Thinker, Writer, Anchor

Showing posts with label Bollywood News. Show all posts
Showing posts with label Bollywood News. Show all posts

January 2, 2024

New TV Serial: आज से कलर्स पर आएगा 'मेरा बालम थानेदार', सीरियल में दिखेंगे पुष्कर के धोरे और सरोवर

Mera Balam Thanedar Serial: राजस्थान की सभ्यता और संस्कृति पूरी दुनिया में अनूठी है. इसकी झलक अब बॉलीवुड की फिल्मों और टीवी सीरियल्स में भी देखने को मिल रही है. विश्व प्रसिद्ध टेंपल सिटी पुष्कर (Temple City Pushkar) में बने धारावाहिक 'दीया और बाती हम' की सफलता के बाद यहां बना एक और नया सीरियल आ रहा है. यह नया शो 'मेरा बालम थानेदार' कलर्स चैनल पर बुधवार से शुरू होगा. शगुन पांडे (Shagun Pandey) और श्रुति चौधरी (Shruti Choudhary) के इस धारावाहिक का पहला एपिसोड रात 9.30 बजे प्रसारण होगा. इस सीरियल का प्रोमो भी सामने आया है, जो काफी जबरदस्त है.

कम उम्र में विवाह विषय पर आधारित
'मेरा बालम थानेदार' सीरियल में शगुन पांडे और श्रुति चौधरी मुख्य भूमिका में हैं. यह शो श्रृंखला कम उम्र में विवाह विषय पर आधारित है. इस राजस्थानी धारावाहिक में श्रुति ने बुलबुल और शगुन ने वीर प्रताप सिंह का किरदार निभाया है. कहानी में बुलबुल एक युवा लड़की है जो मानती है कि यदि झूठ से किसी का भला हो तो झूठ बोलना बुरा नहीं है. दूसरी ओर, वीर एक पुलिस अधिकारी है जिन्हें झूठ और धोखे से नफरत है. एक ऐसा अधिकारी, जो किसी भी प्रकार के धोखे को गंभीर अपराध मानता है. बुलबुल के माता-पिता उसकी वास्तविक उम्र छुपाकर कम उम्र में ही वीर से शादी करवा देते हैं. इसी बाल विवाह के इर्द-गिर्द यह कहानी है.

यह भी पढ़ें- अजमेर में क्यों हुआ यह हादसा ?

अजमेर-पुष्कर में फिल्माए शॉट
'मेरा बालम थानेदार' की प्रेम कहानी राजस्थान (Rajasthan) की पृष्ठभूमि पर आधारित है और दो व्यक्तियों के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है. इनमें एक समर्पित पुलिस अधिकारी है और एक उत्साही किशोर लड़की. शो का नायक वीर एक ईमानदार और सिद्धांतवादी पुलिस अधिकारी है जो झूठ से नफरत करता है. राजस्थानी पृष्ठभूमि पर आधारित इस सीरियल की शूटिंग 6 दिसंबर 2023 को पुष्कर में शुरू हुई थी. अधिकतर शॉट अजमेर (Ajmer) और पुष्कर (Pushkar) में फिल्माए हैं. इस शो में पुष्कर सरोवर के घाट भी जगमगाते दिखाई देंगे. शो के मुख्य किरदारों की शादी भी पुष्कर के कोटा घाट पर विवाह मंडप बनाकर करवाई गई थी.

संस्कृति और आस्था का संगम
राजस्थानी संस्कृति से सराबाेर यह शो आस्था को भी प्रकट करता है. इस सीरियल की नायिका कलयुग अवतारी देव खाटूश्याम बाबा (Khatu Shyam Baba) के प्रति गहरी आस्था रखती है. एक सीन में बुलबुल खाटूश्यामजी से प्रार्थना करते हुए कह रही है कि आपको तो पता है मुझे बचपन से शादी का शौक है. मेरी शादी जल्दी करवा दीजि
ए. ©सुमित सारस्वत

 

यह भी पढ़ें- क्यों की खाटूश्यामजी की पदयात्रा ?
 

Sumit Saraswat available on :
Share:

June 2, 2019

धोरों की धरती से विदा हो गई डेजर्ट क्वीन | Desert Queen Harish No More

क्वीन हरीश, जो अब इस दुनिया में नहीं रहा। आज सुबह जोधपुर जिले में हुए एक सड़क हादसे में देहावसान हो गया। गंगाजल मूवी में एक आइटम डांस कर देश-दुनिया में पहचान बनाने वाले राजस्थान के इस कलाकार को खो देने की खबर अत्यंत दुःखद है।


हरीश से पहली मुलाकात कई साल पहले लोक मेले में हुई थी। प्रस्तुति के बाद साक्षात्कार किया तब से ही मित्रता थी। ये डांस की हर विधा में माहिर था। एक ऐसा कलाकार जो महिला वेश में मुजरा और बैले डांस से दर्शकों को दंग कर देता
था। चेहरे की भाव-भंगिमाओं से दर्शकों को आनंदित कर देने वाला अभिनय। किसी को आभास भी नहीं होता कि ये लड़की नहीं, लड़का है। जिसे पता लगता वो आश्चर्यचकित हो जाता। वाकई कमाल का कलाकार था।

जब भी शहर से बाहर जाता अपना व्हाट्सएप स्टेटस जरूर अपडेट करता। लौटने पर भी सिर्फ एक शब्द 'जैसलमेर' लिखकर बता देता कि आ गया अपने शहर। आज किले के बाहर खड़ा आसमां की ओर निहारती प्रोफाइल पिक्चर लगी छोड़कर आसमां में ही चला गया। मैं कामना करता हूं कि ईश्वर 'डेजर्ट क्वीन' के अभिनय से खुश होकर इसे अपने पास ही रखेंगे। हादसे में मारे गए अन्य कलाकार साथियों की आत्मा को भी शांति मिले। घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना। -सुमित सारस्वत, मो.09462737273

यह भी पढ़ें : पश्चाताप

Sumit Saraswat available on :
Share:

February 18, 2019

Pakistan can not spoil us anything : Sukhwinder Singh

Bollywood singer and artist Sukhwinder Singh become aggressive after the Pulwama terror attack. He says, Pakistan can not spoil us anything. We will love India the whole life and we will kill the enemies. we will never stop dancing, we will never stop celebrating because we are the great indian. He says, Pakistan you cant stop us to celebrates our life.

