✍🏻 सुमित सारस्वत
भीड़ से अलग दिखना अधिकांश लोगों की ख्वाहिश होती है. इसी सोच के साथ सर्व समाज के बीच अलग दिखने के लिए राजस्थान के ब्यावर शहर में अग्रवाल समाज ने एक नवाचार किया है. अब इस शहर की गलियों में घर देखते ही पता लग जाएगा कि यहां अग्रवाल रहते हैं. चंद रोज पहले समाज की कमान संभालने वाले अध्यक्ष अमित बंसल ने अपने साथी पदाधिकारियों के साथ नई कार्य योजना तैयार की है. चंद रोज में यह सोच समाज को शहर में एक अलग पहचान दिलाएगी.
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अध्यक्ष अमित बंसल ने बताया कि ब्यावर में अग्रवाल समाज एक नवाचार कर रहा है. समाज से जुड़े प्रत्येक घर के बाहर एक नेमप्लेट लगाई जाएगी. जिस पर महाराजा अग्रसेन जी का चित्र, एक रुपए और एक ईंट के साथ जय अग्रसेन लिखा होगा. यह नेमप्लेट देखकर घर के बाहर से ही पता लग जाएगा कि यह घर किसी अग्रवाल का है. जल्द ही यह नेमप्लेट लगाने का काम शुरू किया जाएगा. इसके लिए एक व्यक्ति को नियुक्त किया जाएगा, जो समाज के प्रत्येक घर के बाहर यह नेमप्लेट लगाएगा. इस नवाचार में समाज के मंत्री निखिल जिंदल और अग्रसेन जयंती संयोजक पवन रायपुरिया के साथ अन्य पदाधिकारियों ने भी सहयोग किया है. ©सुमित सारस्वत, मो. 9462737273
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September 8, 2025
अलग पहचान के लिए अग्रवाल समाज ने किया नवाचार, घर देखकर जान जाएंगे - Different identity of Agarwal Samaj
Sumit Saraswat SPSeptember 08, 2025Agarwal Samaj, Agrasen Jayanti Mahotsav, Beawar, Beawar News, incredible india
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September 5, 2024
True Love Story: अगाध प्रेम की अनूठी मिसाल है यह प्रेमी युगल, एक ही दिन हुआ था दोनों का जन्म
Sumit Saraswat SPSeptember 05, 2024barsana, Festival of India, incredible india, Krishna Janmashtmi, Lord Krishna, love, love story, radha, radha ashtami, radha krishna, religion, Vrindavan
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भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी श्री कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) कहलाती है और भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी राधा अष्टमी (Radha Ashtami) के नाम से विख्यात है. क्या यह एक अदभुत संयोग नहीं है कि श्रीकृष्ण जी का जन्म भी अष्टमी को हुआ था और उनकी प्राणप्रिया राधाजी भी अष्टमी को ही अवतरित हुई थी.
राधा रानी के प्रति श्रीकृष्ण के अगाध आत्मीय प्रेम की यह बड़ी और जीवंत मिसाल है. एक और खास बात यह है कि राधा का जन्म दिन में 12 बजे हुआ और कन्हैया का जन्म रात में 12 बजे हुआ. कृष्ण जन्म के उपलक्ष में जन्माष्टमी मनाई जाती है और राधाजी के जन्म उपलक्ष में राधाष्टमी.
आपको कृष्ण प्रिया श्री राधाजी के जन्म अष्टमी महापर्व की ढेरों बधाई.. ©सुमित सारस्वत
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August 23, 2019
यहां भगवान कृष्ण को 21 तोपों से देते हैं सलामी, 400 साल से चली आ रही अनूठी परंपरा - Amazing Temple of Lord Krishna
Sumit Saraswat SPAugust 23, 2019amazing india, azab gazab, Festival of India, incredible india, janmashtami, Krishna Janmashtmi, krishna leela, Lord Krishna, Rajasthan, shrinathji temple, temples of india
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भगवान श्री कृष्ण को प्रेम और मित्रता की मिसाल माना जाता है। भारत ही नहीं, पूरे विश्व में भगवान श्री कृष्ण के कई मंदिर हैं। ठाकुरजी का एक मंदिर ऐसा भी जहां भगवान श्री कृष्ण की पूजा सात साल के बालक रूप में होती है। यह मंदिर है राजस्थान के नाथद्वारा शहर में स्थित श्रीनाथजी का पावन धाम।
