14वें राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का जीवन परिचय
राष्ट्रपति चुनाव 2017 के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोमवार को अपनी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठतम नेताओं से मुलाकात के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने घोषणा करते हुए बताया कि बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर से राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी होंगे। कोविंद को भारत के 14वें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया गया है। वे समाज के वंचित वर्ग को अधिकार दिलाने एवं उनके सशक्तीकरण के प्रखर पैरोकार रहे हैं। कोली जाति से सम्बन्ध रखने वाले कोविन्द ने सिविल सेवा परीक्षा भी उत्तीर्ण की थी, लेकिन ज्वॉइन नहीं किया। आइए जानते हैं, अदालत में वकालत के बाद सियासत में आए रामनाथ कोविंद के जीवन, परिवार और देश के लिए उनके योगदान के बारे में ।
क्लिक करें : बिहार राज्यपाल रामनाथ सिंह होंगे 14वें राष्ट्रपति
मोरारजी देसाई के निजी सचिव रहे हैं कोविंद
रामनाथ कोविंद ने कानपुर विश्वविद्यालय से वकालत की शिक्षा प्राप्त करने के बाद वकील के तौर पर अपना करियर शुरू किया। वे दिल्ली हाई कोर्ट में 1977 से केन्द्र सरकार के वकील और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र सरकार के स्थायी वकील और एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड भी रहे हैं। वे करीब 16 वर्ष तक सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट में वकील के तौर पर सक्रिय रहे। दिल्ली में वकालत के दौरान वे वर्ष 1977 में जनता पार्टी की सरकार के समय में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय मोरारजी देसाई के निजी सचिव भी रहे । इसके बाद उन्होंने भारतीय जनता पार्टी में सक्रिय रहते हुए राष्ट्रीय स्तर तक अनेक दायित्वों का निर्वहन किया।
रामनाथ कोविंद का योगदान Contribution of Ramnath Kovind
69 वर्षीय रामनाथ कोविंद का अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों के हितों की संरक्षण के लिए बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 1993 में जब केन्द्र सरकार के एक आदेश के कारण अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के कर्मचारियों के हितों पर संकट आया तो रामनाथ कोविंद ने इसे दूर करने के लिए आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। आगे चलकर अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बनी सरकार ने संविधान में तीन संशोधन कर ये आदेश वापस ले लिए। कोविंद ने सांसद के तौर पर शिक्षा के उत्थान में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वकालत के दिनों में उन्होंने फ्री लीगल एड सोसायटी के माध्यम से समाज के वंचित एव अभावग्रस्त वर्ग को निशुल्क कानूनी मदद उपलब्ध कराने में भी अहम योगदान दिया।
रामनाथ कोविंद का परिवार Family of Ramnath Kovind
रामनाथ कोविन्द 1 अक्टूबर, 1945 को कानपुर देहात की डेरापुर तहसील के परौंख गांव में जन्मे थे। वे तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं। उनकी पत्नी का नाम सविता कोविन्द हैं और उनके पुत्र का नाम प्रशांत कुमार है, जो विवाहित हैं। रामनाथ कोविंद की पुत्री का नाम स्वाति है। परौंख गांव में अपना पुश्तैनी आवास उन्होंने सामाजिक कार्यों के लिए दान दे दिया है।
संसदीय जीवन Parliamentary Career of Ramnath Kovind
रामनाथ कोविंद को पहली बार 1994 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्य चुना गया और लगातार दो बार यानी करीब 12 वर्ष तक वे राज्यसभा सदस्य रहे। कोविंद अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण, गृह मामले, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, विधि एवं न्याय विषयों पर संसदीय समितियों के सदस्य भी रहे हैं। वे राज्यसभा की आवास समिति के अध्यक्ष भी रहे हैं। कोविंद ने वर्ष 2002 में संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा को सम्बोधित किया। वे अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, थाईलैण्ड, नेपाल, पाकिस्तान, सिंगापुर, जर्मनी और स्विट्जरलैण्ड की यात्रा कर चुके हैं।
