
प्रधानमंत्री ने समारोह के दौरान राजस्थान की जनता के हित में फैसले लेने के लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि राजे में सच्चे मारवाड़ियों के संस्कार हैं। इस कारण वे राजस्थान के फायदे के लिए केन्द्र सरकार से अधिक से अधिक पैसा प्राप्त करने का प्रयास करती हैं और उसमें सफल भी होती हैं। उन्हीं की मेहनत का परिणाम है कि आज कागज पर लटका रिफाइनरी का प्रोजेक्ट धरातल पर आया है और राजस्थान को बड़ा आर्थिक फायदा हुआ है। उन्होंने कहा कि वे केंद्र में भाजपा की सरकार होने पर भी राजस्थान के हित के लिए अपनी ही सरकार से लड़ती रहती हैं। यह केवल भाजपा के मुख्यमंत्री ही कर सकते हैं।

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January 14, 2018

राजनाथ सिंह ने कहा, मेवाड़ का इतिहास दुनिया के लिए प्रेरक | Rajnath singh in Rajsamand

महाराणा कुम्भा की 601 वीं जयंती पर रविवार को राजसमन्द जिले के मदारिया माल्यावास में महाराणा कुम्भा जन्मभूमि सेवा समिति की और से मेवाड़ महाकुम्भ आयोजित किया गया। इसमें केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह मुख्य अतिथि थे। अध्यक्षता राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचन्द कटारिया ने की। केंद्रीय गृहमंत्री ने मेवाड़ निर्माता प्रकाश स्तंभ महाराणा कुम्भा की तस्वीर के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित की और दीप प्रज्वलित कर मेवाड़ महाकुम्भ का शुभारंभ किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने महाराणा कुम्भा को साम्राज्य का ही नहीं बल्कि महान संस्कृति का संस्थापक बताया। मेवाड़ तथा राजस्थान की महिमा से परिचित कराते हुए कहा कि राजस्थान की धरती शौर्य-पराक्रम, बलिदान की गाथाओं से भरी रही है। राजस्थान की धरती राणा की शक्ति, मीरा की भक्ति, पन्ना की युक्ति, भामाशाह की संपत्ति और वीरांगनाओं की मुक्ति की भूमि है। मेवाड़ का इतिहास दुनिया के लिए प्रेरक है। इसमें आत्मसमर्पण नाम का कोई शब्द नहीं। या तो विजय है या फिर वीर गति। तीसरा कोई विकल्प है ही नहीं। मेवाड़ की गौरव गाथा को जिस रूप में दर्शाया गया है उसे देख यह महसूस होता है कि इतिहास के साथ इंसाफ नहीं हुआ।

केंद्रीय गृहमंत्री ने मेवाड़ के राजवंश की स्थापना, बप्पा रावल से लेकर अब तक की परंपराओं और खासियतों, ऐतिहासिक गाथाओं आदि का स्मरण किया और इनसे प्रेरणा पाकर समाज और देश की एकता, अखंडता और नवनिर्माण में भागीदारी का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि देश की सीमाएं सुरक्षित हैं, अब कोई आंख उठाकर नहीं देख सकता। दुनिया में भारत की छवि मजबूत और तेजी से विकसित तथा तीव्रतर आर्थिक विकास वाले देश की है। दुनिया के लोगों की धारणा बदल रही है।
समारोह में राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया, उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी, ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज मंत्री राजेंद्र राठौड़, राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्राधिकरण अध्यक्ष ओंकारसिंह लखावत, सांसद हरिओम सिंह राठौड, सीपी जोशी, राजस्थान मगरा विकास बोर्ड अध्यक्ष हरिसिंह रावत, देवगढ़ राजघराने के वीरभद्र सिंह, विधायक सुरेंद्र सिंह राठौड़, शिवपाल सिंह, केसाराम चौधरी, लोकेंद्रसिंह कालवी, संभागीय आयुक्त भवानीसिंह देथा, पुलिस महानिरीक्षक आनंद श्रीवास्तव, जिला कलक्टर पीसी बेरवाल, जिला पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार, अतिरिक्त जिला कलक्टर बृजमोहन बैरवा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोविंद सिंह राणावत, जिला प्रमुख प्रवेश कुमार सालवी, सभापति सुरेश पालीवाल, समाजसेवी भंवरलाल शर्मा, महेंद्र सिंह आकेली, चावण्ड सिंह सहित क्षेत्र के जनप्रतिनिधि और विशाल जन समुदाय उपस्थित था। -सुमित सारस्वत, मो.09462737273


