✍ सुमित सारस्वत
Ram Katha in Ayodhya: जन-जन के आराध्य भगवान श्री राम की जन्मभूमि पर शनिवार को अंतर्राष्ट्रीय संत मोरारी बापू (Morari Bapu) के श्रीमुख से रामकथा की शुरूआत हुई. अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) बनने के बाद श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास की ओर से विशाल स्तर पर आयोजित कथा की शुरूआत में ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय व कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंद गिरी महाराज ने बापू का स्वागत किया. भगवान हनुमान को आमंत्रण देने के बाद राम स्तुति गाते हुए बापू ने अपने जीवनकाल की 932वीं रामकथा शुरू की.
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अयोध्या में बना तीनों लोकों का मंदिर
मानस राम मंदिर विषय पर कथा सुनाते हुए मोरारी बापू ने कहा कि लोग कहते हैं कि राम भारत का प्राण है लेकिन मैं कहता हूं कि भारत के राम प्राण नहीं, प्राण के भी प्राण हैं, जीव के भी जीव हैं, सुख के भी सुख हैं. राम भारत का प्राण और विश्व की आत्मा है. राम मंदिर सिर्फ भारत का ही नहीं, तीनों लोकों का मंदिर है. बापू ने कहा कि कुछ मंदिर भव्य होते हैं, कुछ मंदिर दिव्य होते हैं लेकिन राम मंदिर सेव्य है. यह मंदिर जब बाहर से देखो तो भव्य है, अंदर जाओ तो दिव्य है, और जैसे-जैसे ठाकुर जी के समीप जाओगे तो सेव्य है. बरसों से कई संतों-महंतों और लोगों की इच्छा रही कि यह मंदिर बने.
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सातवीं बार सातवें अवतार की कथा
प्रवचन के दौरान बापू ने कहा कि भगवान के दशावतार में राम सातवां अवतार है. मुझे खुशी है कि इस बार अयोध्या में सातवीं कथा करने आया हूं. मेरा परम सौभाग्य है कि राम को राम की कथा सुनाने आया हूं. मुझे पूर्ण विश्वास है कि भगवान राम स्वयं इस कथा का श्रवण अवश्य करेंगे. बापू ने गांधी बापू का वाक्य बोलते हुए कहा कि जिसको रामायण और महाभारत का पता नहीं है, उसे हिन्दुस्तानी कहलाने का अधिकार नहीं. यह ऐसे ग्रंथ हैं जो हर सनातनी के घर में मिलते हैं. साधु का झोला भी देखोगे तो उसमें से भी यही ग्रंथ निकलेंगे.
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गुरु परम ब्रह्म के समान
गुरु महिमा सुनाते हुए कहा कि गुरु परम ब्रह्म के समान है. गुरु ही गणेश है, सूर्य है, शिव है, विष्णु है, जगदंबा है. जगद्गुरु शंकराचार्य कहते हैं कि संत और महंत जगत का कल्याण करने के लिए पूरे विश्व में घूमते रहते हैं. संत, गुरु, नदी, वृक्ष और पर्वत सदैव परहित का काम करते हैं. साधु में वृक्ष के समान सभी गुण होते हैं.
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गर्भगृह में स्थापित होंगे पवित्र धार्मिक ग्रंथ
कथा के लिए अयोध्या आए मोरारी बापू अपने साथ तीन पवित्र धार्मिक ग्रंथ लेकर आए. बापू ने राम मंदिर ट्रस्ट पदाधिकारियों को वाल्मिकी रामायण, तुलसी रामायण और रामचरितमानस ग्रंथ भेंट किए. महासचिव चंपत राय ने कहा कि यह तीनों पवित्र ग्रंथ रामलला के गर्भगृह में स्थापित करेंगे. मंदिर आने वाले भक्त इन पवित्र ग्रंथों का दर्शन कर सकेंगे. ©सुमित सारस्वत
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