राष्ट्रपति चुनाव 2017 के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोमवार को अपनी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठतम नेताओं से मुलाकात के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने घोषणा करते हुए बताया कि बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर से राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी होंगे। कोविंद को भारत के 14वें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया गया है। वे समाज के वंचित वर्ग को अधिकार दिलाने एवं उनके सशक्तीकरण के प्रखर पैरोकार रहे हैं। कोली जाति से सम्बन्ध रखने वाले कोविन्द ने सिविल सेवा परीक्षा भी उत्तीर्ण की थी, लेकिन ज्वॉइन नहीं किया। आइए जानते हैं, अदालत में वकालत के बाद सियासत में आए रामनाथ कोविंद के जीवन, परिवार और देश के लिए उनके योगदान के बारे में ।
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मोरारजी देसाई के निजी सचिव रहे हैं कोविंद
रामनाथ कोविंद ने कानपुर विश्वविद्यालय से वकालत की शिक्षा प्राप्त करने के बाद वकील के तौर पर अपना करियर शुरू किया। वे दिल्ली हाई कोर्ट में 1977 से केन्द्र सरकार के वकील और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र सरकार के स्थायी वकील और एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड भी रहे हैं। वे करीब 16 वर्ष तक सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट में वकील के तौर पर सक्रिय रहे। दिल्ली में वकालत के दौरान वे वर्ष 1977 में जनता पार्टी की सरकार के समय में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय मोरारजी देसाई के निजी सचिव भी रहे । इसके बाद उन्होंने भारतीय जनता पार्टी में सक्रिय रहते हुए राष्ट्रीय स्तर तक अनेक दायित्वों का निर्वहन किया।
रामनाथ कोविंद का योगदान Contribution of Ramnath Kovind
69 वर्षीय रामनाथ कोविंद का अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों के हितों की संरक्षण के लिए बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 1993 में जब केन्द्र सरकार के एक आदेश के कारण अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के कर्मचारियों के हितों पर संकट आया तो रामनाथ कोविंद ने इसे दूर करने के लिए आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। आगे चलकर अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बनी सरकार ने संविधान में तीन संशोधन कर ये आदेश वापस ले लिए। कोविंद ने सांसद के तौर पर शिक्षा के उत्थान में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वकालत के दिनों में उन्होंने फ्री लीगल एड सोसायटी के माध्यम से समाज के वंचित एव अभावग्रस्त वर्ग को निशुल्क कानूनी मदद उपलब्ध कराने में भी अहम योगदान दिया।
रामनाथ कोविंद का परिवार Family of Ramnath Kovind
रामनाथ कोविन्द 1 अक्टूबर, 1945 को कानपुर देहात की डेरापुर तहसील के परौंख गांव में जन्मे थे। वे तीन भाइयों में सबसे छोटे हैं। उनकी पत्नी का नाम सविता कोविन्द हैं और उनके पुत्र का नाम प्रशांत कुमार है, जो विवाहित हैं। रामनाथ कोविंद की पुत्री का नाम स्वाति है। परौंख गांव में अपना पुश्तैनी आवास उन्होंने सामाजिक कार्यों के लिए दान दे दिया है।
संसदीय जीवन Parliamentary Career of Ramnath Kovind
रामनाथ कोविंद को पहली बार 1994 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्य चुना गया और लगातार दो बार यानी करीब 12 वर्ष तक वे राज्यसभा सदस्य रहे। कोविंद अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण, गृह मामले, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, विधि एवं न्याय विषयों पर संसदीय समितियों के सदस्य भी रहे हैं। वे राज्यसभा की आवास समिति के अध्यक्ष भी रहे हैं। कोविंद ने वर्ष 2002 में संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा को सम्बोधित किया। वे अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, थाईलैण्ड, नेपाल, पाकिस्तान, सिंगापुर, जर्मनी और स्विट्जरलैण्ड की यात्रा कर चुके हैं।
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