स्मारक बनाने की घोषणा
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे गुलाबचंद कटारिया ने महाराणा कुम्भा जन्मभूमि सेवा समिति के प्रयास की भूरी-भूरी प्रशंसा की। साथ ही मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की ओर से घोषणा करते हुए कहा कि महाराणा कुम्भा की जन्मस्थली का भव्य विकास कर स्मारक बनाया जाएगा। इसके लिए उन्होंने राजस्थान धरोहर संरक्षण समिति अध्यक्ष ओंकारसिंह लखावत से योजना बनाने के लिए कहा। कटारिया ने मेवाड़ के शौर्य-पराक्रम, वीरता, स्वाभिमान, साहस तथा मेवाड़ महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आने वाली पीढ़ियों तक मेवाड़ के इतिहास को पहुंचाने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाएगा।

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January 9, 2018

राजस्थान की ऋतु ने जीता अदा मिसेज इंडिया 2017 का खिताब | Ritu Gautam Ada Mrs India 2017

राष्ट्रीय सौन्दर्य प्रतियोगिता में राजधानी जयपुर की ऋतु गौतम को अदा मिसेज इंडिया 2017 के सम्मान से नवाजा गया है। अदा वुमन फाउंडेशन की ओर से देहरादून में आयोजित हुए इस कॉम्पीटिशन के लिए देशभर से 17 फाइनलिस्ट को चुना गया था।
ऋतु ने बताया कि इस सौन्दर्य प्रतियोगिता में चयन के लिए कई स्थानों में आॅडिशन हुए। इनमें 17 को फाइनलिस्ट के लिए चुना गया, उनमें से एक मैं भी थी। मेरा मानना है कि शादी के बाद भी महिलाएं खुद को खूबसूरत और मेंटेन रख सकती हैं। शादी के बाद महिलाएं अपनी निजी पहचान भुला देती हैं। अगर जिंदगी में कुछ कर गुजरने का जज्बा और जुनून हो तो उसे सफलता के शिखर पर पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता। ऐसी प्रतियोगिताओं से हर हिन्दुस्तानी महिला का सम्मान बढ़ेगा। इस अवॉर्ड के अलावा मुझे तीन अन्य अवॉर्ड मिसेज टेलेंटिड, मिसेज आलराउंड और मिसेज ब्यूटीफुल बॉडी शामिल है। ऋतु का सपना है कि वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन करें।


प्रतियोगिता में चार राउंड आयोजित किए गए। पहला राउंड ट्रेडिशनल, दूसरा कैजुअल, तीसरा इंडो वेस्टर्न और चौथा काॅकटेल गाउन था। आखिर में सवाल जवाब राउंड के बाद टाॅप छह प्रतिभागियों का चयन किया गया। मिसेज इंडिया के टाॅप छह प्रतिभागियों में छठी पोजिशन पर ज्योति सिंह एवं शाइनी अग्रवाल के बीच टाई हुआ। वहीं पांचवे स्थान पर स्नेहा अग्रवाल, चौथे पर नेहा पंवार, तीसरे स्थान पर वैष्णवी क्षेत्री कोठियाल, दूसरे स्थान पर सौम्या रहीं। जबकि पहला स्थान पाकर ऋतु गौतम ने मिसेज इंडिया का ताज पहना। प्रतियोगिता के निर्णायक मिसेज यूनिवर्स 2017 शिल्पा अग्रवाल, क्रिकेटर मनप्रीत गोनी, जीटीवी एक्टर अनुराग मल्हान, गुजरात की फैशन डिजाइनर वैशाली शाह के साथ ही मिस्टर अर्थ के ब्रांड एम्बेसेडर अभिषेक कपूर थे।  -सुमित सारस्वत, मो.09462737273

