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February 24, 2024

राम मंदिर बनने के बाद अयोध्या में पहली बार रामकथा करेंगे मोरारी बापू, मंदिर निर्माण के लिए दिया था सबसे बड़ा दान - Ram Katha In Ayodhya Dham

 


✍ सुमित सारस्वत
Ram Katha in Ayodhya: जन-जन के आराध्य भगवान राम की जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के लिए सबसे बड़ा दान देने वाले अंतर्राष्ट्रीय संत मोरारी बापू (Morari Bapu) रामकथा करेंगे. अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) बनने के बाद विशाल स्तर पर आयोजित यह पहली कथा होगी. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास की ओर से आयोजित इस भव्य कथा के लिए व्यापक तैयारियां की गई है. बताया जा रहा है कि कथा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi), यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) और फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन समेत कई विशिष्ट अतिथि शिरकत करने रामनगरी आएंगे. शुक्रवार शाम बापू ने अयोध्या पहुंचकर श्री राम मंदिर में रामलला दर्शन किए.

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मणिपर्वत क्षेत्र में बना भव्य पांडाल
संत माेरारी बापू आगामी 24 फरवरी से 3 मार्च तक अयोध्या में 'मानस राम मंदिर' विषय पर रामकथा करेंगे. यह उनकी 932वीं रामकथा होगी. इसके लिए तीर्थक्षेत्र पुरम परिसर मणिपर्वत क्षेत्र में भव्य पांडाल का निर्माण करवाया है. पहले दिन 24 फरवरी को कथा शाम 4 बजे से होगी. इसके बाद 25 फरवरी से कथा का समय सुबह 10 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक तय है. कथा के लिए देश के विभिन्न राज्यों से बड़ी संख्या में भक्त अयोध्या पहुंच रहे हैं. अधिकांश होटलों और धर्मशालाओं में चार हजार से ज्यादा कमरे बुक हुए हैं.

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प्राण प्रतिष्ठा समारोह में रहे थे मौजूद
विख्यात रामकथा वाचक मोरारी बापू गत 22 जनवरी को हुए रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भी मौजूद रहे थे. तब बापू ने मीडिया से कहा था कि 'राम ब्रह्म व्यापक हैं. जैसे सूरज-चांद सबका वैसे ही सूर्यवंशी राम भी सबके हैं. यह सत्य, प्रेम और करुणा का उत्सव है. यह अध्यात्मिक उत्सव है. मैंने दुनिया में इस तरह का माहौल पहले कभी नहीं देखा. देश के करोड़ों लोगों की तरह मैं भी जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर बनने का इंतजार कर रहा था.'

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बापू ने दिए थे 18.6 करोड़ रुपए
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए सबसे बड़ा दान मोरारी बापू ने दिया था. छह दशक से भी अधिक समय से रामकथा का प्रचार-प्रसार कर रहे बापू ने 18.6 करोड़ रुपए दान दिए थे. इनमें भारत से 11.30 करोड़, ब्रिटेन और यूरोप से 3.21 करोड़, अमेरिका, कनाडा और कई अन्य देशों से 4.10 करोड़ शामिल थे. बापू ने महज 15 दिनों में यह राशि जुटाकर राम जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंपी थी.
©सुमित सारस्वत

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October 23, 2017

मोरारी बापू के मंच पर मणिकर्णिका महाश्मशान की झलक | Ram Katha in Shamshan

संत मोरारी बापू काशी में ‘जलती चिताओं’ के बीच मानस मसान कथा कर रहे हैं। कथास्थल पर बने 60 फीट लंबे और 40 फीट चौड़े मंच को श्मशान का रूप दिया गया है। मंच पर 25 से अधिक चिताओं के बीच व्यासपीठ पर बैठकर बापू कथा का अमृतपान करवा रहे हैं।

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मानस मसान कथा के लिए बनाया गया यह खास मंच देश-दुनिया से आए श्रद्धालुओं का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है। मंच पर मणिकर्णिका महाश्मशान का यह दृश्य गुजरात के चित्रकार अजय मलमकार ने उकेरा है। महातीर्थ के मंदिर, गंगा का तट और श्मशान में जलती चिताओं के चित्रण में चित्रकार को करीब एक महीने का वक्त लगा। इसके पीछे मकसद यह था कि यहां आने वाले को ऐसा एहसास हो कि वे श्मशान में बैठकर कथा सुन रहे हैं। बापू की भी इच्छा थी कि वे काशी के मणिकर्णिका महाश्मशान में कथा सुनाएं। वहां पर्याप्त जगह न होने के कारण कथास्थल को श्मशान का रूप दिया गया है। -सुमित सारस्वत, मो.09462737273


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October 22, 2017

आदित्यनाथ योगी और नरेंद्र मोदी भी बावा हैं | Adityanath Yogi and Narendra Modi are Bawa

