प्रभु की बगिया में आयोजित रामकथा का रविवार को विराम हुआ। विराम सत्र में संत उमाशंकर महाराज ने राज्याभिषेक का प्रसंग सुनाया। उन्होंने कहा कि यदि रामचरित मानस की एक चौपाई भी मनुष्य अपने जीवन में उतार ले तो उसका जीवन सार्थक हो जाता है।
राज्याभिषेक करते हुए संत ने कहा कि कोई संपत्ति अपने बेटों को देता है तो कोई बेटी, बहू को देता है। संपत्ति देना और लेना तो ठीक है परंतु उस संपत्ति का सही उपयोग हो तभी देना और लेना उचित है। यही जीवन का प्रथम राज्याभिषेक है। राम को वनवास होना और फिर अवध का राजा बनना यह संदेश देता है कि जीवन में सुख और दुख आते हैं मगर हर परिस्थिति में प्रसन्न रहना चाहिए। कथा में चिया उपाध्याय, प्रान्वी शर्मा, श्रेया उपाध्याय, नमन दगदी, कुमकुम दगदी, सपना दगदी, खुशी परिहार ने श्रीराम राज्याभिषेक प्रसंग का सजीव मंचन किया। भगवान के अवध लौटने पर सभी ने पुष्प वर्षा के बीच उत्सव मनाया।
कथा में अंकुर उपाध्याय, अभय शर्मा, जी.के. श्रीवास्तव, अरूण गर्ग, गोपाल वर्मा, सत्यनारायण अग्रवाल, सुमित सारस्वत, अजय शर्मा, दिनेश चतुर्वेदी, बुधराज चौहान, मोहन दगदी, मृदुला उपाध्याय, अर्चना शर्मा, वंदना शर्मा, रजनी शर्मा, साधना सारस्वत, ज्योति अग्रवाल, प्रिया शर्मा, मधु शर्मा, सुमित्रा जैथल्या, कृपाली तंवर, नीतू दगदी, सीमा टांक, डी.के. व्यास, आर.के. गुप्ता, हरी तंवर, अजय गोला, आशीष, हर्षुल गर्ग, चिरायु गर्ग, जय तंवर, रमेश शर्मा, श्याम शर्मा, माणक डाणी, दिलीप सेन, नरेंद्र बोहरा सहित सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने धर्मलाभ लिया। सोमवार को हवन व पूर्णाहुति होगी। -सुमित सारस्वत, मो.09462737273
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