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January 8, 2018

राजे ने कहा, पद्मिनी हमारा स्वाभिमान, नहीं होगा फिल्म का प्रदर्शन

महारानी पद्मिनी के जीवन पर आधारित फिल्म के प्रदर्शन को लेकर मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे ने कड़ा रूख अपनाया है। सीएम ने प्रदेश की जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए कहा है कि राज्य में पद्मावत फिल्म का प्रदर्शन नहीं किया जाएगा। प्रदेश के किसी भी सिनेमाघर में यह फिल्म नहीं दिखाई जाएगी।
श्रीमती राजे ने कहा है कि रानी पद्मिनी का बलिदान प्रदेश के मान-सम्मान और गौरव से जुड़ा हुआ है, इसलिए रानी पद्मिनी हमारे लिए सिर्फ इतिहास का एक अध्यायभर नहीं, बल्कि हमारा स्वाभिमान है। उनकी मर्यादा को हम किसी भी सूरत में ठेस नहीं पहुंचने देंगे। इस संबंध में उन्होंने गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया को निर्देश भी दिए।


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January 7, 2018

कवि सुरेंद्र दुबे का जाना हास्य जगत की हानि | Tribute to Surendra Dube

ब्यावर से निकलकर पूरे विश्व में ख्यातिप्राप्त हास्य की हस्ती कवि सुरेंद्र दुबे के निधन पर रविवार को श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। इसमें सामाजिक, राजनीतिक, साहित्यिक व काव्य जगत से जुड़े लोगों ने शब्द पुष्पांजलि अर्पित की।
भारती साहित्य कला संस्थान अध्यक्ष गणपत सिंह मुग्धेश, पत्रकार रामप्रसाद कुमावत, प्रमोद वाजपेयी, कांग्रेस नेता दिनेश शर्मा, रमेश आचार्य, कवयित्री वीणा शर्मा, युवा रचनाकार सुमित सारस्वत,  हास्य कवि हीरालाल जनागल, फोटो जर्नलिस्ट बबलू अग्रवाल, श्याम शर्मा, मुकेश पांडे, अशोक सेन, चेतन शर्मा, मदनमोहन शर्मा ने दुबे से जुड़े संस्मरण सुनाकर यादों को ताजा किया।
वक्ताओं ने कहा कि सुरेंद्र दुबे का दुनिया से जाना हास्य जगत की बहुत बड़ी हानि है। उनकी कविताएं सुनकर तनाव में राहत मिलती थी। वे अपनी कविताओं के माध्यम से परिस्तिथियों पर कटाक्ष करते थे। जीवन शैली की सरलता समझाते थे।
पारिवारिक सदस्य अंकुर उपाध्याय ने काव्य जगत की विशिष्ट प्रतिभा को दुबे की स्मृति में सम्मान दिए जाने की बात कही। सभा के अंत में दुबे द्वारा आखिरी बार गाया गया जीवन और मृत्यु की हकीकत को बयां करता गीत 'जा रहा हूं दूर इतना, मिल ना पाऊंगा बिछड़कर..' ऑडियो के जरिए सुनाया तो सभी भावुक हो गए।

सभा में अभय शर्मा, मृदुला उपाध्याय, अर्चना शर्मा, ज्योति अग्रवाल, प्रकाश सेठी, कमल मारोठिया, हरीश शर्मा, उमाकांत द्विवेदी, शैलेश शर्मा, घनश्याम तंवर, विजेंद्र प्रजापति, अरूण गर्ग, संदीप खंडेलवाल, अजय गोला, जय तंवर, उत्तम भंडारी, अशोक खंडेलवाल, सुरेंद्र मारोठिया, संजय सिंह गहलोत, हेमेंद्र सोनी सहित बड़ी संख्या में शहरवासियों ने श्रद्धासुमन अर्पित किए।
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December 29, 2017

गीता, गुरु ग्रंथ, बाइबिल और कुरान को साक्षी मानकर 1922 जांबाजों ने ली राष्ट्र रक्षा की शपथ

गीता, गुरु ग्रंथ, बाइबिल और कुरान को साक्षी मानकर केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के 1922 रंगरूटों ने देश की आंतरिक और औद्योगिक सुरक्षा की शपथ ली। मौका था शुक्रवार को सीआईएसएफ के राजस्थान के देवली स्थित प्रशिक्षण केन्द्र में आयोजित भव्य दीक्षान्त परेड का। अपर महानिदेशक एमए गणपति और उप महानिरीक्षक डॉ. एसके मल्लिक की मौजूदगी में ये सभी जवान केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल जैसे गौरवशाली संगठन का हिस्सा बनकर देश की सुरक्षा के लिए निकले। इनमें देश के सभी राज्यों  के जांबाज शामिल थे।