Sukhwinder had come to participate in a live concert during the annual festival of Hanuman temple. He appealed for the help of martyr families.Story by Sumit Saraswat



Sumit Saraswat available on :
Share:

October 11, 2018

तनाव मुक्त करता है नृत्य | Do Dance

ब्यावर शहर की नवोदित प्रतिभाओं को निखारकर नृत्य कला में पारंगत करने के लिए प्रतिष्ठित नृत्य कला संस्थान मैक्स आर डांस पॉइंट पर विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम संयोजक महेश कुमावत ने बताया कि समापन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सुमित सारस्वत थे।
सारस्वत ने कहा कि नृत्य तनाव से मुक्त कर मन को आनंदित करता है। नवरात्रि में गरबा रास के जरिए मां दुर्गा की आराधना की जाती है। नौ दिवसीय कार्यशाला में हर आयु वर्ग के 30 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। इन्हें डांडिया, राजस्थानी गरबा, कृष्ण रास व गुजराती गरबा का प्रशिक्षण दिया गया। सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में नीता कुमावत, रमेश लालवानी, डॉली सक्सेना, सुनीता कुमावत, रानू राठौड़, सलोनी बाहेती, सत्यनारायण कुमावत, सुनील जैन, देवाराम व अन्य लोग शामिल हुए।

Share:

January 9, 2018

राजस्थान की ऋतु ने जीता अदा मिसेज इंडिया 2017 का खिताब | Ritu Gautam Ada Mrs India 2017

राष्ट्रीय सौन्दर्य प्रतियोगिता में राजधानी जयपुर की ऋतु गौतम को अदा मिसेज इंडिया 2017 के सम्मान से नवाजा गया है। अदा वुमन फाउंडेशन की ओर से देहरादून में आयोजित हुए इस कॉम्पीटिशन के लिए देशभर से 17 फाइनलिस्ट को चुना गया था।
ऋतु ने बताया कि इस सौन्दर्य प्रतियोगिता में चयन के लिए कई स्थानों में आॅडिशन हुए। इनमें 17 को फाइनलिस्ट के लिए चुना गया, उनमें से एक मैं भी थी। मेरा मानना है कि शादी के बाद भी महिलाएं खुद को खूबसूरत और मेंटेन रख सकती हैं। शादी के बाद महिलाएं अपनी निजी पहचान भुला देती हैं। अगर जिंदगी में कुछ कर गुजरने का जज्बा और जुनून हो तो उसे सफलता के शिखर पर पहुंचने से कोई नहीं रोक सकता। ऐसी प्रतियोगिताओं से हर हिन्दुस्तानी महिला का सम्मान बढ़ेगा। इस अवॉर्ड के अलावा मुझे तीन अन्य अवॉर्ड मिसेज टेलेंटिड, मिसेज आलराउंड और मिसेज ब्यूटीफुल बॉडी शामिल है। ऋतु का सपना है कि वह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन करें।


प्रतियोगिता में चार राउंड आयोजित किए गए। पहला राउंड ट्रेडिशनल, दूसरा कैजुअल, तीसरा इंडो वेस्टर्न और चौथा काॅकटेल गाउन था। आखिर में सवाल जवाब राउंड के बाद टाॅप छह प्रतिभागियों का चयन किया गया। मिसेज इंडिया के टाॅप छह प्रतिभागियों में छठी पोजिशन पर ज्योति सिंह एवं शाइनी अग्रवाल के बीच टाई हुआ। वहीं पांचवे स्थान पर स्नेहा अग्रवाल, चौथे पर नेहा पंवार, तीसरे स्थान पर वैष्णवी क्षेत्री कोठियाल, दूसरे स्थान पर सौम्या रहीं। जबकि पहला स्थान पाकर ऋतु गौतम ने मिसेज इंडिया का ताज पहना। प्रतियोगिता के निर्णायक मिसेज यूनिवर्स 2017 शिल्पा अग्रवाल, क्रिकेटर मनप्रीत गोनी, जीटीवी एक्टर अनुराग मल्हान, गुजरात की फैशन डिजाइनर वैशाली शाह के साथ ही मिस्टर अर्थ के ब्रांड एम्बेसेडर अभिषेक कपूर थे।  -सुमित सारस्वत, मो.09462737273

Sumit Saraswat available on :
Share:

पिंक सिटी की प्रीति ने पहना मिसेज राजस्थान का ताज | Preeti Meena Mrs Rajasthan 2018

मिसेज राजस्थान 2018 का ताज पिंक सिटी की प्रीति मीणा ने पहना है। फोटोग्राफी और मॉडलिंग में रूचि रखने वाली प्रीति ने जयपुर में आयोजित ग्रैंड फिनाले में शामिल प्रदेश की 20 सुंदर महिलाओं में पहले पायदान पर जगह बनाकर खिताब जीता। फर्स्ट रनरअप सीमा शर्मा नाइक, सैकंड रनरअप नित्या सिंह तंवर, थर्ड रनरअप निधि मंडावरा और फोर्थ रनरअप नेहा शर्मा रहीं।
फ्यूजन ग्रुप द्वारा आयोजित कॉम्पिटिशन के ग्रैंड फिनाले में कंटेस्टेंट ने रैम्पवॉक किया। जजेज द्वारा पूछे गए इंट्रेस्टिंग सवालों के स्मार्ट जवाब देकर उन्हें इम्प्रेस किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संस्कृति युवा संस्था के अध्यक्ष पं. सुरेश मिश्रा थे। ज्यूरी में चौमू के पूर्व राजघराने की रुक्ष्मनी कुमारी, जयपुर मैराथन के सीईओ मुकेश मिश्रा, अरशद हुसैन, डिजाइनर नरेशंत शर्मा, जसप्रीत, फर्स्ट प्रिंसेज मिस क्वीन ग्लोब इंटरनेशनल एंड मिस राजस्थान 2016 गीतांजलि और आर्य ग्रुप के डायरेक्टर अरविंद अग्रवाल थे। विशिष्ट मेहमानों में राजस्थानी फिल्म अभिनेता श्रवण सागर और बिग बॉस फेम इमाम सिद्दिकी मौजूद थे। गाउन राउंड, वेस्टर्न अटायर राउंड और इंडियन एथनिक राउंड में पार्टिसिपेंट्स ने अलग-अलग थीम के डिजाइनर वियर में खुद को प्रजेंट किया। -सुमित सारस्वत, मो.09462737273