काशी में मानस मसान कथा के द्वितीय दिवस रामकथा मर्मज्ञ संत मोरारी बापू ने कहा कि यूपी के सीएम आदित्यनाथ योगी भी मेरी तरह बावा है। योगी नाथ संप्रदाय से हैं। उन्होंने बाबा और बावा के बीच का अंतर स्पष्ट करते हुए बताया कि बाबा पाने की चाह रखते हैं। हम बावा हैं। बावा फकीर होते हैं और उन्हें पाने की चाह नहीं होती। बावा लोग तो अपने पास होता है वो भी दूसरों को दे देते हैं। योगी और मोदी भी इसी भाव के साथ जनता की सेवा कर रहे हैं।
बापू ने बताया कि जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब एक कथा में आए थे। मंच पर उनके साथ गुजरात समाचार पत्र के संपादक भी बैठे थे। एक मुख्यमंत्री और दूसरा तंत्री। इन दोनों के बीच मैं बावा। तब मोदीजी ने कहा, 'मैं भी बावा हूं।' बापू ने चुटकी लेते हुए बताया कि जब मोदीजी प्रधानमंत्री बने तो मैंने उन्हें बधाई देने के लिए फोन किया। उनसे बात करके बोला एक बावा को दूसरे बावा की बधाई। प्रधानमंत्रीजी को मंच वाली बात याद आ गई और हंसने लगे। बापू के इस विनोद पर पांडाल में ठहाके लगे। बापू बोले, 'जिओ तो ऐसे जिओ जैसे सब हमारे हैं, मरो तो ऐसे मरो जैसे कुछ भी हमारा नहीं।' -सुमित सारस्वत, मो.9462737273 

व्हाट्सएप पागलपन है
बापू ने तेजी से पांव पसार चुके व्हाट्सएप को लेकर कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि व्हाट्सएप पाश्चात्य से भेजा गया पागलपन है। लोग 24 घंटे मोबाइल पर लगे रहते हैं। घर-परिवार और दफ्तर का काम भूल गए हैं। बापू ने सलाह दी कि मोबाइल से दूर रहें। यह सेहत के लिए हानिकारक है। रात को जब फ्री होकर सोने जाएं तब कुछ समय व्हाट्सएप देख लो, दिनभर नहीं।
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बापू बोले, मासिक धर्म में महिलाओं पर प्रतिबंध अनुचित | Bapu says, ban on women in menstruation is unfair

वाराणसी में आयोजित रामकथा में संत मोरारी बापू ने एक बार फिर महिला हितों के लिए आवाज बुलंद की है। बापू ने कहा कि मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को अपवित्र मानकर पूजा से रोका जाता है। महिलाओं पर प्रतिबंध लगाना अनुचित है। उन्होंने कहा कि महिलाओं में शारीरिक परिवर्तन एक प्रक्रिया है। समाज उसे अशुद्ध ना समझे।
'औरत ने जन्म दिया मर्दों को, मर्दों ने उसे बाज़ार किया' सुनाते हुए बापू ने सवाल उठाया कि पुरुष खुद भी पूर्ण पवित्र नहीं होता है। फिर भी मंदिर जाता है और सभी धार्मिक कार्य करता है। महिलाओं को भी पुरुष के समान अधिकार है। समाज ने महिलाओं पर गलत प्रतिबंध लगाए हैं। बापू ने महिलाओं को सलाह दी कि मासिक धर्म के दौरान धर्म से दूर ना रहें।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर गहराए विवाद के बीच गत फरवरी माह में नई दिल्ली के राजघाट पर कथा के दौरान बापू ने कहा था कि किसी भी मंदिर में प्रवेश करने या पूजा करने से महिलाओं को रोका नहीं जाना चाहिए। जिस घर में महिलाओं की इज्जत होती है वहां देवताओं का वास होता है। मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश पर बैन को बापू महिलाओं का अनादर समझते हैं।  -सुमित सारस्वत

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मोरारी बापू बोले, हर घर मसान और हर प्राणी भूत | Morai Bapu Says, Every Home Masan and Every Person Ghost

दुनिया के सबसे प्राचीन शहर काशी के 'श्मशान' में जलती चिताओं के बीच अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त रामकथा मर्मज्ञ संत मोरारी बापू के श्रीमुख से 'मानस मसान' कथा का सुमित सारस्वत द्वारा विशेष कवरेज
मोक्ष नगरी काशी में आयोजित रामकथा में अंतर्राष्ट्रीय संत मोरारी बापू ने 'घर मसान परिजन जनु भूता, सुत हित मीत मनहुँ जमदूता' श्लोक से समझाया कि हर घर मसान है क्योंकि घर में किसी की मृत्यु हुई है। हर प्राणी भूत है क्योंकि भूतकाल में रहता है। मसान में पिता शिव और माता पार्वती क्रीड़ा करते हैं। यह शिव-पार्वती यानि मां-बाप का घर है। इससे घबराए नहीं। यह एक अदभुत प्रेरणा है।