करीब 5400 रंगरूटों को एक साथ प्रशिक्षण देने के कारण लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में इस ट्रेनिंग सेंटर का नाम दर्ज है। देश के विभिन्न राज्यों से यहां रंगरूट प्रशिक्षण लेने आते हैं और देश के लिए मर-मिटने की भावना से समर्पित होने के साथ सभी क्षमताओं में परिपूर्ण होकर निकलते हैं।

मुख्यमंत्री राजे ने दी बधाई
मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने इन सभी बहादुर जवानों को बधाई और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि जिस जज्बे और अनुशासन के साथ ये सभी नौजवान राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित हो रहे हैं वह हमारे लिए गर्व का विषय है। हम सबको इन जांबाजों से प्रेरणा लेनी चाहिए।
हर चुनौती को तैयार जवान
मुख्य अतिथि अपर महानिदेशक गणपति ने केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल को राष्ट्रीय सुरक्षा की महत्वपूर्ण कड़ी बताते हुए कहा कि बल के जवान हर चुनौती का सामना करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। उन्होंने जवानों से आव्हान किया कि वे अपनी क्षमताओं का निरन्तर विकास करें और देश की सुरक्षा के लिए हमेशा अपना सर्वस्व न्यौछावर करने के लिए तैयार रहें। उन्होंने परेड का निरीक्षण कर मार्च पास्ट की सलामी ली। परेड में शामिल बहादुर जवानों का उपस्थित जनसमूह ने करतल ध्वनि से उत्साह बढ़ाया।

अब तक की सबसे बड़ी दीक्षान्त परेड
प्रशिक्षण केन्द्र के प्राचार्य एवं डीआईजी डॉ. एसके मल्लिक ने कहा कि 55 वीं दीक्षान्त परेड अब तक की सबसे बडी दीक्षंात परेड है। उन्होंने कहा कि 1984 से स्थापित यह केन्द्र अब तक 50 हजार आरक्षकों को प्रशिक्षण दे चुका है। आरक्षक एवं जीडी के पद पर नियुक्त युवाओं को 39 सप्ताह का प्रशिक्षण दिया गया है। सभी आरक्षक देश की आंतरिक एवं औद्योगिक सुरक्षा के लिए पूरी तरह तैयार हैं। इन्हें आधुनिक हथियारों के साथ विभिन्न परिस्थितियों में चुनौतियों का सामना करने के लिए दक्षता के साथ तैयार किया गया है।
जांबाजों का रोमाचंक प्रदर्शन
परेड़ के दौरान जांबाजों की हैरतअंगेज प्रस्तुतियों की सभी ने सराहना की। कार्यक्रम में केरल का करेली मार्शल आर्ट, साईलेंट ड्रिल, मल्लखम्भ, मार्शल आर्ट काता, चाइनीज मार्शल आर्ट, झारखण्ड एवं पश्चिमी बंगाल का प्रसिद्ध छांउ नृत्य एवं आकर्षक कलाओं का प्रदर्शन किया गया।
उत्कृष्ट आरक्षक विशिष्ट मैडल से सम्मानित
प्रशिक्षण के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले जवानों आरक्षक रोहित सिंधे, उम्मेदसिंह, गणेश सिंह राजपूत, विनय कुमार, हेमंगा सोनवाल, राकेश भाल, मनोज कुमार मकवाना, परेश कुमार, इस्लावद भरत, रविकुमार माण्डलिया को इस अवसर पर विशिष्ट मैडल से सम्मानित किया गया। परेड़ का नेतृत्व आरक्षक रविकुमार माण्डलिया ने किया और कमाण्डेंट भूपेन्द्रसिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया।
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December 6, 2017

सैनिक कल्याण के लिए योगदान राष्ट्र सेवा का एक रूप

हर साल 7 दिसंबर को देश में सशस्त्र सेना झण्डा दिवस मनाया जाता है। इस मौके पर मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे ने राष्ट्र के सैनिकों को याद करते हुए उनके कार्य की सराहना की। राजे ने कहा कि यह दिन सेना के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए उन जांबाज सैनिकों के लिए एकजुटता दिखाने का दिन है जो देश की आन-बान और शान के लिए अपना जीवन राष्ट्र को समर्पित करते हैं। सैनिकों के समर्पण व उनकी देश सेवा का मूल्य चुका पाना असंभव है किंतु उनके कल्याण के लिए हर नागरिक को चाहिए कि वह उदारता से दान करें ताकि हमारे देश का झण्डा आसमान की ऊंचाइयों को छूता रहे।
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December 5, 2017