इन प्रतिभावान महिलाओं को भी मिले खिताब
ग्रैंड फिनाले में मिसेज राजस्थान 2018 के 14 सब टाइटल्स से भी प्रतिभावान महिलाओं को नवाजा गया। मिसेज टैलेंटेड नेहा शर्मा, मिसेज पॉपुलर खुशबू उपाध्याय, मिसेज फोटोजेनिक सीमा शर्मा नाइक, मिसेज बेस्ट रैम्प वॉक प्रियंका शर्मा, व्यूअर्स चॉइस अवॉर्ड ममता मीणा, मिसेज ब्यूटीफुल हेयर प्रियंका राठौड़, मिसेज पर्सनालिटी प्रीति मीणा, मिसेज आइकोनिक आईज मनीषा अजमेरा, मिसेज कॉन्फिडेंस नित्या सिंह तंवर, मिसेज स्पार्कलिंग स्माइल सारिका सिंह, मिसेज लवेबल रश्मि याग्निक, मिसेज फ्लॉलेस स्किन सोनू छाबड़ा, मिसेज टोन्ड लैग्स निधि मंडावरा और मिसेज विवेशियस सीमा सारिया को देकर सम्मानित किया गया। सभी टॉप-20 फाइनलिस्ट्स को वर्कशॉप के जरिए अपने अंदर छिपे हुनर और खासियत को निखारकर स्टाइल दीवा बनने की ट्रेनिंग दी गई थी।

Sumit Saraswat available on :
Share:

January 8, 2018

राजे ने कहा, पद्मिनी हमारा स्वाभिमान, नहीं होगा फिल्म का प्रदर्शन

महारानी पद्मिनी के जीवन पर आधारित फिल्म के प्रदर्शन को लेकर मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे ने कड़ा रूख अपनाया है। सीएम ने प्रदेश की जनता की भावनाओं का सम्मान करते हुए कहा है कि राज्य में पद्मावत फिल्म का प्रदर्शन नहीं किया जाएगा। प्रदेश के किसी भी सिनेमाघर में यह फिल्म नहीं दिखाई जाएगी।
श्रीमती राजे ने कहा है कि रानी पद्मिनी का बलिदान प्रदेश के मान-सम्मान और गौरव से जुड़ा हुआ है, इसलिए रानी पद्मिनी हमारे लिए सिर्फ इतिहास का एक अध्यायभर नहीं, बल्कि हमारा स्वाभिमान है। उनकी मर्यादा को हम किसी भी सूरत में ठेस नहीं पहुंचने देंगे। इस संबंध में उन्होंने गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया को निर्देश भी दिए।


Share:

November 19, 2017

विरोध के बीच दीपिका ने बिग बॉस के घर में किया पद्मावती का प्रमोशन, बोली- एक दिसंबर को रिलीज होगी फिल्म

पूरे देश में हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच पद्मावती फिल्म की मुख्य किरदार अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने बिग बॉस के घर जाकर फिल्म का प्रमोशन किया। यहां दीपिका ने प्रतिभागी शिल्पा को पद्मावती खिताब से नवाजा। घर के सभी सदस्यों के साथ घूमर गाने पर नृत्य किया।

इसके बाद दीपिका ने सलमान से मुलाकात के दौरान कहा कि फिल्म पद्मावती एक दिसंबर को रिलीज होगी। उन्होंने देश में फैले आक्रोश पर सफाई देते हुए यह खुलासा कि फिल्म में खिलजी का भूमिका निभा रहे रणवीर सिंह के साथ उनका कोई सीन नहीं है। दीपिका के इतना कहते ही सलमान ने समर्थन में 6-7 बार इसी बात को दोहराते हुए कहा कि ‘सुना आपने, फिल्म पद्मावती में दीपिका और रणवीर का कोई सीन नहीं है।’ अलग-अलग कैमरों के सामने बार-बार एक ही बात दोहराते हुए सलमान विरोधियों के जवाब में फिल्म की हिमाकत करते दिखे। सलमान ने फिल्म का एक डायलॉग भी सुनाया। बातचीत के दौरान सलमान के एक सवाल पर दीपिका ने कहा कि वे संजय लीला भंसाली से शादी करेंगी। यह सुनते ही सलमान तपाक से बोले, यह शादी चलेगी नहीं। -सुमित सारस्वत

Share:

November 18, 2017

भारत की मानुषी छिल्लर के सिर सजा मिस वर्ल्ड 2017 का ताज | Miss World 2017 Manushi Chhillar

17 साल बाद एक बार फिर विश्व सुंदरी का ताज भारत की बेटी के सिर पर सजा है. भारत की मानुषी छिल्लर ने मिस वर्ल्ड 2017 का प्रतिष्ठित ताज अपने नाम कर लिया है. उनसे पहले ये खिताब 17 साल पहले 2000 में प्रियंका चोपड़ा ने जीता था. छिल्लर ने चीन के सान्या शहर एरीना में आयोजित समारोह में दुनिया के विभिन्न हिस्सों से 108 सुंदरियों को पछाड़ कर यह खिताब अपने नाम किया है.

मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से मानुषी के विजेता बनने की घोषणा की गई. ट्वीट में कहा गया है, ‘‘मिस इंडिया वर्ल्ड की विजेता, मिस इंडिया मानुषी छिल्लर हैं.’’ मानुषी इंग्लैंड, फ्रांस, कीनिया और मैक्सिको की प्रतिभागियों के साथ आखिरी पांच दावेदारों में शामिल हुईं. प्रतियोगिता में दूसरे स्थान पर मिस इंग्लैंड स्टेफनी हिल और तीसरे स्थान पर मिस मैक्सिको आंद्रिया मेजा रहीं. पिछले साल की मिस वर्ल्ड स्टीफेनी डेल वेले ने मानुषी को ताज पहनाया.


शीर्ष पांच प्रतिभागियों में जगह बनाने के बाद मानुषी से सवाल किया गया कि उनके मुताबिक कौन सा पेशा सर्वाधिक वेतन का हकदार है? उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि मां सबसे ज्यादा सम्मान की हकदार है और जब आप वेतन की बात करते हैं तो यह सिर्फ नकदी नहीं है बल्कि मेरा मानना है कि यह प्रेम और सम्मान है जो आप किसी को देते हैं. मेरी मां मेरी जिंदगी में सबसे बड़ी प्रेरणा रही हैं.’’ मानुषी ने कहा, ‘‘सभी मांएं अपने बच्चों के बहुत कुछ त्याग करती हैं. इसलिए मुझे लगता है कि मां का काम सबसे अधिक वेतन का हकदार है.’’ इससे पहले साल 2000 में प्रियंका चोपड़ा मिस वर्ल्ड बनीं थीं. वर्ष 1999 में यह खिताब भारतीय सुंदरी युक्ता मुखी के नाम हुआ था.


