श्री बालाजी व जानकी महिला मंडल की ओर से आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस ध्रुव चरित्र का गुणानुवाद किया गया। पंडित रविशंकर शास्त्री ने कहा कि भगवान जाति, धर्म, रंग, रूप देखकर कृपा नहीं करते। वो भक्त की भक्ति देखकर कृपा बरसाते हैं। प्रभुजी जैसो तैसो मैं तेरो.. रटते हुए रामदास चमार ने भगवान को प्राप्त कर लिया था।
कथावाचक ने कहा कि सनातन वृक्ष को हरा-भरा रखने के लिए ब्राह्मण रूपी जड़ की ज्ञान वृद्धि होना आवश्यक है। जब संशय हो तो हृदय की बात सुनो। हृदय में ठाकुरजी का वास होता है। परमात्मा को पाने के लिए तप करें। तप नहीं किया तो पतन हो जाएगा। पाप लोभ का बाप है। लोभ आने पर मनुष्य पाप करता है।
दांपत्य रिश्ते को सुखद बनाने का संदेश देते हुए शास्त्री ने कहा कि गृहस्थ जीवन श्रेष्ठ होना चाहिए। दांपत्य में कटुता नहीं हो। पति-पत्नी को भजन करना चाहिए। पतिव्रता स्त्री सदैव पति से प्रेम करती है। उन्होंने कहा कि इंद्रियों को वश में रखें। वश में ना रहे तो संतों की शरण में जाएं। कथा के मध्य देवेश यादव ने ध्रुव का रूप धारण कर भक्ति का सजीव मंचन किया। लगन तुमसे लगा बैठे.., सांवरियो है सेठ म्हारो राधाजी सेठानी है.. भजनों पर श्रोता झूम उठे।
श्री बालाजी व जानकी महिला मंडल की सदस्याएं। फोटो : सारस्वत |
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..तो कार्टून बन जाएगा बच्चा
शास्त्री ने कहा, बच्चों को गायत्री मंत्र व वेदों का ज्ञान कराएं। अगर बच्चे कार्टून नेटवर्क देखेंगे तो खुद कार्टून बन जाएंगे। माता-पिता व्हाट्सएप पर समय बिताने की बजाय बच्चों पर ध्यान दें। अगर एक सुपुत्र भक्त हो जाए तो सात पीढ़ी का जीवन सफल कर देता है। पुत्र भक्त बना तो माता-पिता और परिवार की सेवा भी करेगा। भक्त नहीं बना तो चोर, डाकू या नेता बनेगा।
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ऐसे करें संत की पहचान
कथावाचक ने बताया कि कपिल भगवान के अनुसार संत वो है जिसमें क्षय करने की शीलता हो। जो सबको साथ लेकर हरि भजन करे। साधु की सेवा करे। जिसमें अहंकार न हो। वंश से ही नहीं, मन से भी संत बना जा सकता है। भगवा पहनने वाला संत नहीं होता। संत की पहचान के लिए विवेक होना जरूरी है।
शुक्रवार को धूमधाम से मनाएंगे नंदोत्सव
शुक्रवार को कथा में वामन अवतार, राम जन्म, कृष्ण जन्म प्रसंग पर व्याख्यान होगा। ठाकुरजी के जन्म अवसर पर धूमधाम से नंदोत्सव मनाया जाएगा। कथास्थल को रंग-बिरंगे गुब्बारों से सजाया जाएगा। भक्तों को बधाई बांटी जाएगी।
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