बापू बोले, पांच लाख मांगे तो कोई नहीं आया | Ram Katha for Soldiers

सूरत में भारतीय सेना व शहीदों को समर्पित मानस शहीद कथा में मंगलवार को अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक मोरारी बापू ने चुटकी ली। मुस्कुराते हुए बोले, 'मैंने पहले दिन सभी को कथा में आमंत्रित किया था। कहा था कि कथा में आओ और शहीद परिवारों की सहायता के लिए पांच-पांच लाख रूप का दान दो। पांच लाख रुपए मांगे तो कथा में कोई नहीं आया। कथा में वही आ सकता है जिस पर सद्गुरु की कृपा हो। मैं तो इंद्र को भी आमंत्रित करता हूं, आओ।' बापू की बात सुनकर पांडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।


दरअसल बापू ने यह व्यंग्य उन आलोचकों के लिए किया जो कथा को राजनीति से जोड़ रहे थे। कथा से पूर्व चर्चा थी कि गुजरात चुनाव के कारण इस कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के माध्यम से नेता मंच पर आकर भाजपा का प्रचार करेंगे। जबकि चार दिन की कथा में अब तक ऐसा कहीं कुछ देखने को नहीं मिला। बापू ने चार दिनों में किसी नेता या राजनीतिक दल का जिक्र तक नहीं किया। उन्होंने कथा के प्रथम दिन ही यह स्पष्ट कर दिया था कि कथा के पवित्र मंच को कभी भी राजनीति का मंच नहीं बनने दिया जाएगा। चुनाव तिथि की घोषणा से पूर्व ही कथा तिथि तय हो गई थी। इस कथा का चुनाव से कोई वास्ता नहीं है। -सुमित सारस्वत, मो.09462737273

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December 3, 2017

मोरारी बापू ने आलोचकों को दिया जवाब- कथा का चुनाव से कोई वास्ता नहीं | no relation with election

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में चुनाव के दौरान रामकथा आयोजन को लेकर विवादों से घिरे अंतर्राष्ट्रीय रामकथा वाचक मोरारी बापू ने आलोचकों को करारा जवाब दिया है।
सूरत में रामकथा के प्रथम दिन कथा की शुरुआत से पहले बापू ने मंच से आलोचकों की गलतफहमी दूर करते हुए कहा कि यदि किसी को यह लगता है कि चुनाव के कारण इस कथा का आयोजन किया गया है तो उन सभी लोगों को यह बताना चाहता हूं कि चुनाव तो अभी आया है परंतु इस कथा के आयोजन की तैयारी पिछले डेढ़ साल से की जा रही है। कथा का राजनीति से कोई संबंध नहीं है। व्यास पीठ को कभी राजनीति का मंच नहीं बनने दिया जाएगा। कथा में सभी का स्वागत किया है। व्यास पीठ सभी के लिए बराबर बनाई गई है। यहां सभी के कद और पद का एक समान सम्मान किया जाएगा। सभी अपना स्थान ग्रहण करके कथा सुनें और प्रस्थान करें। कथा में आएं तो सामर्थ्य अनुसार सैनिकों के सम्मान में सहयोग करें। याद रखें राम कथा कभी बंद नहीं हुई। कथा तो आपातकाल के समय भी हुई थी। -सुमित सारस्वत, मो.09462737273


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November 29, 2017

पहली बार रामकथा में बजेगा राष्ट्रगान, फहराएगा तिरंगा | National Anthem in Ram Katha

भारतीय सेना को समर्पित सूरत की रामकथा अनूठी होगी। इस कथा का आरंभ राष्ट्रगान के साथ होगा। कथा से पूर्व तिरंगा फहराया जाएगा। कथा स्थल को तिरंगे के केसरिया, सफेद, हरा रंग के कपड़े से सजाया जा रहा है। हर कथा के प्रारंभ में पोथीयात्रा निकाली जाती है। प्रथा है कि यह पवित्र पोथी आयोजक या उसका परिवार लेकर चलता है लेकिन सूरत कथा में पाेथी सैनिकों और हाल ही अहमदाबाद के शहीद परिवार के सिर पर होगी। सैनिकों और शहीद परिवारों को समर्पित यह राम-राष्ट्रकथा आगामी 2 से 10 दिसंबर तक होगी। इस कथा में 200 करोड़ रुपए एकत्रित कर सैनिक कल्याण के लिए दान किए जाएंगे।


