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February 23, 2019

February 18, 2019

शहीदों के सम्मान में ऐतिहासिक बंद, पाकिस्तानी झंडा जलाकर आक्रोश प्रदर्शन


जम्मू कश्मीर के पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए सैनिकों के सम्मान में सोमवार को ब्यावर बंद ऐतिहासिक रहा। व्यापारिक व सामाजिक संगठनों सहित पूरे शहर ने स्वैच्छिक बंद रखकर आतंकवाद की खिलाफत की।




शहर के बाजारों की सभी दुकानें प्रतिष्ठान पूरी तरह से बंद रहे। निजी विद्यालयों, पेट्रोल पंप, सिनेमाघर सहित दवा विक्रेताओं ने समर्थन करते हुए बंद रखा। इस दौरान कई सामाजिक संगठनों ने आतंकी घटना के विरोध में प्रदर्शन किया। पड़ौसी मुल्क पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी करते हुए पाकिस्तानी झंडे को जलाया। अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद और राष्ट्रीय बजरंग दल ने भी पाक की नापाक हरकत का विरोध करते हुए आक्रोश प्रदर्शन किया।
आतंकवादी घटना के विरोध में शहर के कई व्यापारिक संगठनों ने बंद को अपना पूर्ण समर्थन दिया था। गुलशने मुस्तफा दरगाह समिति की ओर से भोलेशाह बाबा की दरगाह में सर्वधर्म श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। शहीद सैनिकों की शहादत को सलाम करते हुए मुल्क की हिफाजत के लिए दुआ की गई। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन व राजकीय अमृतकौर चिकित्सालय के समस्त डॉक्टर्स स्टाफ ने शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी। बंद के दौरान कोई अप्रिय घटना नहीं हुई। हालांकि पुलिस प्रशासन पूरी तरह सतर्क रहा। -सुमित सारस्वत की रिपोर्ट।
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Pakistan can not spoil us anything : Sukhwinder Singh

Bollywood singer and artist Sukhwinder Singh become aggressive after the Pulwama terror attack. He says, Pakistan can not spoil us anything. We will love India the whole life and we will kill the enemies. we will never stop dancing, we will never stop celebrating because we are the great indian. He says, Pakistan you cant stop us to celebrates our life.

Sukhwinder had come to participate in a live concert during the annual festival of Hanuman temple. He appealed for the help of martyr families.Story by Sumit Saraswat



Sumit Saraswat available on :
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February 14, 2019

दास्तान-ए-आशिकी, जुबान-ए-इश्क | Famous Love Story

ग्लोबलाइजेशन के इस युग ने हमारी जेनरेशन को वैलेंटाइंस डे का तोहफा दिया है। यह दिन प्यार के नाम होता है। इतिहास के पन्ने पलटने पर आप पाएंगे कि प्यार को सोशली सेलिब्रेट करने के लिए पहले तो ऐसा कोई भी दिन मुकर्रर नहीं किया गया था। लेकिन फिर भी ऐसी क्या खासियत थी तब के प्यार में कि उसकी कहानियां इतना वक्त गुजर जाने के बाद भी इतिहास के पन्नों में अंकित हैं। हमारी जेनरेशन की ऐसी कोई लव स्टोरी क्यों नहीं, जिसका दम आने वाले पीढ़ियां भर सकेंगी। समझने की कोशिश करते हैं कुछ ऐसी ऐतिहासिक प्रेम कहानियों के जरिए जो आज भी जिंदा है।


राधा-कृष्ण का अटूट प्रेम

वैसे तो हमारे देश में इन दोनों को भगवान माना जाता है, घर-घर इनकी पूजा की जाती है, लेकिन आपको बताएं कि इन दोनों के प्रेम के सभी साक्ष्य आज भी मौजूद हैं मथुर और वृंदावन में। आज भी जब आप यहां की गलियों में घूमेंगे तो आप तक इनके प्यार की महक पहुंचेगी ही। आपको बताएं कि राधा कृष्ण की पत्नी नहीं बन पाईं, रूक्मिणी उनकी पत्नी थी, लेकिन इनके प्रेम की गहराई का पता इसी बात से चलता है कि आज भी कृष्ण का नाम राधा के साथ ही लिया जाता है, रूक्मिणी के नहीं।



लैला-मजनूं की मोहब्बत की दास्तान
इनकी कहानी है सातवीं शताब्दी की। कैस, जिसे की बाद में मजनूं नाम दिया गया, नॉर्दन अरब का रहने वाला थ। कैस को एक बहुत ही अमीर घराने की लड़की लैला से प्यार हो जाता है लेकिन अमीरी गरीबी की ये दीवार जो कि न जाने कितने जमाने से ही प्रेमियों को अलग करने का काम करती रही है, इन दोनों के प्यार को परवाने नहीं चढ़ने देना चाहती थी। लैला की शादी कहीं और कर दी गई। कुछ वक्त बाद उसकी मौत हो गई। कैस को जब इस बात का पता चला तो उसने भी लैला की कब्र के पास आकर जान दे दी। तभी से कैस को मजनूं कहा जाने लगा क्योंकि वो लैला के प्यार में दीवाना हो चुका था। हालांकि इस लव स्टोरी का एंड बहुत ही ट्रैजिक था लेकिन तब की और आज की सिचुएशंस में बहुत फर्क है। प्रेजेंट सिनरियों में उनकी लव स्टोरी का इतना ट्रैजिक एंड होना पॉसिबल नहीं था।


मीराबाई का सात्विक प्रेम
मेरो तो गिरधर गोपाल, दूजो ना कोई.. आपने कई बार घर में बड़े बुजुर्गों को यह भजन गाते हुए सुना होग। इसे मीराबाई गाया करती थीं। आपने वन साइडेड लव के बारे में तो सुना ही होगा, हो सकता है महसूस भी किया हो। मीराबाई का प्रेम भी कुछ ऐसा ही था। उन्हें पता था कि जिसे वो प्यार करती हैं वो उन्हें कभी मिल नहीं सकते लेकिन उनके प्यार पर इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ा और वो जिंदगी भर अपने गिरधर गोपाल को निश्चल मन से प्यार करती रहीं।




शाहजहां-मुमताज महल की अमर प्रेम कहानी
इनके प्यार की जीती जागती निशानी तो आज भी दुनियाभर में मशहूर है..ताजमहल। जो भी इसे देखने जाता है, इसकी खूबसूरती को निहारता ही रह जाता है। शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल जिन्हें की वो बेइतंहा मोहब्बत करने थे उसकी याद में प्यार की इस इमारत को बनवाया था। मुमताज महल को अर्जूमंद बानो के नाम से जाना जाता था। उन्हें मुमताज महल नाम बख्शा था खुद शाहजहां ने। बेगम मुमताज से शाहजहां को इतना प्यार था कि वो उन्हें अपने साथ हर जगह ले जाते थे। शाहजहां को अपनी इस खास बेगम से इतनी मोहब्बत थी, वो उन पर इतना भरोसा करते थे कि उन्होंने अपनी मोहर 'मोहर उजाह' जिसे की कोई भी शहंजाह बेहद संभालकर रखता था, दे दी थी।

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