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October 30, 2017

कार्तिक पूर्णिमा पर मनाइए देव दिवाली | Dev Diwali on Kartik Purnima

कार्तिक अमावस्या पर सभी ने उत्साह के साथ दीपावली पर्व मनाया था। आइए अब कार्तिक पूर्णिमा पर उसी उत्साह और उमंग के साथ देव दिवाली मनाते हैं। देव दिवाली का यह पर्व दीपावली के 15 दिन मनाया जाता है। इस उत्‍सव का सबसे ज्‍यादा महत्‍व और आनंद उत्तर प्रदेश के शहर वाराणसी में आता है। ये दुनिया के सबसे प्राचीन शहर काशी की विशेष सांस्कृतिक परंपरा और विरासत है।

गंगातट पर उतरे देवलोक की छवि जैसी है काशी की देव दीपावली। यहां गंगा के अर्धचंद्राकार घाटों पर दीपों का अदभुत जगमग प्रकाश 'देवलोक' जैसे वातावरण की सृष्टि करता है। पिछले 10-12 सालों में ही पूरे देश और विदेशों में आकर्षण का केंद्र बन चुका देव दीपावली महोत्सव 'देश की सांस्कृतिक राजधानी' काशी की सांस्कृतिक पहचान बन चुका है। करीब तीन किलोमीटर में फैले अर्धचंद्राकार घाटों पर जगमगाते लाखों-लाख दीप, गंगा की धारा में इठलाते-बहते दीप, एक अलौकिक दृश्य की सृष्टि करते हैं। शाम होते ही सभी घाट दीपों की रोशनी में नहा-जगमगा उठते हैं। इस दृश्य को आँखों में समा लेने के लिए लाखों देशी-विदेशी अतिथि सैलानी घाटों पर उमड़ पड़ते हैं। इस बार यह अदभुत नजारा 4 नवंबर को दिखेगा। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी देव दिवाली मनाने काशी आएंगे-सुमित सारस्वत



102 साल पहले पंचगंगा घाट से हुई थी शुरुआत
बताते हैं देव दिवाली की परंपरा सबसे पहले पंचगंगा घाट पर 1915 में हजारों दीये जलाकर शुरु की गई थी। बाद में इस प्राचीन परंपरा को काशी के लोगों ने आपसी सहयोग से महोत्सव में बदल कर विश्वप्रसिद्ध कर दिया। इस मौके पर असंख्य दीपकों और झालरों की रोशनी से रविदास घाट से लेकर केशव घाट और वरुणा नदी के घाटों पर बने सारे देवालय, महल, भवन, मठ-आश्रम जगमगा उठते हैं। इस अदभुत नजारे को देख कर लगता है कि मानो पूरी आकाश गंगा ही जमीन पर उतर आई हो।


तब स्वर्ग लोक में जगमगाए थे दीप
ये तो सभी जानते हैं कि काशी यानि बनारस और वाराणसी को शिव की नगरी कहा जाता है। यहां ये उत्‍सव मनाने के पीछे शिव से जुड़ी एक कथा प्रचलित है। बताते हैं कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवतागण दिवाली मनाते हैं क्‍योंकि इसी दिन देवताओं का काशी में प्रवेश हुआ था। पौराणिक कथा के अनुसार पहले तीनों लोकों में त्रिपुरासुर राक्षस का राज चलता था। देवतागणों ने भगवान शिव के समक्ष त्रिपुरासुर राक्षस से उद्धार की विनती की। भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन राक्षस का वध कर उसके अत्याचारों से सभी को मुक्त कराया और त्रिपुरारि कहलाए। इससे प्रसन्न हो कर ही देवताओं ने स्वर्ग लोक में दीप जलाकर दीपोत्सव मनाया था और तभी से कार्तिक पूर्णिमा को देव दिवाली मनाई जाने लगी।