राम-राष्ट्रकथा के लिए अब तक दो दुल्हन ने अपनी शादी के संगीत समारोह व अन्य कार्यक्रम रद्द कर राशि को कथा में दान दी है। मूल अमरेली के मोटा लीलिया तालुका के भेंसाण गांव निवासी कांतिभाई मांगरोलिया की बेटी डॉ. नतल की शादी 23 दिसंबर को होने वाली है। उसने संगीत का कार्यक्रम रद्द कर 51 हजार रुपए कथा में दान दिए। इसके अलावा एक हफ्ते पहले वराछा में वल्लभाचार्य रोड पर कैलाशधाम सोसाइटी में रहने वाले हरेश मालाणी की बेटी जानकी ने 51 हजार रुपए दान दिए। जानकी की शादी 12 दिसंबर को है। शादी में संगीत संध्या रखी गई थी, उसके लिए 50 हजार से ज्यादा का खर्च होना था। यह कार्यक्रम रद्द कर 51 हजार रुपए कथा में दान किया। इसके अलावा रिटायर्ड एसीपी आरएच हडिया को बहादुरी के लिए हर माह 2000 रुपए मिलते हैं। उन्होंने एक साल की रकम 24 हजार दान में दी। -सुमित सारस्वत, मो.09462737273



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सूरत में सैनिकों के लिए होगी देश की सबसे बड़ी रामकथा, 500 ‌दिन से चल रही तैयारी | Biggest Ram Katha in Surat

गुजरात राज्य के सूरत में देश की सबसे बड़ी रामकथा होगी। यहां पूणा बीआरटीएस के पास 500 बीघा जमीन पर बन रहे भव्य पांडाल में अंतर्राष्ट्रीय संत मोरारी बापू कथा करेंगे। यह कथा सैनिकों और शहीद परिवारों को समर्पित होगी। कथा के यजमान भी सैनिक होंगे। इस कथा के लिए आयोजन स्थल को सैन्य प्रदर्शनी की तरह सजाया जा रहा है। कथा की भव्यता का अंदाजा इस  बात से लगाया जा सकता है कि नौ दिन की राम कथा के लिए 500 ‌दिन से तैयारी हो रही है। कथा में हर दिन 5000 स्वयंसेवक सेवा देंगे। 300 बीघा में तो सिर्फ पार्किंग होगी।


आगामी 2 से 10 दिसंबर तक सैनिक कल्याण के उद्देश्य से हो रही इस कथा को नाम दिया गया है राम-राष्ट्रकथा। इस कथा में 200 करोड़ रुपए एकत्रित कर दान किए जाएंगे। यहां असली टैंक भी स्थापित किया जा रहा है, जो सेना ने सूरत नगरपालिका को भेंट दिया था। कथा में प्रतिदिन करीब 1.5 लाख श्रोता आने का अनुमान है। सेवा के लिए 100 से ज्यादा सदस्यों वाली 43 कमेटियां बनाई गई है। जिन्हें भोजन, पानी, सब्जी, यातायात जैसी अलग-अलग व्यवस्थाएं सौंपी गई  है। हर श्रोता को अच्छे भोजन के लिए 6 लाख वर्ग फीट की रसोई बन रही है। मारुति वीर जवान ट्रस्ट के प्रमुख यजमान ननुभाई सावलिया ने बताया कि फरवरी 2015 में सैनिक कल्याण हेतु विचार आया था और तब से ही काम चल रहा है। दिसंबर का समय इसलिए रखा, ताकि विदेशी मेहमान भी आ सकें। माना जा रहा है कि कथा के नौ दिनों के लिए प्रतिदिन का खर्च करीब सवा से डेढ़ करोड़ रुपए आएगा। उन्होंने बताया कि हमने करीब 30 किसानों से यह जगह किराए पर ली। करीब करोड़ रुपए उन्हें दिए भी गए लेकिन सभी किसानों ने उद्देश्य समझने के बाद पैसे वापस लौटा दिए। पैसे वापस नहीं लिए जा सकते थे, उन्हें दान में शामिल कर लिया गया। इस कथा में विदेश से भी 500 से अधिक लोग शामिल होंगे। इनमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, न्यूजीलैंड व दक्षिण अफ्रीका के श्रोता ज्यादा होंगे। -सुमित सारस्वत, मो.09462737273