साल 1997 में डायना हेडन और 1994 में ऐश्वर्या राय मिस वर्ल्ड बनीं थी. मिस वर्ल्ड बनने वाली पहली भारतीय सुंदरी रीटा फारिया हैं जिन्होंने 1966 में यह खिताब अपने नाम किया था. मिस वर्ल्ड की वेबसाइट पर मौजूद मानुषी के प्रोफाइल के अनुसार हृदय रोग सर्जन बनना चाहती हैं और ग्रामीण इलाकों में बहुत सारे गैर लाभकारी अस्पताल खोलना चाहती हैं.

वह प्रशिक्षित शास्त्रीय नृत्यांग्ना हैं. उनको खेल-कूद में काफी दिलचस्पी है. स्केचिंग और पेटिंग भी उन्हें पसंद है. वेबसासइट पर निजी जिंदगी का उनका मकसद के बारे में लिखा गया है, ‘‘जब आप सपना देखना बंद कर देते हैं तो जीना बंद कर देते हैं और अपने सपनों में उड़ान भरने का हौसला खो देते हैं. खुद पर भरोसे की क्षमता आपकी जिंदगी को जीने लायक बनाती है.’’
Share:

November 17, 2017

रानी पद्मावती ने खत में लिखा दर्द | Letter of Rani Padmavati

प्रिय विजय
तुम्हारे पत्र ने चित्तौड़गढ़ की स्वर्णिम स्मृतियों को ताजा कर दिया। वे स्मृतियां जो उस मनहूस दिन राख में बदल गईं थीं। चित्तौड़ के अासमान पर उस दिन सूरज रोज की तरह चमक रहा था। मगर हमारे जीवन में एक गहरी अमावस सामने तय थी। राजपूतों की पीढ़ियों की प्रतिष्ठा दाव पर थी। रनिवास में हम सबके चेहरों का रंग उड़ा हुआ था। ऐसा खौफ इसके पहले कभी महसूस नहीं हुआ था। हमारे पुरुष वीर थे। वे वीरों की तरह ही अपने भाल पर तिलक लगाकर युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए। हमने अपने दुश्मन पर भी विश्वास किया। कोई छलकपट, धोखा नहीं किया। यही हमारा संस्कार था। शायद यही हमारी कमजोरी थी। आखिरकार हम अपने ईश्वर का स्मरण करते हुए कतार से अग्निकुंड में जाकर अपनों से और अपनी जिंदगी से विदा हुए थे। वह शारीरिक पीड़ा तो पल पर की थी। लपटों में जाकर प्राण पखेरू कुछ ही क्षणों में उड़ गए थे। देह कुछ देर में भस्म हो गई थी। मगर जिंदा रहते बेबसी के वे आखिरी पल पराजय और अपमान की भयावह मानसिक पीड़ा के थे। वह टीस देहमुक्त होने के सात सौ साल बाद भी कम नहीं हुई।
चित्तौड़ को राख में से फिर उठ खड़ा होने में ज्यादा समय नहीं लगा होगा। मगर तब हम नहीं थे। हम चित्तौड़ की यादों का हिस्सा हो गए। चंदेरी की रानी मणिमाला और रायसेन की रानी दुर्गावती के सामूहिक आत्मदाह के बारे में आपने लिखा है। आप इतिहास की किताबें खंगालेंगे तो पता चलेगा कि चित्तौड़ की हैसियत तब आज की दिल्ली जैसी थी। कई राजपूत राजघरानों का शक्तिकेंद्र चित्तौड़ ही था। राणा कुंभा, राणा सांगा और महाराणा प्रताप ने मेवाड़ को शक्तिशाली बनाया था। तब हमारे बहुत गहरे रिश्ते रायसेन, चंदेरी और मांडू के राजाओं से थे। हम जानते हैं कि बाद की सदियों में मणिमाला और दुर्गावती के साथ भी सैकड़ों राजपूत औरतें जौहर के अग्निकुंडों में उतरकर हमारे पास आती रहीं। सुनाने के बाद सबके पास एक जैसी कहानियां थीं। राजपूत राजघरानों की वे रानियां भी अंतत: यहीं आईं, जो तुगलकों और मुगलों के हरम में गई थीं और उनके बच्चे हुए थे, जिनमें से कई सुलतान और बादशाह भी बने। मेरे समय खिलजी था। बाद में नाम बदलते गए। जौहर की आग बुझी नहीं। वह किलों में भी धधकती रही और दिलों में भी! यह सदियों से आ रहे रुलाने वाले समाचारों की ऐसी श्रृंखला है, जिसने हमारी आत्मा को भी इस लायक नहीं छोड़ा कि हम दूसरी देह धारण करके फिर लौटने का साहस करते।