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October 29, 2017

काशी के ‘कैलाश’ से विदा हुए मोरारी बापू

मोक्ष नगरी काशी में मानस मसान कथा मर्णिकर्णिका घाट के मुर्दों को समर्पित कर संत मोरारी बापू विदा हो गए हैं। नौ दिवसीय रामकथा के दौरान बापू यहां गंगा नदी के बीच ‘कैलाश’ में रहे थे। दो फ्लोर वाली इस खूबसूरत हाउस बोट को श्रीलंका और केरल से आए खास कारीगरों ने तैयार किया था। इस बोट का निर्माण दो महीने की मेहनत से किया गया था। इसके उपरी हिस्से में बापू का कमरा और पूजा की बेदी तो नीचे तीन रूम में भोजन और सेवादारों के रहने का इंतजाम था।


मानस कथा श्रोता भी नावों में सवार होकर कथा स्थल पहुंचते थे। श्रोताओं की सहूलियत के लिए गंगा किनारे विभिन्न घाटों से करीब 170 छोटी-बड़ी नावों का संचालन किया गया। श्रोताओं के आवागमन हेतु यह व्यवस्था निःशुल्क थी।
प्रतिदिन 40 हजार से लेकर 50 हजार तक भक्तों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई। इसके लिए 2500 रसोइये गुजरात व अन्य जगहों से बुलवाए गए थे। भोजनशाला में एक साथ 800 बड़े चूल्हों पर भोजन पक रहा था। कई सौ क्विंटल आटा, चावल-दाल का भंडारण था। भक्तों के लिए भोजन प्रसाद की व्यवस्था भी निःशुल्क थी।



विदाई के वक्त हजारों आंखों से बही अश्रुधारा
मानस मसान के मंच से जब बापू नौ दिवसीय रामकथा का विराम कर रहे थे तब भावुकता भरे शब्दों के साथ उनकी आंखों से अश्रुधारा बह रही थी। श्रोताओं की आंखें भी विरह वेदना में छलक रही थी। दिल में अजीब सी बैचेनी और हलचल थी। शायद किसी से बिछड़ने का दर्द हो। बापू ने प्रवाही परंपरा का निर्वहन करते हुए सबके मंगल की कामना की। मानस मसान कथा मणिकर्णिका घाट के उन मुर्दों को समर्पित की जो यहां आए हैं, आ रहे हैं और आएंगे। जिन चार पंक्तियों के साथ कथा प्रारंभ की थी उन्हीं पंक्तियों को गाकर कथा को विराम दिया। जय श्री राम और हर-हर महादेव का जयघोष हुआ। व्यासपीठ से बापू ने सभी को हाथ जोड़कर कृतज्ञता प्रकट की। यह दुर्लभ कथा अब दुबारा शायद ही कभी हो मगर जेहन में ताउम्र ताजा रहेगी। -सुमित सारस्वत, मो.09462737273

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प्रेम जरूरत और सुख हमारा अधिकार : मोरारी बापू | Love Need and Happiness Our Right : Morari Bapu