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November 27, 2017

श्मशान में रचाई शादी, चिता के लिए फेरे | Marriage in Shamshan


जिस श्मशान में जाने से लोग खौफजदा हो जाते हैं वहां एक युगल ने शादी रचाकर नए जीवन की शुरुआत की। सुनकर यकीन नहीं हुआ होगा मगर यह सच है। गुजरात के भावनगर जिले में महुवा के श्मशान को सुन्दर सजाया गया। यहां वर-वधु ने चिता के फेरे लेकर दांपत्य जीवन की शुरुआत की।
दरअसल गत अक्टूबर माह में कथावाचक मोरारी बापू ने मोक्ष नगरी काशी में नौ दिवसीय रामकथा में मुक्तिधाम का महत्व बताते हुए कहा था कि जन्म और मृत्यु का उत्सव श्मशान भूमि में मनाना चाहिए। इससे प्रेरणा लेकर महुवा में रविवार को एक पुजारी के बेटे ने श्मशान भूमि से ही वैवाहिक जीवन की शुरुआत की। दूल्हे घनश्याम और दुल्हन पारुल ने चिता के फेरे लेकर वैवाहिक रस्म निभाई। इस मौके पर वर और वधू पक्ष के सभी लोग मौजूद रहे और उन्होंने जोड़े को सफल जीवन का आशीर्वाद दिया।
श्मशान घाट जहां मनहूसियत का आलम होता है, वहां इस बार रौनक थी और लोगों के चेहरे खुशी से खिले थे। घनश्याम ने कहा, ‘मोरारी बापू ने कहा था कि मसान महातीर्थ है। तभी संकल्प ले लिया था कि श्मशान में ही विवाह करूंगा। पारुल से कहा कि सुनते तो सब हैं, लेकिन अमल भी करना जरूरी है। पारुल भी इसके लिए तैयार हो गई।’ -सुमित सारस्वत, मो.9462737273

पंडित ने मना किया तो बापू ने करवाए फेरे
श्मशान में शादी करने की इच्छा लेकर यह जोड़ा मोरारी बापू के जन्मस्थल तलगाजरडा में उनसे मिला और बापू ने उनका अनुरोध स्वीकार कर लिया। श्मशान में शादी करवाने के लिए जब कोई पंडित तैयार नहीं हुआ तो खुद मोरारी बापू श्मशान पहुंचे। उन्होंने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच श्मशान घाट पर घनश्याम और पारुल की शादी संपन्न कराई। खास बात यह रही है कि श्मशान घाट पर शादी की सभी रस्में पूरी की गईं।


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मृत्यु सच्चाई है इसका उत्सव मनाएं
विवाह के मौके पर श्मशान भूमि का महत्व समझाते हुए मोरारी बापू ने कहा, 'मृत्यु पीड़ा लेकर आती है लेकिन यह महादेव का खेल है। श्मशान में हम सदा के लिए सो जाते हैं लेकिन यही वह जगह है जहां से हम सदा के लिए जाग सकते हैं। श्मशान घाट सत्य, प्रेम, करुणा को दर्शाता है।' राम कथा वाचक ने सत्य, प्रेम और करुणा को समझाते हुए कहा कि मृत्यु जीवन की एकमात्र सच्चाई है जिसका हमें उत्सव मनाना चाहिए। जबकि श्मशान में जलने वाली चिता जाति-धर्म और कर्मों से ऊपर उठकर सभी को स्वीकार करती है, चिता के लिए सभी के प्रति प्रेम होता है। श्मशान घाट पर ही करुणा का प्रादुर्भाव होता है जहां भगवान शिव मोक्ष प्रदान कर सकते हैं।

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उम्मीद है यहां होंगे सामूहिक विवाह
मोरारी बापू ने कहा कि श्मशान अति पवित्र भूमि है। यहां आने से जीवन में वैराग्य भाव नहीं आता। उम्मीद है कि श्मशान भूमि में सामूहिक विवाह भी होंगे। दुल्हन पारुल ने कहा कि बापू से मिलकर उनकी सारी शंकाएं दूर हाे गईं। इसलिए वह श्मशान में फेरों को तैयार हो गई।

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