ब्यावर से निकलकर पूरे विश्व में ख्यातिप्राप्त हास्य की हस्ती कवि सुरेंद्र दुबे के निधन पर रविवार को श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। इसमें सामाजिक, राजनीतिक, साहित्यिक व काव्य जगत से जुड़े लोगों ने शब्द पुष्पांजलि अर्पित की।
भारती साहित्य कला संस्थान अध्यक्ष गणपत सिंह मुग्धेश, पत्रकार रामप्रसाद कुमावत, प्रमोद वाजपेयी, कांग्रेस नेता दिनेश शर्मा, रमेश आचार्य, कवयित्री वीणा शर्मा, युवा रचनाकार सुमित सारस्वत, हास्य कवि हीरालाल जनागल, फोटो जर्नलिस्ट बबलू अग्रवाल, श्याम शर्मा, मुकेश पांडे, अशोक सेन, चेतन शर्मा, मदनमोहन शर्मा ने दुबे से जुड़े संस्मरण सुनाकर यादों को ताजा किया।
वक्ताओं ने कहा कि सुरेंद्र दुबे का दुनिया से जाना हास्य जगत की बहुत बड़ी हानि है। उनकी कविताएं सुनकर तनाव में राहत मिलती थी। वे अपनी कविताओं के माध्यम से परिस्तिथियों पर कटाक्ष करते थे। जीवन शैली की सरलता समझाते थे।
पारिवारिक सदस्य अंकुर उपाध्याय ने काव्य जगत की विशिष्ट प्रतिभा को दुबे की स्मृति में सम्मान दिए जाने की बात कही। सभा के अंत में दुबे द्वारा आखिरी बार गाया गया जीवन और मृत्यु की हकीकत को बयां करता गीत 'जा रहा हूं दूर इतना, मिल ना पाऊंगा बिछड़कर..' ऑडियो के जरिए सुनाया तो सभी भावुक हो गए।
सभा में अभय शर्मा, मृदुला उपाध्याय, अर्चना शर्मा, ज्योति अग्रवाल, प्रकाश सेठी, कमल मारोठिया, हरीश शर्मा, उमाकांत द्विवेदी, शैलेश शर्मा, घनश्याम तंवर, विजेंद्र प्रजापति, अरूण गर्ग, संदीप खंडेलवाल, अजय गोला, जय तंवर, उत्तम भंडारी, अशोक खंडेलवाल, सुरेंद्र मारोठिया, संजय सिंह गहलोत, हेमेंद्र सोनी सहित बड़ी संख्या में शहरवासियों ने श्रद्धासुमन अर्पित किए।
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