साधुता पाना आसान नहीं है। इसके लिए कठिन मार्ग पर चलना पड़ता है। संयम पथ अंगीकार करना होता है। घर-परिवार और सभी अपनों को छोड़ना होता है। भौतिक सुख-सुविधाओं को त्यागना होता है। वस्त्रों की रंगीनियत उतारकर कर सात्विक वेश धारण करना पड़ता है। इतना सब करने के बाद गुरु का आश्रय पाकर प्रभु प्राप्ति के लिए साधु बनना संभव है। राजस्थान में ब्यावर निवासी सुधा बरड़िया ने भी जैन भागवती दीक्षा लेने के लिए इस कठिन मार्ग को अपनाया। साधुता पाने के किए सांसारिक मोह-माया का त्याग किया। संसार से संस्कार के साथ साधु जीवन अंगीकार किया। दीक्षा के अब सुधा बरड़िया को नया नाम साध्वी संयम साक्षी जी मिला है। पूज्य मुनि मनितप्रभसागरजी म.सा. आदि ठाणा की पावन निश्रा व पूज्य साध्वी संयम ज्योति श्रीजी म.सा. आदि ठाणा के पावन सानिध्य में दीक्षा समारोह हुआ। इसमें हजारों श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया। -सुमित सारस्वत की रिपोर्ट। -सुमित सारस्वत, मो.09462737273
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