देश में आपातकाल के दौरान राजनीतिक और सामाजिक कारणों से जेल में बंद रहे प्रदेश के मीसाबंदी अब लोकतंत्र रक्षक सैनानी के रूप में जाने जाएंगे। मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की अध्यक्षता में मंगलवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में हुई मंत्रिमण्डल की बैठक में 'राजस्थान मीसा एवं डी.आई.आर. बंदियों को पेंशन नियम, 2008' में संशोधन का निर्णय लिया गया।
संसदीय कार्य मंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने मंत्रिमण्डल की बैठक में हुए निर्णयों की जानकारी देते हुए बताया कि राजस्थान मीसा एवं डी.आई.आर. बंदियों को पेंशन नियम, 2008 में संशोधन कर इसका नाम 'राजस्थान लोकतन्त्र रक्षक सम्मान निधि नियम, 2008' किया जाएगा। अब राजस्थान के मूल निवासी ऐसे बंदी जो आपातकाल के दौरान राज्य से बाहर की जेलों में रहे हैं उन्हें भी इन नियमों के तहत पेंशन एवं भत्ते दिए जाएंगे। अब तक सिर्फ राजस्थान की जेलों में बंद रहे राज्य के मूल निवासी मीसा बंदी ही पेंशन और भत्ते के हकदार थे।
वहीं पेंशन आवेदन के लिए आपातकाल के दौरान मीसा और डी.आई.आर. के अधीन बंदी रहने का प्रमाण पत्र जेल अधीक्षक या जिला पुलिस अधीक्षक से लेना पड़ता था। अब संशोधन के बाद प्रावधान किया गया है कि जेल तथा पुलिस थानों में रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में मीसा बंदी पेंशन के लिए शपथ पत्र तथा संबंधित जिले के वर्तमान या पूर्व विधायक या सांसद द्वारा प्रमाणित दो सहबंदियों के प्रमाण पत्र के आधार पर भी आवेदन किया जा सकेगा। संशोधन के तहत एक माह जेल में रहने वाले ऐसे मीसा बंदी भी पेंशन एवं भत्तों के हकदार होंगे जो उस समय वयस्क नहीं थे। अब तक जेल में रहे केवल ऐसे मीसाबंदियों को ही पेंशन मिलती थी जो उस समय वयस्क थे।
यह भी पढ़ें..
0 comments:
Post a Comment