बापू ने अपनी 800वीं मानस मसान कथा में मसान का सार समझाते हुए कहा कि मसान ज्ञान की भूमि है। समय मिले तो सप्ताह में एक बार मसान का चक्कर लगाकर आएं। मैं भी जाता हूं। कई बार तो मैं मसान में सोता हूं। सत्य के उपासक राजा हरिश्चंद्र भी यहां रहे। याद रखें मसान आसानी से नसीब नहीं होता। मसान पाने के लिए इंसान को मरना पड़ता है। किसी शायर ने लिखा है 'ऐ कब्र मैं तुझसे लिपटकर क्यों ना सोऊँ, मैंने तुझे जान देकर पाया है।' मुक्तिधाम के गूढ़ तत्वों की विशद व्याख्या करते हुए कहा कि मानस स्वयं एक मसान है। जीवन से प्रलोभन और मृत्यु का भय निकल जाए तो मुक्ति मुट्ठी में आ जाती है। उन्होंने कहा कि निश्चितता आनंददायक है और अनिश्चितता शोकदायक है। मृत्यु निश्चित है, फिर शोक क्यों करना। 'हरि इच्छा भावि बलवाना, हृदय विचार शंभू सुजाना' श्लोक से समझाया कि निश्चित वही होता है जिसमें परमात्मा की इच्छा हो। हमारी इच्छा से कुछ भी संभव नहीं है। यह सत्य है और सत्य को सहजता से स्वीकार करो।
स्कंद पुराण में काशी खंड के अनुसार काशी में मृत्यु पर मोक्ष प्राप्त होता है। इसीलिए यहां 24 घंटे चिता जलती है। बापू ने कहा कि परमात्मा के नाम की महिमा अतुलनीय है। नाम सुमिरन से दसों दिशाओं में मंगल शुद्धि होती है। प्रतिदिन नाम सुमिरन अवश्य करें। राम नाम मंत्र अपना लेने के बाद तंत्र साधना की जरूरत नहीं पड़ेगी। महात्मा गांधी ने कहा था कि देश छोड़ दूंगा मगर राम नाम नहीं छोड़ सकता। ओशो के अनुसार सृष्टि की रचना के बाद पहला शब्द 'राम' आया। कथा में मानस की स्वरमयी पंक्तियों के साथ लय-ताल के समन्वय पर कथा प्रेमी झूमने लगे। कथा में महामंडलेश्वर संतोष दास सतुआ बाबा, पद्मभूषण पं. छन्नूलाल मिश्र, कथा यजमान मिराज ग्रुप के एमडी मदन पालीवाल सहित देशभर से आए हजारों श्रोता शामिल हुए। -सुमित सारस्वत की रिपोर्ट। मो.09462737273

जलती चिताओं के बीच सुना रहे कथा
मंच पर व्यासपीठ के पीछे मणिकर्णिका घाट पर जलती चिताओं को उकेरा गया है, जिससे आभास हो रहा है कि बापू श्मशान में कथा सुना रहे हैं। इसके साथ ही उतर वाहिनी मां गंगा की बहती निर्मल धारा के बीच काशी विश्वनाथ के मंदिर को चित्रित किया गया है। व्यासपीठ पर हनुमान जी और शिवलिंग की छवि भी स्थापित है।

तुम भूत, मैं महाभूत
बापू ने कहा, लोग मसान के भूतों से डरते हैं। जीवित व्यक्ति से डरो। जो मर गया वो तो देवता बन गया। तुम भूत, मैं महाभूत और हमारा नाथ भूतनाथ शिव। बापू ने इस बात के साथ 'जय भूतनाथ' का जयघोष करवाया।

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..तो मृत्यु महोत्सव बन जाएगी
वाराणसी में ज्ञान-भक्ति-वैराग्य की अविरल धारा प्रवाहित करते हुए बापू ने सुख और आनंद में अंतर की व्याख्या की। उन्होंने बताया कि स्वामी शरणानंदजी के अनुसार सुख वो है जिससे दुःख दब जाए और आनंद वो है जो दुःख को जड़ से मिटा दे। इंसान अपना स्वभाव भूल गया है। आनंद से दूर हो गया है। मृत्यु का आनंद लेना हो तो सुमिरन बढ़ाओ। सुमिरन से आनंद का आगमन होगा तो मृत्यु महोत्सव बन जाएगी।

भूतपूर्व नेताओं पर व्यंग्य
बापू बोले कि भूत वो है जो भूतकाल का शोक करे। सत्ता से हटने के बाद नेता भी भूत का चाव नहीं छोड़ते और अपने नाम के साथ भूतपूर्व प्रधान, भूतपूर्व विधायक लिखते हैं। उन्होंने संदेश दिया कि भूत को भूलो और आज का आनंद करो। पतित पावनी गंगा अविरल बह रही है, उससे सीखो और आज की सोचो। हनुमान चालीसा का 'भूत पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे' श्लोक सुनाते हुए कहा कि नाम जाप करने से भूत और भविष्य की चिंता से मुक्ति मिलती है।


जर्मन तकनीक का पांडाल
संत कृपा सनातन संस्था की ओर से  15 बीघा क्षेत्रफल में आयोजित कथा के लिए जर्मन तकनीक के पांडाल का निर्माण करवाया गया है। 80 हजार स्क्वायर फीट के भव्य पांडाल में स्पिंगलर्स लगवाए गए हैं, जिससे श्रोताओं को कथा श्रवण के दौरान गर्मी का आभास नहीं होगा। इसके साथ ही 800 सोफे और 10 हजार कुर्सियां लगवाई गई है।

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