काशी में मानस मसान कथा के नवें दिन अंतर्राष्ट्रीय संत मोरारी बापू रामकथा का सार समझाते हुए बोले कि शब्द का आंसू में रूपांतरण ही कथा का सार है। मैं आंसू लेकर जा रहा हूं। रामायण के सात कांड से जीवन जीने के सात सूत्र बतलाते हुए बापू भावुक हो गए। फिर कई शेर-शायरियों के जरिए प्रेम की व्याख्या की। गजल-गीत भी गुनगुनाए।
बापू ने बाल कांड के अनुसार पहला सूत्र सुख बताया। कहा, दूसरों को दुखी किए बिना सुखी हों। सुख पाना हमारा अधिकार है। सुख पाने के लिए पुरूषार्थ करें। राहत इंदौरी का शेर ‘मेरे बच्चों खूब खर्च करो, कमाने के लिए मैं अकेला काफी हूं’ सुनाते हुए बोले हमेशा सुखी रहो। अयोध्या कांड के अनुसार दूसरा सूत्र प्रेम बताया। कबीर के दोहे ‘बिना प्रेम रिझे नहीं.., ढाई आखर प्रेम का..’ सुनाते हुए कहा कि परमात्मा से प्रेम करो। परमात्मा प्रेम का सागर है। प्रेम जात-पात, ऊंच-नीच का भेद नहीं देखता। प्रेमी जहां भी सिर झुकाए वहां प्रियतम है। तीसरा सूत्र अरण्यकांड के अनुसार सत्संग बताया। कहा, सत्संग विश्वरूप है। सत्संग करने से सुख और प्रेम बढ़ेगा। किष्किंधा कांड के अनुसार चौथा सूत्र मैत्री है। दुश्मन से भी मैत्री भाव रखें। मैत्री का मनोरथ भगवान शिव कृपा से प्राप्त होता है। मित्र ऐसा हो जैसे रण में ढाल। सुख में पीछे रहे और दुख में घाव सहे। मैत्री साधु का लक्षण है। आज भारत पूरी दुनिया से मैत्री कर रहा है। सुंदरकांड के अनुसार पांचवा सूत्र श्रद्धा है। जिससे भी संबंध रखो उसके प्रति श्रद्धा रखो। लंका कांड के अनुसार छठा सूत्र विवके है। विवेक रखो कि ऐश्वर्य नहीं, ईश्वर चाहिए। सातवां और अंतिम सूत्र उत्तरकांड के अनुसार परम विश्राम है। इन सात सूत्रों के साथ बापू ने कहा कि काशी श्लोकों की नगरी है। यहां शोक नहीं। यहां का मसान मणिकर्णिका घाट भी शोक मुक्त है। मेरी यह नौ दिवसीय कथा मणिकर्णिका घाट के उन मुर्दों को समर्पित जो यहां आए हैं, आ रहे हैं और आएंगे। -सुमित सारस्वत, मो.09462737273

यह भी पढ़ें : रिश्ते पर बापू के सुन्दर विचार


गंगा तट पर गुरुद्वारा

बापू ने गुरु नानकदेव साहिब को याद करते हुए गुरुवाणी गाई। इसके लिए बाकायदा सभी का सिर ढंकवाया। कहा, गंगा तट पर गुरुद्वारा आया है। स्वयं के सिर पर भी काली शॉल रखी। ‘रहमत तेरी सुख पाया..’ गुरुवाणी का सभी ने श्रद्धापूर्वक गायन किया। मानो कुछ देर के लिए कथा पांडाल गुरुद्वारा बन गया। बापू के साथ श्रद्धालुओं ने वाहेगुरुजी दा खालसा वाहेगुरुजी दी फतेह, जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल का जयघोष किया।


काशी की विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती देखिए

साधो यह मुर्दों का गांव
कबीरदास की दोहावली सुनाते हुए बापू बोले कि 14 ब्रह्मांडों में मुर्दे है। संसार में जिसको अत्यंत बदनामी मिली हो वो मुर्दा है। सदा रोगी व हमेशा क्रोध करने वाला मरा हुआ है। भगवान विष्णु और वैष्णव का विरोध करे वो मृतक है। वेद विरूद्ध व संत का विरोध करने वाला व्यक्ति जीवित होते हुए भी मुर्दे के समान है। दूसरों की निंदा करे वो भी मुर्दा है।

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मैंने तो मोहब्बत की है..
‘दिल है कदमों में किसी के, तो सिर झुका हो या ना हो फर्क नहीं पड़ता, बंदगी तो अपनी फितरत है, खुदा हो या ना हो’ शेर सुनाते हुए बापू ने कहा कि प्रभु की याद व्यसन है। जीव का जीवन है। साहिर लुधायनवी द्वारा लिखित दीदी फिल्म का गीत ‘ तुम मुझे भूल भी जाओ तो यह है तुमको, मेरी बात और है मैंने तो मोहब्बत की है..’ गीत गुनगुनाते हुए बापू भावुक हो गए। बोले, यह गोपी गीत है जो प्रभु के विरह में गाया है।