आपने देश के तीन टुकड़ों में बंटने के बारे में भी लिखा। इसका पता हमें तभी हो गया था। पाकिस्तान नाम के टुकड़े में, जो लोग हमारे जैसी ही मौत मरने के लिए मजबूर हुए, उन औरतों-बच्चों के भी कई काफिले यहां आए। कोई कुएं में कूद कर मरा था। कोई तलवारों से काटा गया। कोई जीते-जी शोलों में बदल दिया गया। लाशों से भरी ट्रेनें। कई औरतें, जो लूट के माल की तरह उठा ली गईं थीं, वे एक लंबी यातना भरी जिंदगी जीने के बाद कहीं गुमनाम अंधेरी कब्रों में जा सोईं। वे न इज्जत से जी सकीं, न मर सकीं। उनकी रूह कंपाने वाली कहानियां हमने यहां सुनीं।
तुमने एकदम सच कहा। भारत से हमारा परिचय तथागत गौतम बुद्ध से ही था। श्रीलंका में बुद्ध का विचार भारत से ही आया था। हमारी कल्पना थी कि जहां कभी बुद्ध हुए, वहां हर तरफ शांति होगी, विपस्सना के अनुभव होंगे। जीवन अपने सुंदरतम रूपाें और कलाओं में विकसित हो रहा होगा। निस्संदेह यह धरती का ऐसा टुकड़ा होगा, जिसके पास दुनिया को बताने के लिए काफी कुछ शुभ समाचार होंगे। अजंता-एलोरा, सांची-सारनाथ, नालंदा-विक्रमशिला में बुद्ध का विचार कितने रूपों में खिला, इसे शब्दों में व्यक्त करना असंभव है। मगर क्या भारत ने कभी कल्पना की थी कि उसकी समृद्धि किन बेरहम बहेलियों को सदियों तक हमलों और कब्जों के लिए एक खुला निमत्रंण हो सकती है? क्या भारत ने कभी सोचा था कि उसे किन ताकतों से टकराना होगा? किस-किस तरह के बर्बर काफिले भारत का शिकार करने आने वाले हैं? वे किस तरह की कभी न खत्म होने वाली लड़ाइयों में भारत को कोने-कोने में धकेल देंगे और कब्जे कर-करके एक नई पहचान कायम करने की निर्लज्ज कोशिशें करते रहेंगे? किस तरह हमारे ही लोग उस नई पहचान में अपनी जड़ों को भुलाकर गाफिल हो जाएंगे?
दुनिया के इतिहास में यह बहुत ही दर्दनाक अनुभव हैं, जो भारत के हिस्से में आए। भारत धरती का एक और बेजान टुकड़ा भर नहीं था। सदियों की विकास यात्रा में इस देश ने संसार को कई कमाल की चीजें दी थीं। यहां का धर्म इस निष्कर्ष पर पहुंचा था कि अंतत: समस्त प्रकार की हिंसाओं से मुक्त होकर सच्ची मानवता के लिए खुले दिल और दिमाग से ही कुछ श्रेष्ठ हो सकता है। इसलिए हमने महाविनाश के महाभारत भी भुगते, किंतु एक समय बुद्ध की शांति को ही शिरोधार्य किया।
मैं पूछना चाहती हूं कि क्या भारत ने आज भी कभी इनके बारे में ठीक से सोचा है? मैं चाहती हूं कि हम एक बार तो सच का सामना करें। यह हमारा साझा सच है। इसमें कोई बहुसंख्यक या अल्पसंख्यक नहीं है। तुमसे सहमत हूं कि हम ही बहुसंख्यक हैं। हम ही अल्पसंख्यक हैं। मैं सात सदियों के इस पार से बहुत साफ देख सकती हूं कि हम सब एक ही हैं। सरहदों के इस तरफ भी हम हैं, उस पार भी हम हैं। मंदिरों में स्तुति भी हम कर रहे हैं, मंदिर के विरोध में भी हम ही हैं और हमें अहसास भी नहीं। रावलपिंडी के पास तक्षशिला किसने बनाया था? अफगानिस्तान में बामियान के बुद्ध किसने गढ़े थे? शैव और बौद्ध परंपराओं का केंद्र रहे कश्मीर में हम ही हम पर पत्थर फैंक रहे हैं। हम ही हमारे पीछे बम-बारूद लिए पड़े हैं। जो जबरन थोपी गई नई पहचानों में गाफिल हैं, वे भी उन आंधियों में उड़े हुए तिनके ही हैं, जो सदियों तक देश के हर हिस्से में हमें भुलाती-भटकाती रहीं। मैं तो उस अपवित्र आंधी से सीधी टकराने वाली बेबस सदियों की एक अभागी किरदार भर हूं।


खिलजी से चित्तौड़ का सामना कोई नई घटना नहीं थी। उसके पहले जलालुद्दीन खिलजी ने भी रणथंभौर को जमकर लूटा और बरबाद किया था। और पहले बिहार-बंगाल में भी नालंदा और विक्रमशिला आग के हवाले किए गए थे। ये कारनामे भी किसी बख्तियार खिलजी ने ही किए थे। गजनी से आए किसी बेरहम मेहमूद ने तो 17 बार भारत को रौंदा था। हम सोमनाथ के किस्से सुनते थे तो डर से ज्यादा आश्चर्य होता था। लूटकर हमारे देवालयों को तोड़ गिराने का मतलब हम कभी नहीं समझे और कई जगह उन्हीं मंदिरों के मलबे से नई इमारतें बनाना तो बिल्कुल ही समझ के परे था। अजयमेरू यानी आज का अजमेर तो हमसे ज्यादा दूर नहीं था। वहां जिसे आप अढाई दिन का झोपड़ा कहते हैं, जरा उन पत्थरों को आंख खोलकर और दिल थामकर देखिए। वे जख्मों की कौन सी कहानी सुना रहे हैं?
सच बात तो ये है कि तब पूरा देश ही मलबे में बदल रहा था। देश हर जगह एक नई और डरावनी शक्ल ले रहा था। चारों तरफ से व्यापारी समूह और राजदूत उस समय के भारत में चल रही लूट और हमलों की कहानियां चित्तौड़ में भी आकर सुनाया करते थे। चित्तौड़ के किले पर खड़े होकर तब हम चर्चाएं किया करते थे कि कोई शासक ऐसा कैसे कर सकता है कि देवताओं की मूर्तियों को तोड़कर मांस तौलने के लिए कसाइयों को दे दे या किसी मस्जिद की सीढ़ियों पर चुनवा दे ताकि वह लोगों के पैरों तले रौंदी जाए? कौन सा धर्म इसकी इजाजत देता है? सत्तर साल पहले एक नया शब्द भारत से सुनने में आया-सेकुलर। मगर हम इसका मतलब नहीं समझे और जो खबरें अब आती हैं तो लगता है कि मेरे भारत को ये क्या हो गया? भारत अपनी चमकदार लेकिन गुमशुदा याददाश्त के साथ किस दिशा में कूच कर गया?
अरे हां, किन्हीं संजयलीला भंसाली का जिक्र तुमने किया है। मुझे अच्छा लग रहा है कि वे कोई फिल्म मुझ पर बना रहे हैं। तुम देखो तो बताना कि पद्मिनी की कहानी को कैसे दिखाया? मुझे विश्वास ही नहीं है कि हमारे दौर की त्रासदियों को कोई जस का तस दिखा सकता है। उसे सब्र से देखने और देखकर शांत रहने के लिए भी बड़ा कलेजा चाहिए। कभी सोचना, आपके घर के चारों तरफ भूखे भेड़ियों जैसे नाममात्र के इंसानों की शोरगुल मचाती पागल भीड़ हाथों में तलवारें चमकाती हुई घेरकर खड़ी हो। वे कभी भी दरवाजा तोड़कर आपके घर में दाखिल हो सकते हों। कोई बचाने वाला न हो। आपकी ताकत लगातार घट रही हो। दाना-पानी बाहर से सब रोक दिया गया हो। आप कब तक टिकेंगे और जब वे भीतर दाखिल होंगे तो क्या होगा? जो होता था, हमने उसके भी खूब किस्से सुने हुए थे। इसलिए हम यह कठोर फैसला कर पाए कि इज्जत की मौत ही ठीक है। भंसाली साहब के लिए यही कहूंगी कि सिर्फ मुनाफे के लिए इतिहास से न खेलें। हम पर जो गुजरी, उसका सौदा न करें। अपनी दादी, नानी, मां, बहन, पत्नी और प्रेयसी में पद्मिनी को देखें। फिर तय करें कि क्या दिखाना है, क्यों दिखाना है?


