✍🏻 सुमित सारस्वत
राजस्थान में ब्यावर जिले के सबसे बड़े राजकीय अमृतकाैर अस्पताल (Amrit Kaur Hospital) की जर्जर बिल्डिंग की मरम्मत करवाने के लिए शासन-प्रशासन शायद डॉक्टरों और मरीजों की मौत का इंतजार कर रहा है. झालावाड़ स्कूल हादसे (Jhalawar School Accident) के बाद जिला अस्पताल में ऐसी ही चर्चा सुनने को मिली. दरअसल, वर्ष 1955 में स्थापित अमृतकौर अस्पताल का 70 साल पुराना भवन मौजूदा वक्त में खुद बीमार है. बीते कई साल से अस्पताल भवन के कई हिस्से बल्लियों के सहारे टिके हैं. यहां कार्यरत चिकित्सक, नर्सिंगकर्मी और आने वाले मरीज भय के साये में रहते हैं.
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एकेएच में चिकित्सा अधिकारी रहे डॉ. प्रदीप जैन ने चिंता जताते हुए बताया कि पूरे प्रदेश में सरकारी स्कूलों के जर्जर भवनों की चर्चा हो रही है लेकिन जर्जर सरकारी अस्पतालों की चर्चा कोई नहीं कर रहा. जितने जरूरी स्कूल हैं उतने ही जरूरी अस्पताल भी हैं. ब्यावर (Beawar) का सरकारी अस्पताल भवन बरसों से जर्जर और अब बल्लियों के सहारे है. यहां कई मंत्री-सांसद आए, सरकारी अधिकारी आए, सभी ने पुराना जर्जर भवन देखा, नए भवन के वादे किए...लेकिन भूल गए. सिस्टम की सुस्ती देखिए कि सरकार बदल गई लेकिन अस्पताल के हालात नहीं बदले. डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ इमरजेंसी सेवाओं में शामिल है इसलिए अस्पताल आना जरूरी है. अस्पताल की दहलीज पर कदम रखते ही दिल दहलता है लेकिन सरकारी नौकरी होने से चुप रहते हैं. कर्मचारियों का मानना है कि सरकार को समस्या बताना मतलब मुसीबत बोल लेना है. या तो कर्मचारी का ट्रांसफर कर देंगे, या किसी बहाने काम में लापरवाही का नोटिस थमा देंगे.
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गौरतलब है कि राजकीय अमृतकौर चिकित्सालय का बरसों पुराना भवन जर्जर हो गया है. सुरक्षा के मद्देनजर कई वार्ड बंद कर दिए हैं. नवीन भवन के लिए पूर्व की कांग्रेस सरकार ने स्वीकृति दी थी लेकिन बजट के अभाव में अब तक न तो पुराने भवन की मरम्मत हुई और न ही नया भवन बना. कांग्रेस शासन में मुख्य सचिव रहे निरंजन आर्य, तत्कालीन सांसद और वर्तमान में ब्यावर जिला प्रभारी व उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी (Diya Kumari) समेत कई मंत्री यहां दौरा कर गए और अस्पताल की जर्जर हालत पर चिंता जता गए लेकिन सुधार के लिए किसी ने कोई प्रयास नहीं किए.
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अब सरकारी स्कूलों में होने वाले हादसों को देखकर चिकित्सालय में चारों तरफ यही चर्चा है कि सरकार और जिला प्रशासन शायद अस्पताल में भी किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है. यदि मौत के बाद मुआवजा देने की बजाय सरकार (Government) जिंदगियां बचाने की चिंता करे तो शायद कहीं कोई हादसा न हो. उम्मीद है कि सरकार इस सरकारी अस्पताल की जल्द ही सुध लेकर चिकित्साकर्मियों और मरीजों को बड़ी राहत प्रदान करेगी. ©सुमित सारस्वत
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Building collapsed near Ajmer Sharif Dargah: उर्स से पहले अजमेर दरगाह इलाके में ढही जर्जर इमारत, 400 साल पहले हुआ था निर्माण, जानें पूरा मामला

राजस्थान के अजमेर में स्थित विश्व विख्यात दरगाह शरीफ के निकट मंगलवार दोपहर एक बड़ा हादसा घटित हो गया. यहां दोपहर करीब 3.30 बजे दरगाह के गेट नंबर 5 के सामने तीन मंजिला इमारत ढह गई. 8 जनवरी से ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती का 812वां उर्स शुरू होने से ठीक पहले हुए इस हादसे ने प्रशासन के होश उड़ा दिए. अचानक हुए इस हादसे ने हड़कंप मचा दिया. इत्तला मिलते ही पूरा प्रशासनिक अमला बचाव टीम के साथ मौके पर पहुंचा. एसडीआरएफ और सिविल डिफेंस टीम ने स्थानीय लोगों की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया. बचाव कार्य के दौरान अजमेर रेंज आईजी लता मनोज कुमार, जिला कलेक्टर भारती दीक्षित, एसपी चूनाराम जाट मौके पर मौजूद रहे. हादसे में किसी तरह की कोई जनहानि नहीं हुई है.