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24 घंटे में 3 बार रोना चाहिए
बापू ने कहा हंसने जितना ही जरूरी रोना भी है। हर इंसान को 24 घंटे में 3 बार रोना चाहिए। पहली बार सुबह उठो तब। परमात्मा का शुक्रिया करो, तूने मुझे जगाया। दूसरी बार मध्यान्ह में सूरज तपे तब गरीब को देखकर आंख में बूंद आनी चाहिए कि मैं इसकी मदद क्यों नहीं कर पा रहा हूं। तीसरी बार रात्रि में सोते वक्त। नम आंखों से ईश्वर को बोलिए कि मैंने किसी का दिल दुखाया हो क्षमा करना। यह नूतन त्रिकाल संध्या है।



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October 28, 2017

मसान तो महातीर्थ है : मोरारी बापू | Masan is MahaTirth

प्रत्येक मसान महातीर्थ है। यहां भगवान विष्णु की तपस्या और भगवान शिव की लीला है। मसान शिव की क्रीड़ा स्थली, जीव की जागरण स्थली और शव की विश्राम स्थली है। जहां जल, तप, वन, मंत्र और अग्नि यह पांच वस्तुएं हो, वो स्थान तीर्थ है। मणिकर्णिका घाट काशी कामधेनु का मुखचंद्र है। काशी में शंकर के मंदिर कामधेनु के रोम और भैरव उसके सींग हैं। मसान का यह महत्व अंतर्राष्ट्रीय संत मोरारी बापू ने काशी में आयोजित मानस मसान रामकथा में समझाया।
बापू ने कहा मसान वह स्थान है जहां सभी भय समाप्त हो जाते हैं। हर तरह का मोह मिट जाता है। व्यक्ति की इच्छाएं-अभिलाषाएं खत्म हो जाती हैं। मान-सम्मान की चिंता का शमन हो जाता है। न कोई हर्ष होता है न कोई विषाद रह जाता है। शिवत्व प्राप्ति का मार्ग खुल जाता है। काशी की महिमा बताते हुए कहा कि मनुष्य के विचार ही काशी हैं। यहां सत्य, प्रेम और करुणा का भंडार है। काशी आनंदवन है। यहां भगवान विष्णु ने तपस्या की थी। मणिकर्णिका घाट के निकट चक्रपुष्करणी कुंड में भगवान शिव ने स्नान किया था। काशी को कलियुग में काम, दुर्गा और गाय का अंग कहा गया है। मणिकर्णिका महात्म्य की चर्चा करते हुए बापू ने कहा कि मैं विगत आठ दिनों से नित्य मध्यरात्रि से ब्रह्ममुहूर्त तक मणिकर्णिका को निहारता रहता हूं। आठ दिनों में ऐसा अभ्यास हो गया है कि मणिकर्णिका के दर्शन बिना चैन नहीं आएगा। मणिकर्णिका महाश्मशान का एक विशाल चित्र अब मेरे आराधना कक्ष में भी होगा। -सुमित सारस्वत, मो.09462737273


मानस किन्नर पुस्तिका का विमोचन
’देव दनुज किन्नर नर श्रेनी। सादर मज्जहि सकल त्रिवेनी। सुर किन्नर नर नाग मुनिसा। जय जय जय कहि देहि अमीसा।’ इस चौपाई पर आधारित बापू की 784वीं रामकथा ‘मानस किन्नर’ पर उदयपुर राजस्थान निवासी रेखा सोनपी ने पुस्तक लिखी है। बापू ने इस पुस्तिका का विमोचन करते हुए प्रसन्नता व्यक्त की। ‘मानस किन्नर’ कथा किन्नर समाज को समर्पित थी। यह कथा महाराष्ट्र के ठाणे में गत 17 दिसंबर से 25 दिसंबर 2016 तक हुई थी।


सत्य का साहस देती है कथा
बापू ने सीता स्वयंवर प्रसंग सुनाते हुए कहा कि राम नाम से ही विश्व का कल्याण हुआ है। रघुवीर का चरित्र अपरंपार है। रामकथा हमें सत्य बोलने का साहस देती है। प्रलय के अंत में भी राम नाम ही बचेगा। सत्य को कभी भी खंडित नहीं किया जा सकता है। रामचरित मानस और श्रीमद् भागवत राम व कृष्ण की कथा ग्रन्थियों से मुक्त करने वाले परम ग्रन्थ हैं। कलिकाल सिर्फ प्रभु सुमिरन का काल है। भक्ति परक कथा को गंगा और कर्म परक कथा को यमुना कहा है।


