बापू ने स्पष्ट किया कि, व्यासपीठ पर बैठा एक साधु सत्ता को सलाह नहीं दे रहा है। सलाह देना मेरा काम भी नहीं है। पूरा जगत जानता है कि मैं सबसे एक सम्मानित डिस्टेंस करके रहता हूं। लेकिन रामचरितमानस के नाते, रामचरितमानस के विचार के नाते सलाह नहीं, विनय करता हूं। सलाह कौन किसकी मानता है। विनय साधु करता है।
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भगवान वशिष्टजी ने चित्रकूटजी की सभा में भगवान राम को कहा कि आप राजा हैं। यद्यपि अभी आपका वनवास है लेकिन लोक ह्दय में आप राजा हैं। भरत साधु है। ये भरत रूपी साधु की विनय सुनिए, सलाह नहीं। साधु होने के नाते एक फकीर के नाते। बापू बोले कि, नरेंद्र भाई आप कल बोले कि मैं फकीर हूं। आपने कहा कि एक फकीर की झोली में मेरे देश ने बहुत प्यार डाला है। आप अपने को फकीर कहते हैं तो हम तो साधु हैं ही। एक फकीर, फकीर को सलाह नहीं दे रहा, विनय कर रहा है। कोई माई का लाल मेरी व्यासपीठ पर उंगली नहीं उठा सकता कि बापू किसी प्रभाव में हैं। मैं किसी के प्रभाव में नहीं, अपने स्वभाव में हूं।
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बापू ने अपनी बातें बोलने के बाद मोदी को आह्वान करते हुए कहा कि बावाजी जब भी समय मिले, मेरी बातें सुन लेना। न सुनो तो भी कोई बात नहीं। बावा ने बीज बो दिया है। मेरा काम मैंने पूरा किया। एक राष्ट्र नागरिक के नाते एक सम्मानित दूरी रखते हुए जीने वाले साधु का विनय है। -सुमित सारस्वत की रिपोर्ट, मो.09462737273
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