खादिम की थी पुरानी बिल्डिंग
घटना के वक्त मौके पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शी मोहम्मद ने बताया कि यह अजमेर (Ajmer) का रिहायशी इलाका है. घटना के वक्त इमारत में कोई नहीं था. यह एक खादिम की पुरानी इमारत थी जो करीब 400 साल पहले अकबर के जमाने में बनी थी. बिल्डिंग ढहने पर मलबा गिरा तो आसपास खड़े लोग दौड़कर दूर चले गए. सब सुरक्षित हैं.
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विधानसभा अध्यक्ष ने कलेक्टर से ली जानकारी
हादसे के बाद विधानसभा अध्यक्ष व अजमेर उत्तर विधायक वासुदेव देवनानी (Vasudev Devnani) ने दिल्ली से ही अजमेर कलेक्टर भारती दीक्षित को कॉल कर घटना की जानकारी ली. अजमेर दक्षिण विधायक अनिता भदेल (Anita Bhadel) ने मीडिया से कहा कि बिल्डिंग ढहने की खबर दुखद है. जानकारी मिलने के तुरंत बाद एसडीएम और पुलिस अधिकारी से बात की. फिलहाल किसी जनहानि का समाचार नहीं मिला है. जर्जर इमारतों को हटवाने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों से चर्चा करूंगी, ताकि दरगाह और यहां आने वाले जायरीनों की सुरक्षा व्यवस्था बनी रहे.
स्टे के कारण नहीं गिरा सके बिल्डिंग
अजमेर जिला कलेक्टर भारती दीक्षित (IAS Bharti Dixit) ने मीडिया को बताया कि एसडीआरएफ और सिविल डिफेंस समेत प्रशासन की पूरी टीम मौके पर पहुंची. किसी तरह की जनहानि नहीं हुई है. जो बिल्डिंग गिरी है उसे प्रशासन ने जर्जर घोषित कर दी थी. कल सोमवार ही मैंने और प्रशासनिक टीम ने इसका मौका मुआयना किया था और इस बिल्डिंग को खाली करवा दिया था. इस बिल्डिंग पर कोर्ट का स्टे होने के कारण इसे गिरा नहीं पाए. 8 जनवरी से शुरू होने जा रहे उर्स के मध्य नजर दरगाह क्षेत्र के आसपास की अन्य जर्जर इमारतों का सर्वे करवाकर तत्काल प्रभाव से आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं ताकि किसी तरह की अनहोनी घटना उर्स के दौरान नहीं हो.
आसपास की इमारतों को करवाया खाली
अजमेर रेंज आईजी लता मनोज कुमार (IG Lata Manoj Kumar) ने मीडिया को बताया कि जर्जर बिल्डिंग गिरने की सूचना पर कलेक्टर, एसपी समेत पूरा प्रशासनिक दल मौके पर पहुंचा. जो भी टीम और एजेंसी बचाव कार्य के लिए काम करती है वो सभी मौके पर मौजूद है. प्रयास कर रहे हैं कि किसी को कोई नुकसान नहीं हो. आसपास की कुछ बिल्डिंग जर्जर नजर आ रही है, उन्हें भी खाली करवा रहे हैं ताकि कोई और हादसा न हो. फिलहाल किसी तरह की जनहानि सामने नहीं आई है. मलबा हटवाकर देख रहे हैं कि कोई नीचे नहीं दबा हो. ©सुमित सारस्वत
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