अकेले हैं चले आओ..
बापू ने फिल्मी गीत ‘अकेले हैं चले आओ..’ सुनाते हुए अकेलेपन के अहसास की अनुभूति करवाई। कहा, यह फिल्मी गाना नहीं गोपी गीत है। जो कृष्ण को पुकार लगाते हुए गोपियों ने गाया होगा। बापू बोले, अकेलापन अच्छा है। इसमें सुख है। हिम्मत दी कि जिसके पास ईश्वर है वो कभी अकेला नहीं होता। खुश रहो बाप।


देह नहीं, स्नेह संबंध बनाओ
‘मुझे तुम भूल भी जाओ यह हक है तुम्हें, मैंने तो तुमसे मोहब्बत की है’ यह शेर सुनाते हुए बापू ने कहा कि किसी से देह संबंध नहीं, स्नेह संबंध बनाओ। देह संबंध क्षणिक होता है और स्नेह संबंध दीर्घ। भगवान श्रीकृष्ण ने भी सोलह हजार रानियों के साथ स्नेह संबंध बनाए थे। खलील जिब्रान का जिक्र करते हुए बोले कि लीन हुए तो खत्म हो जाओगे। पुकारने में जो आनंद है वो प्राप्ति में नहीं।


कन्या जन्म पर उत्सव मनाओ
बापू ने कहा, घर में बेटी का जन्म हो तो उत्सव मनाओ क्योंकि कन्या के रूप में सात विभूतियां आती हैं। कन्या जन्म से राष्ट्र में सम्पत्ति, विभूति और ऐश्वर्य बढ़ता है। जहां नारी का सम्मान होता है वहां देवताओं का वास होता है। कन्याओं का सम्मान होना चाहिए। कन्या शक्ति, विद्या, श्रद्धा, क्षमा का रूप है। उसका स्वागत कीजिए। भारत की बेटियां महान है।


रामकथा से बदलेगा सास-बहू का नजरिया
बापू ने बेटियों से कहा कि वे रामकथा अवश्य सुनें। इससे हर बहू अपनी सास में कौशल्या देखेगी और सास को अपनी बहू में जानकी दिखने लगेगी। सास और बहू के बीच प्रेम भरा रिश्ता होगा तो देश का भला हो जाएगा।


संतोष और असंतोष की तीन बातें
गृहस्थ जीवन व सांसारिक विहार में हमेशा संतुष्टि रखनी चाहिए। नारी अपने पुरुष और पुरुष अपनी नारी से संतुष्ट रहे। भोजन तथा धन प्राप्ति में भी संतोष रखेंगे तो सुखी रहेंगे। मगर अध्ययन, हरिनाम जप तथा दान देने में हमेशा असंतुष्ट रहना चाहिए। 

दुख बिना सुख पता नहीं लगता
बापू ने कहा कि जीवन में सब कुछ अच्छा ही हो, यह संभव नहीं है। याद रखो, जब तक तुम दुख से नहीं गुजरोगे, तब तक सुख की सच्ची कीमत नहीं समझ में आएगी। दुखी होना भी एक योग है। जब तुम दुखी होते हो तो अपने उन कार्यों को याद करते हो जिनके कारण रोना पड़ता है। तभी समझ में आता है कि ऐसा वैसा नहीं करना चाहिए।

तीर्थों को गंदा ना करें
बापू ने अपील करते हुए कहा कि मानसिकता बदलें और तीर्थों को गंदगी से बचाएं। हमें अपने हाथों को संयमित रखना होगा। महादेव ने जिसको सिर पर धारण कर रखा है, उसमें हम कचरा क्यों डालते हैं? ‘हर हर महादेव’ का नाद वातावरण की शुद्धि करता है।