विजय, तुमने पत्र लिखा। मुझे मेरे आहत अतीत की स्मृतियों में ले जाने के लिए धन्यवाद। अब संपर्क में बने रहना। जो जुल्मों की दास्तान सुनाने के लिए भारत में नहीं बच नहीं सके, वे सब यहां आए। मेरे पास बहुत कुछ है बताने को। भूलना मत। फिर कुछ लिख भेजना। पद्मिनी को भूलने का मतलब इतिहास को भूलना होगा!
-तुम्हारी पद्मिनी


(वरिष्ठ पत्रकार श्री विजय मनोहर तिवारी जी के फेसबुक पेज से साभार)
Share:

सात सौ साल बाद रानी पद्मावती को लिखा पहला पत्र | First Letter to Rani Padmavati

प्रिय पद्मावती,
सादर प्रणाम। संभवत: सात सौ साल बाद ये पहला ही पत्र है, जो किसी ने आपको लिखा होगा। संजय लीला भंसाली नाम के एक कारीगर हैं। वे फिल्में बनाते हैं। इतिहास के किरदारों पर उम्दा फिल्में बनाई हैं। इस बार आप पर उनकी फिल्म आने वाली है। इसके बहाने आप बहस का विषय बन गई हैं। दो बातें आपसे करने का मन हुआ। कभी सोचता हूं कि जब आप श्रीलंका से चित्तौड़ आईं होंगी तो भारत के बारे में क्या सपने आपकी आंखों में रहे होंगे। भारत का परिचय आपको गौतम बुद्ध से ही रहा होगा। समृद्धि और शांति का मुल्क, जहां से तथागत का विचार आज से 23 सौ साल पहले महेंद्र और संघमित्रा श्रीलंका लेकर गए थे। वे मगध सम्राट अशोक की संतान थे। मगर जब आपने चित्तौड़ का रुख किया तब तक महेंद्र-संघमित्रा की कहानी 16 सौ साल पुरानी हो चुकी थी। यहां छह सौ साल से कुछ और ही पक रहा था, जिसकी लपट आपके ही सामने चित्तौड़ को छूने वाली थी। जीते-जी जलती आग में अपने ऐसे अंत के बारे में आपने शायद ही कभी सोचा होगा!
आपके आने के सौ साल पहले ही चित्तौड़गढ़ से 500 किलोमीटर के फासले पर तब दिल्ली हैवानियत का ज्वालामुखी बन चुकी थी, जिसका लावा पूरे भारत को अपनी चपेट में ले रहा था। भारत वीरों की भूमि ही थी मगर वे ऐसे जाहिल युद्ध के आदी नहीं थे, जिसमें कोई नियम-कायदे नहीं थे। धोखा, छलकपट, बेरहमी ही जिनके उसूल थे। अरब की रेतीली हवाओं में पला एक कबीलाई विचार जहां से गुजरा था, उसने सब कुछ जलाकर राख कर डाला था। आपके समय चित्तौड़ का सामना जिस खिलजी से हुआ, वह उसी खूनी जोश से भरा हुआ था। तब तक दिल्ली पर कब्जा हुए सौ साल हो चुके थे। खिलजी को खेलने के लिए खुदा ने बीस साल दिए। 1296 से 1316 के बीच ये बीस साल भारत की बदकिस्मती के भी बीस साल थे।


हमें सत्तर साल पहले की बातें भी याद नहीं रहतीं। आपके और हमारे बीच तो 714 साल का फासला है। हम भारतीय भूलने में माहिर हैं। यूं दुनिया-जहां की जानकारियां होंगी मगर हमें अपने आसपास के इतिहास का कोई पता ही नहीं है। इतिहास के नाम पर अजीब किस्म की बेखबरी है या दूसरों के सुनाए कुछ किस्से-कहानियां हैं बस। वो भी सबके अपने नजरिए के हिसाब से। यहां इतिहास को तोड़मोड़ कर अपनी मनमर्जी लायक बनाकर परोसने की पूरी आजादी रही है। वैसे आपसे बेहतर कौन बता सकता है कि अतीत में याद रखने लायक बचा ही क्या था हमारे पास? कब्जा, कत्लेआम, लूटमार यही था।
आपने 1299 में राजस्थान के ही रणथंभौर में हुए अलाउद्दीन के हमले और औरतों के जौहर के किस्से सुने होंगे। पता नहीं आपके दिल पर तब क्या बीत रही होगी! चित्तौड़गढ़ में उस दिन आपने अपने जीवन का सबसे कठिन फैसला लिया और अपनी अनेक सखियों के साथ चिता की आग की तरफ कदम बढ़ाए। चंद घंटों में सब तबाह हो गया था। आप एक आंसू बनकर भारत की आंख से लुढ़क गईं। उन हालातों में उस धधकती आग में औरतों की सामूहिक आत्महत्याओं को आज हम जौहर के नाम से जानते हैं। आपका जौहर अंतिम नहीं था। चित्तौड़ में ही अगले ढाई सौ साल में और जौहर हुए। हर बार किसी सुलतान या बादशाह के हमले के बाद हारने के हालात में औरतों को अपनी इज्जत बचाने का यही एक रास्ता बचा था।
मध्यप्रदेश में चंदेरी और रायसेन के जौहर भी इतिहास में हैं। चंदेरी और रायसेन के रिश्ते चित्तौड़ राजघराने से तब बहुत गहरे थे। मेवाड़ ने तो अपनी घायल स्मृतियों में आपकी यादों को एक दीये की तरह जलाकर रखा, लेकिन यहां शायद ही किसी को याद हो कि पद्मावती की तरह चंदेरी में राजा मेदिनी राय की रानी मणिमाला और रायसेन के राजा सलहदी की रानी दुर्गावती ने भी अपने नाते-रिश्तेदारों, मंत्रियों, सेनापतियों की औरतों के साथ जौहर किए थे। आपको जानकर दुख होगा कि रायसेन की रानी दुर्गावती चित्तौड़गढ़ के ही राणा सांगा की बेटी थीं। चित्तौड़ से वे डोली में विदा हुई होंगी। मगर अपने सम्मान की खातिर जीते-जी सामूहिक चिता में उतर जाने की शक्ति उन्हें आपकी ही कहानी से मिली होगी! सांगा और बाबर के बीच की जंग में सलहदी भी सांगा की सेना में शामिल थे।
आपके बाद जैसे भारत राख और धुएं की एक भयावह कहानी है। कभी सोचता हूं कि उस क्षण चित्तौड़, चंदेरी या रायसेन के राजमहलों में क्या-कुछ घट रहा होगा, जब यह सूचना मिली होगी कि हम युद्ध हार गए हैं। कभी भी अलाउद्दीन, बाबर या सूरी की फौजें किले में दाखिल हो सकती हैं। महलों में मातम छा गया होगा। जैसे दिवाली के सारे दीये अचानक बुझ जाएं। जान बचाने के लिए आप इंतजार कर सकती थीं। होता क्या? अलाउद्दीन खिलजी चित्तौड़ को बेरहमी से लूटता और महीनों की मशक्कत से हासिल इस फतह की पूरी कीमत वसूलता। बेशक इस लूट में आप और बाकी सारी औरतें-बच्चियां भी शुमार होतीं। आपके साथ जितनी भी औरतें उस दिन चित्तौड़ में रही होंगी, वे सब खिलजी के फौजियों में बांट दी जातीं। चित्तौड़ के महल से निकालकर आप सबको सामान की तरह ढोकर दिल्ली ले जाया जाता। दिल्ली के अपने महलों में आप माले-गनीमत की नुमाइश में पेश की जातीं।


