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February 18, 2018

दिल का दर्द : भगवान तू जालिम क्यों बन गया! | Human Story

✍ Sumit Saraswat 'SP'
हेमंत और रितु ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनकी शादी ऐसे गमगीन माहौल में होगी। उन्होंने क्या, किसी ने भी नहीं सोचा होगा कि कोई शादी ऐसी दर्दनाक भी होगी। जहां खुशियों की शहनाई बजनी थी वहां मातमी सन्नाटा पसरा था। जीवनसाथी के साथ जन्मों का रिश्ता जोड़ने के लिए अग्नि के सात फेरे लेते वक्त उत्साह की बजाय उदास हेमंत के पैर लड़खड़ा रहे थे। मांग भरते वक्त हाथ कांप रहे थे। मुस्कुराने की बजाय रितु रो रही थी। यह पता लगने पर आज मैं रो रहा हूं। जब से इनके विवाह की तस्वीरें देखी और जानकारी हुई तब से हृदय विचलित है। रोंगटे खड़े हो गए। दिल भर आया। नम आंखों से उस भगवान को कोसने के लिए यह लिख रहा हूं जिसकी जिम्मेदारी थी इस विवाह को आनंदमय बनाने की। यह शिकायत सिर्फ और सिर्फ उस दिव्यात्मा के लिए है जिसे हम परमात्मा कहते हैं। जिससे उम्मीद करते हैं कि हमारे संकट में वो काम आएगा।


अरे निर्दयी, हमने सोचा नहीं था कि तू खुशियों के बीच ऐसा दर्द देगा। इतना नाराज क्यों हो गया, अगर वो परिवार गजानंद को मनाना भूल गया। क्या हो गया अगर हलवाई ने चूल्हा जलाने से पहले अग्नि को भोग नहीं लगाया। क्या फर्क पड़ गया तूझे अगर मायरा रस्म से पहले तेरे लिए कपड़े नहीं निकाले। 
जालिम न जाने कौनसी बात तुझे अखर गई कि तूने रक्षाबंधन पर सुख और सुरक्षा के वादे करने वाले भाई-बहनों को भी नहीं बख्शा। दोनों भाई अपने भांजे की शादी में बहन को चुनरी ओढ़ाने आए थे। उन्होंने सपने में भी कल्पना नहीं की होगी कि मायरे में जो चुनरी वो बहन को ओढ़ा रहे हैं वो कफन बन जाएगी। बहन की मौत के बाद भाई पीहर की चुनर ओढ़ाते हैं तूने तो जीते जी आखिरी चुनरी ओढ़वा दी। बेशर्म थोड़ी तो शर्म करता।
कहर बरपाने से पहले एक पल सोच तो लेता कि क्या बीतेगी इस परिवार पर। शेरवानी पहनकर शादी करने वाले दूल्हे ने आंखों में आंसू लेकर सामान्य शर्ट और जींस में नंगे पैर शादी की। घोड़ी पर सवार होकर शादी के लिए आने वाले शहजादे को देखने का सपना संजोए दुल्हन की दिली ख्वाहिश धमाके में धूमिल हो गई। यह नवविवाहित जोड़ा अपनी शादी में हुआ मौत का मंजर कभी भुला नहीं पाएगा। जो मां निकासी के वक्त घोड़े पर बैठे बेटे की बलाइयां लेती उसी मां की अर्थी को बेटा कंधों पर लेकर श्मशान जाएगा। जब भी इस जोड़े की वैवाहिक वर्षगांठ होगी तब यह खुशियां नहीं मनाएगा बल्कि इस हादसे को याद करते हुए कांपेगा।
ध्यान है हमें कि कलयुग चल रहा है और तेरी ऐसी हरकतों से ही तो लोगों को कलयुग का एहसास होगा। बड़ा शातिर है रे तू। हलवाई को मौत का माध्यम बनाकर बदनाम कर दिया। उन नेताओं को नजरअंदाज कर दिया जिन्होंने आबादी क्षेत्र में ऐसी व्यावसायिक गतिविधियों को अनदेखा किया। समाज सेवा के नाम पर चांदी कूटने वालों को चर्चा में ही नहीं आने दिया। उन अधिकारियों को भी चतुराई से बचा लिया जिनकी जिम्मेदारी है इन घटनाओं को रोकना। और तो और घटना के बाद अगर मलबे में दबा कोई जीव जिंदा हो तो उसे बचा न सकें इसलिए संसाधन भी उपलब्ध नहीं होने दिए। खाली हाथ भेज दिया बचाने वालों को। क्या गजब खेल रचाया! तालियां बजानी चाहिए तेरे इस खेल पर। लेकिन नहीं बजा पा रहे। रो रहे हैं उन लाशों को देखकर जो एक के बाद एक मलबे से निकलती जा रही है। कल जब एक मजदूर हाथों में मासूम से बच्चे की लाश उठाकर लाया तब सभी देखने वाले भावुक हो गए। छोटे-छोटे हाथों से उसकी मासूमियत को महसूस कर लिया। हम लोग कहते हैं कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं, तू उनको तो बख्श देता पापी। सुन, अगर इस तरह की मौत देने के लिए धरती पर भेजा है ना, तो नहीं चाहिए ऐसी जिंदगी। अगर तेरे पास कमी पड़ गई थी और मौत देकर इंसानों को बुलाना था तो कोई और जरिया अपना लेता। शादी में आकर जो तांड़व किया, वो अच्छा नहीं।
पता है उस क्षेत्र में कई मकान क्षतिग्रस्त हो गए। उन घरों में रहने वाले परिवार इधर-उधर छुपे हैं। भोजन-पानी भी मुश्किल से नसीब हो रहा है। अंधेरे में रातें गुजारनी पड़ रही है। बुजुर्गों का तो दम भरने लगा है। कुछ तो सांसों को सुचारू रखने के लिए अस्पताल पहुंच गए हैं। कई लोग अपनों की आस लगाए तलाश में भटक रहे हैं। कितने और शव मलबे में दबे हैं किसी को खबर नहीं। शादी वाले घरों में मातम छाया हुआ है। जो खिलखिलाते चेहरे शादी के एलबम में आने थे उनकी तस्वीरें अब माला के साथ दीवारों पर टंग गई है। पूरा प्रदेश हिल गया तेरी इस हरकत से। ब्यावर, अजमेर, जोधपुर, पीपाड़ सिटी में तो हर शख्स की जुबां पर सिर्फ इसी घटना की चर्चा है। चुनावी साल में नेताओं को राजनीतिक मसाला भी मिल गया। वो मौत के मुआवजे पर चटकारे ले रहे हैं। मृतकों और घायलों के परिवार का क्या हाल है, किसी को मतलब नहीं। खैर, तूझे क्यों पता होगा। तू तो तमाशबीन बना ऊपर से देख रहा होगा उन लोगों की तरह जो मौके पर मातमी मंजर को मनोरंजन समझकर देखने उमड़े हैं। -सुमित सारस्वत, सामाजिक चिंतक, मो.09462737273

Sumit Saraswat available on :

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Location: Beawar, Rajasthan, India

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