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वो मंच पर आकर बापू को ‘प्रेत अवार्ड’ दे गया | Morari Bapu Surprised in Kashi

काशी में रामकथा का आज आठवां दिन। देशभर से आए हजारों श्रद्धालुओं से खचाखच भरा पांडाल। मानस मसान के मंच पर आसीन संत मोरारी बापू। व्यासपीठ से बापू ने डोमराज परिवार का शब्द स्वागत किया। प्रसन्नता जताई कि देशभर से मैसेज आ रहे हैं कि बापू कथा सुनकर हमारा डर भाग गया। हम मसान में जाकर आए हैं। आज एक भाई ने चिट्ठी लिखी है, बापू आप तो प्रेत अवॉर्ड लेते नहीं। कोई अवॉर्ड लेते नहीं लेकिन मैं प्रेत अवॉर्ड लेकर आया हूं। आपने कहा कि आप लाओगे तो छूकर मैं तुम्हें वापस दे दूंगा तो मैं लेकर आया। छू दोगे। (सिर पर हाथ फेरते हुए) मेरी देखने की जिज्ञासा है कि जरा देखूं प्रेत अवॉर्ड कैसा है। आइए। (तेज आवाज लगाकर आश्चर्य के साथ चारों ओर नजरें घुमाते हैं) यह काशी है यहां कुछ भी हो सकता है।

बापू की पुकार पर सफेद कुर्ता पायजामा पहना एक युवा हाथों में अवॉर्ड लेकर मंच की ओर बढ़ रहा है। व्यासपीठ के करीब पहुंचकर बापू को नमन किया। बापू बोले, खुश रहो। अवार्ड हाथ में लेकर निहारा। युवक से नाम पूछा। दोनों के बीच गुजराती में कुछ संवाद हो रहा है। अब बापू सभी को अवॉर्ड दिखा रहे हैं। इस पर भगवान शंकर का नृत्य करते हुए चित्र है। पूरे पांडाल में तालियों की गूंज है। बापू गुजराती में बोले, जिसे चाहिए ले जाओ। मुस्कुराते हुए युवक से बोले, तुम्हें दूं ? ले जाओ, ये तो आशीर्वाद है बेटा व्यासपीठ का। अवॉर्ड को मस्तक पर लगाकर युवक को सौंप दिया। तालियां बजाते हुए आशीर्वाद दिया, खुश रहो बेटा। युवक मंच से अपने स्थान पर लौट रहा है। बापू ने पूछा, यह क्या बनाया है ? कहां बनाया तूने एक दिन में ? युवक ने सुना नहीं तो तेज स्वर में आवाज लगाई, ओए। युवक ने देखा तो मुस्कुराते हुए इशारे से फिर पास बुलाया। पूरा पांडाल ठहाके लगा रहा है। युवक पास पहुंचा। बापू ने पूछा, कहां बनाया? युवक बोला, काशी में बनाया। बापू अचंभित होकर बोले, गजब है एक दिन में बना लिया। मुस्कुराते हुए आशीर्वाद दिया। खुश रहो। फिर बोले, देखो कल विचार प्रस्तुत कर रहा था। गजब है यार। ऐसा विश्व में कोई अवॉर्ड नहीं होगा। हो तो मुझे बताना। मैं इस सत्य को स्वीकार करूंगा। प्रेत अवॉर्ड। गजब है। अब बापू मानस मसान की चर्चा करने लगे। -काशी से सुमित सारस्वत लाइव, मो.09462737273

पढ़ें : जिसमें हेत नहीं, वो प्रेत

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काशी की विश्व विख्यात गंगा आरती | World Famous Ganga Aarti of Kashi


मंदिरों की नगरी वाराणसी। गंगा तट पर दशाश्वमेध घाट। यहां गंगा आरती हो रही है। चारों ओर घंटियां, नगाड़े, डमरू और शंखनाद की गूंज। सुंदर वेश में सुसज्जित होकर आरती करते पुजारी। धूप की महक के साथ उठती आरती की ज्वाला। आसमान को आगोश में समेटता धुआं।