आखिरकार खिलजी के हरम में आप बाकी जिंदगी, अपने जैसी ही दूसरी सैकड़ों औरतों के साथ गुजारतीं, जो ऐसी ही लूट में भारत के कोने-कोने से लाई गईं थीं। आपकी मुलाकात गुजरात के राजा करण की रानी कमलादी से भी होती और आप कमलादी की बेटी देवलरानी को भी देखतीं। पता नहीं आपको कैसा लगता यह देखकर कि अलाउद्दीन ने कमलादी को खुद रखा और उसकी बेटी देवलरानी का निकाह अपने बेटे खिज्र खां से करा दिया। बची हुई जिंदगी में अपनी आन-बान और शान के मिट्‌टी में मिलने तक की कहानियां आप एक दूसरे को सुनातीं, कुछ बच्चे पैदा होते और एक दिन किसी अंधेरी कब्र में जाकर दफन हो जातीं। कमलादी और देवलदेवी के बारे में किसी को कुछ नहीं मालूम। तो किसे पता चलता कि पद्मावती कहां गईं, उसका क्या हुआ? पद्मावती इतिहास के अंधेरे में खो गई होती। मगर ऐसा नहीं हुआ। खिलजी की फतहें इतिहास में दर्ज हैं मगर सात सदियों के पार पद्मावती भी आंखों में झिलमिलाती है।
चित्तौड़ की आग में भस्म होने के साथ ही आसमान पर गाढ़े धुएं की काली परत छा गई थी। आप चित्तौड़ के आसमान से भारत के दामन में गिरा एक आंसू हैं। सात सौ साल बाद वो आंसू कई सवालों के साथ सामने है। मगर हम सवालों से बचने वाले लोग हैं। फिर एक अकेला पद्मावती का ही प्रश्न होता तो निपट भी लेते। देश का दामन ऐसे अनगिनत आंसुओं से भरा है। आपके साथ जलकर मरीं कितनी औरतों के नाम हमें याद हैं? मणिमाला और दुर्गावती के साथ सामूहिक आत्महत्याएं करने वालीं कितनी औरतों के नाम किसे पता हैं? और उन औरतें के बारे में क्या, जो आपकी तरह जौहर के फैसले नहीं कर सकीं और अपना सब कुछ बरबाद होने के बाद लूट के माल में शामिल होकर सुलतानों-बादशाहों के हरम में समाती रहीं? यह इतिहास से गिरते आंसुओं की अंतहीन झड़ी है, जिस पर किसी भी इज्जतदार कौम को पश्चाताप और शर्म से भरा होना चाहिए। आपको याद करते हुए मेरा सिर शर्म से झुका है। दिल दर्द से भरा है। दिमाग बेचैन है। आप इतिहास का मरा हुआ हिस्सा नहीं हैं। अाप जीवित स्मृति हैं। आप हमारी आंखों की नमी में हैं।
अलाउद्दीन खिलजी हो, तुगलक हो, तैमूर हो, बाबर हो, औरंगजेब हो या नादिर शाह। तवारीख में इन सबने खुद को इस्लाम का अनुयायी होने का दावा बड़े जोर से कराया है। मैं नहीं मानता कि ये मामूली मुसलमान भी थे, क्योंकि मुझे तो यह बताया जाता है कि इस्लाम का मतलब ही है-शांति! अमन का संदेश देने वाले मजहब में ऐसे क्रूर किरदार, जो जिंदगी भर कत्लेआम, लूटमार करते रहे और काफिरों के कटे हुए सिरों की मीनारें बनवाकर गाजी का तमगा टांगते रहे। ये कम्बख्त कैसे मुसलमान हो सकते हैं? ये भारत के इतिहास के सबसे बड़े गुनहगार हैं।
मुझे नहीं पता संजय लीला भंसाली के सिनेमा में क्या है? मगर मैं जानता हूं कि आज किसी की हिम्मत नहीं कि सच को सच की तरह दिखा दे। कुछ मुस्लिम संगठनों ने भी भंसाली की फिल्म का विरोध किया है। उनकी दलील दिलचस्प है। वे फरमा रहे हैं कि पद्मावती में मुसलमानों की छवि खराब की गई है। देखिए तो उन्हें अलाउद्दीन में एक मुसलमान दिखाई दे रहा है?
कभी सोचता हूं कि युद्ध हारने के बाद राजे-रजबाड़ों की जो काफिर औरतें इन सुलतानों-बादशाहों और उनके बाकी फौजियों के हिस्से में गई होंगी, उनकी औलादें और उन औलादों की औलादें आज कहां किस रूप में होंगी? वे जो जोर-जबर्दस्ती या लालच से धर्मांतरित हुए होंगे, उनके बच्चे और उनके बच्चों के बच्चे आज कहां और कैसे होंगे, क्या कर रहे होंगे? उनकी याददाश्त में क्या होगा? और आज जो हैं, वे कैसे महमूद, अलाउद्दीन, तुगलक, तैमूर, बाबर और औरंगेजब से अपना रिश्ता जोड़ सकते हैं। वे भी तो इनके पुरखों को दिए जख्मों के जीते-जागते, चलते-फिरते सबूत हैं। इस्लाम के नाम पर सदियों तक लूटमार और कत्लेआम करते रहे इन सुलतानों-बादशाहों से परेशान पुरखे हम सबके एक ही थे। जरूरत है कि ये अपनी याददाश्त पर जोर डालें। तारीख के पन्ने पलटें। अपने दानिशमंदों से मशविरा करें, सवाल पूछें-हम कौन हैं, हमारे पुरखे कौन थे? वे जो यहां हमले करने आए या वे जिन पर हमले हुए और मरते-कटते रहे, जलील होते रहे। अपनी जातीय स्मृति को जगाएं। सच का सामना करें!