श्रीनाथजी भगवान श्रीकृष्ण के अवतार हैं, जो सात साल के बालक के अवतार में यहां विराजमान हैं। श्रीनाथ जी का यह मंदिर लेक सिटी उदयपुर सेे करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। श्रीनाथद्वारा में भगवान कृष्ण के जन्म का स्वागत एक अनोखे ढंग से किया जाता है। यहां जन्माष्टमी पर भक्त 21 तोपों की सलामी देकर अपने ईश्वर का जन्मोत्सव मनाते हैं।
वीडियो में देखें- कैसे देते हैं तोपों से सलामी
कृष्ण जन्माष्टमी मनाने की यह परंपरा यहां सालों से इसी तरह चली आ रही है। यहां 400 साल पुरानी तोपों से भगवान को 21 सलामी दी जाती है। इन तोपों से गोलों को उसी परम्परा और विधि से दागा जाता है जैसा सालों पहले दागा जाता था। इन तोपों से गोले भगवान श्रीनाथ जी के गार्ड ही दागते हैं।
वीडियो में देखें- बाल कृष्ण की नटखट लीलाएं
श्रीनाथजी मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की काले रंग की संगमरमर की मूर्ति है। इस मूर्ति को केवल एक ही पत्थर से बनाया गया है। इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपने एक हाथ पर उठाए दिखाई देते हैं और दूसरे हाथ से भक्तों को आशीर्वाद देते हुए नजर आते हैं।
वीडियो में देखें- कैसे होता है कृष्ण का अभिषेक
माना जाता है कि मेवाड़ के राजा इस मंदिर में मौजूद मूर्तियों को औरंगजेब से बचाकर गोवर्धन की पहाड़ियों से यहां लाए थे। ये मंदिर बारहवीं शताब्दी में बनाया गया था। जब औरंगजेब श्रीनाथ जी की मूर्ति को खंडित करने मंदिर में आया तो यहां पहुंचते ही अंधा हो गया था। तब उसने अपनी दाढ़ी से मंदिर की सीढ़ियां साफ करते हुए श्रीनाथ जी से विनती की और ठीक हो गया। उसके बाद औरंगजेब ने एक बेशकीमती हीरा मंदिर को भेंट किया था जिसे हम आज श्रीनाथ जी के दाढ़ी में लगा देखते हैं। अगर आपने नाथद्वारा के श्रीजी बाबा का दर्शन नहीं किया है तो जल्द ही कार्यक्रम बनाइए और ठाकुरजी का दिव्य दर्शन कर आइए। -सुमित सारस्वत, मो.09462737273
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श्रीनाथजी भगवान श्रीकृष्ण के अवतार हैं, जो सात साल के बालक के अवतार में यहां विराजमान हैं। श्रीनाथ जी का यह मंदिर लेक सिटी उदयपुर सेे करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। श्रीनाथद्वारा में भगवान कृष्ण के जन्म का स्वागत एक अनोखे ढंग से किया जाता है। यहां जन्माष्टमी पर भक्त 21 तोपों की सलामी देकर अपने ईश्वर का जन्मोत्सव मनाते हैं।
वीडियो में देखें- कैसे देते हैं तोपों से सलामी
कृष्ण जन्माष्टमी मनाने की यह परंपरा यहां सालों से इसी तरह चली आ रही है। यहां 400 साल पुरानी तोपों से भगवान को 21 सलामी दी जाती है। इन तोपों से गोलों को उसी परम्परा और विधि से दागा जाता है जैसा सालों पहले दागा जाता था। इन तोपों से गोले भगवान श्रीनाथ जी के गार्ड ही दागते हैं।
वीडियो में देखें- बाल कृष्ण की नटखट लीलाएं
श्रीनाथजी मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की काले रंग की संगमरमर की मूर्ति है। इस मूर्ति को केवल एक ही पत्थर से बनाया गया है। इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपने एक हाथ पर उठाए दिखाई देते हैं और दूसरे हाथ से भक्तों को आशीर्वाद देते हुए नजर आते हैं।
वीडियो में देखें- कैसे होता है कृष्ण का अभिषेक
माना जाता है कि मेवाड़ के राजा इस मंदिर में मौजूद मूर्तियों को औरंगजेब से बचाकर गोवर्धन की पहाड़ियों से यहां लाए थे। ये मंदिर बारहवीं शताब्दी में बनाया गया था। जब औरंगजेब श्रीनाथ जी की मूर्ति को खंडित करने मंदिर में आया तो यहां पहुंचते ही अंधा हो गया था। तब उसने अपनी दाढ़ी से मंदिर की सीढ़ियां साफ करते हुए श्रीनाथ जी से विनती की और ठीक हो गया। उसके बाद औरंगजेब ने एक बेशकीमती हीरा मंदिर को भेंट किया था जिसे हम आज श्रीनाथ जी के दाढ़ी में लगा देखते हैं। अगर आपने नाथद्वारा के श्रीजी बाबा का दर्शन नहीं किया है तो जल्द ही कार्यक्रम बनाइए और ठाकुरजी का दिव्य दर्शन कर आइए। -सुमित सारस्वत, मो.09462737273
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