अब कुछ नहीं हो सकता। आपके जौहर के बाद इस जमीन पर बहुत कुछ घटा है। यह देश तीन टुकड़ों में बटा है। आप आकर देखें तो हैरान होंगी। अब हम यहां बहुसंख्यक हैं। हम ही अल्पसंख्यक हैं। जबकि आपके समय तक हम काफी कुछ एक ही थे। मगर हमारी याददाश्त कमजोर हैं। हमें पता ही नहीं कि हमारी बेकसूर मां-बहनों के साथ क्या हुआ? कौन कहां से आया और हमारे साथ क्या खेल कर गया? हम जो बहुसंख्यक हैं, वे आपकी कहानी से आहत महसूस करते हैं। हम जो अल्पसंख्यक हैं, वे अलाउद्दीन को अपना समझते हैं। आशा है आप हमारी भूल को माफ करेंगी।
प्रिय पद्मावती हमें विश्वास है आप स्वर्ग में ही होंगी। आप धरती पर मत आइएगा। यहां कुछ भी नहीं बदला है। भारत में लौटकर आपको दुख ही होगा।
उत्तर की प्रतीक्षा है।

आपका ही-

विजय मनोहर तिवारी


(वरिष्ठ पत्रकार श्री विजय मनोहर तिवारी जी के फेसबुक पेज से साभार)
Share:

June 23, 2017

भोजपुरी फिल्मों में जलवा बिखेरेंगी हरियाणवी डांसर सपना चौधरी | Sapna Choudhary in Bhojpuri Film

सपना के गाने का एक दृश्य। 
पिछले साल जहर खाकर खुदकुशी करने की कोशिश करने वाली मशहूर हरियाणवी डांसर और सिंगर सपना चौधरी एक बार फिर चर्चा में हैं। दरअसल, सपना चौधरी अब जल्द ही भोजपुरी फिल्मों में काम करने वाली है। सपना ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वो इस फिल्म को लेकर बेहद उत्साहित हैं। स्टेज पर डांस करना और फिल्म में आइटम सांग करना काफी अलग है। इस गाने की शूटिंग गत दिनों मुंबई के एक स्टूडियो में की गई है। फिल्म में भोजपुरी एक्ट्रेस गुंजन पंत लीड रोल में हैं। इस हिन्दी फिल्म के डायरेक्टर सनी कपूर, प्रोड्यूसर करणपाल सिंह, कोरियोग्राफर एफए खान और संगीतकार धीरज सेन हैं। सपना गाने में राजू श्रेष्ठ के साथ डांस कर रही हैं। यह गाना मुंबई के चांदीवदी स्टूडियो में फिल्माया गया।

सपना कर चुकी है सुसाइड की कोशिश
17 फरवरी 2016 को गुड़गांव में सपना चौधरी ने एक रागिनी गाई थी, जिसमें दलित समाज का नाम लिया गया था। इस रागिनी को लेकर गुड़गांव के खांडसा गांव निवासी सतपाल तंवर ने सपना डांसर के खिलाफ एससी एक्ट के तहत केस दर्ज कराया था। इसके बाद सपना ने 4 सितंबर को जहर खाकर सुसाइड करने की कोशिश की थी, जिसके कारण उन्हें कई दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा था।

सोशल मीडिया पर बनी थी सुर्खियां
लोगों के दिलों पर राज करने वाली डांसर व सिंगर सपना चौधरी एक बार फिर सुर्खियों में, वो भी एक फोटो के कारण। सपना का एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें उनके पुलिस रेड में पकड़े जाने की बात कही जा रही है। इस फोटो में सपना बिस्तर पर बैठी नजर आ रही है और दो पुलिस अधिकारी उसके पास खड़े हैं। इस फोटो में सपना चौधरी बहुत परेशान सी नजर आ रही है। सोशल मीडिया पर वायरल इस फोटो के साथ संदेश में सपना चौधरी को हरियाणा पुलिस की छापेमारी में गिरफ्तार हुआ बताया जा रहा है। दरअसल ये फोटो हरियाणा के फतेहाबाद शहर में स्थित एक मैरिज पैलेस के कमरे में क्लिक किया गया था। फोटो में उनके पास खड़े पुलिस अधिकारी कोई और नहीं, बल्कि फतेहाबाद के सिटी एसएचओ सोमबीर ढाका हैं।
Click here : सपना की वायरल तस्वीरों का सच

पिता की मौत के बाद खुद परिवार को पाला
महज 12 साल की उम्र में पिता को खोने वाली सपना चौधरी ने अपने संघर्ष के दम पर ही परिवार को पाला। हरियाणा के रोहतक में जन्मी सपना को उसके पहने गाने ने ही सुपरस्टार बना दिया था। गाने के बोल थे 'सॉलिड बॉडी'। एक गाने की बदौलत सपना कुछ ही दिनों में हरियाणा ही नहीं बल्कि यूपी, राजस्थान, दिल्ली व पंजाब में भी फेमस हो गई। सपना का जन्म 25 सितंबर 1990 को रोहतक में मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। शुरुआती शिक्षा रोहतक से की। पिता रोहतक में एक निजी कंपनी में काम करते थे। पिता के निधन के बाद मां नीलम चौधरी और भाई-बहनों की जिम्मेदारी सपना के कंधों पर आ गई। सिंगिंग और डांसिंग को न सिर्फ अपना करियर बनाया बल्कि इसी के दम पर अपने पूरे परिवार को चलाया। सपना के पहले गाने 'सॉलिड बॉडी' ने उन्हें चंद दिनों में ही हरियाणा की फेमस स्टार बना दिया था।

Share:

Featured Post

दास्तान-ए-आशिकी, जुबान-ए-इश्क | Famous Love Story

ग्लोबलाइजेशन के इस युग ने हमारी जेनरेशन को वैलेंटाइंस डे का तोहफा दिया है। यह दिन प्यार के नाम होता है। इतिहास के पन्ने पलटने पर आप पाएंगे...

Amazon Big Offer

Advt

Blog Archive

Copyright

इस ब्लॉग में दिये किसी भी लेख या उसके अंश और चित्र को बिना अनुमति के किसी भी अन्य वेबसाइट या समाचार-पत्र, पत्रिका में प्रकाशित नहीं किया जा सकता। अनुमति के लिये केवल मेल पर सम्पर्क करें: sumit.saraswat09@gmail.com

Pageviews

Labels

Recent Posts

Unordered List

Theme Support