पूरा घाट रोशनी से जगममगा रहा है। आरती का प्रतिबिंब गंगा जल में दिखाई दे रहा है। कई सैलानी सामने गंगा नदी के ऊपर नौका में सवार होकर आरती का दर्शन कर रहे हैं तो बड़ी संख्या में श्रद्धालु तट पर बैठकर तालियों की सेवा करते हुए आरती का लाभ ले रहे हैं। अदभुत और दुर्लभ दृश्य। नजारा देखकर आंखें आनंदित हो गई। गंगा तट पर मन मयूरा झूम उठा। आरती के बाद सभी ने गंगा में दीप दान किया।

पढ़ें : जिसमें हेत नहीं, वो प्रेत 



बाबा विश्वनाथ की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक नगरी काशी इस गंगा आरती के लिए भी विश्व विख्यात है। दुनिया के सबसे प्राचीन शहर काशी में दशाश्वमेध घाट की भव्य गंगा आरती देखने के लिए प्रतिदिन देश-दुनिया के हजारों सैलानी यहां आते हैं।


मान्यता है कि शिव के त्रिशूल पर बसी काशी देवाधिदेव महादेव को प्रिय है। इसे धर्म, कर्म और मोक्ष की नगरी माना जाता है। दशाश्वमेध घाट पर होने वाली इस भव्य गंगा आरती की शुरूआत वर्ष 1991 में हुई थी। हरिद्वार में होने वाली आरती से प्रेरित होकर 26 साल पहले बनारस में भी गंगा आरती की शुरूआत की गई। तब से यहां हर शाम गंगा आरती होती है। ठीक उसी तरह जैसे हरिद्वार में होती है।

पढ़ें : भारत के इस महाश्मशान में 24 घंटे जलती है चिताएं


मालूम हुआ कि सिने जगत की हस्तियां और कई वीवीआईपी इस आरती का दर्शन करने बनारस आते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, उमा भारती, राजनाथ सिंह, बॉलीवुड स्टार अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, अभिषेक बच्चन, ऐश्वर्या राय, अनुपम खेर, विद्या बालन, हॉलीवुड स्टार एंजेलीना जोली सहित दलाई लामा, भूटान प्रधानमंत्री, भूटान नरेश सहित कई नामचीन हस्तियां गंगा आरती में शामिल हो चुकी हैं। -सुमित सारस्वत, मो.09462737273



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संत मोरारी बापू को ‘प्रेत अवॉर्ड’ | Ghost Award to Morari Bapu

भारत रत्न, पद्मभूषण, पद्मविभूषण जैसे बड़े अवॉर्ड के नाम तो आपने सुने होंगे मगर किसी को प्रेत अवॉर्ड मिले इसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। मगर यह हकीकत है। अंतर्राष्ट्रीय रामकथा वाचक संत मोरारी बापू को काशी में आयोजित मानस मसान कथा में ‘प्रेत अवॉर्ड’ मिला है। यह अवॉर्ड किसी समाज या संस्था ने नहीं, बल्कि उन्हीं की कथा में शामिल एक श्रोता ने दिया है। बापू ने कहा, पूरी दुनिया में इस तरह का यह पहला अनूठा अवॉर्ड है।


यह भी पढ़ें : हर घर मसान और घरवाले भूत

दरअसल कल कथा में बापू को किसी ने पत्र भेजा था। बापू ने उसे पढ़कर सुनाया। उसमें लिखा था, बापू आपकी मानस मसान कथा सुनकर इतना अच्छा लगा कि हम आपको ‘प्रेत अवॉर्ड’ देना चाहते हैं। बापू ने व्यंग्यात्मक जवाब में कहा, ‘मैं अवॉर्ड नहीं लेता। अगर दोगे तो स्वीकार कर लूंगा और वो प्रेत आपको ही लौटा दूंगा।’ इसे सुनकर आज एक युवक ने पत्र भेजा कि ‘मैं आपके लिए प्रेत अवॉर्ड लाया हूं। आप उसे स्वीकार कर पुनः लौटा देना।’ इस पर बापू ने जिज्ञासावश उसे मंच पर आमंत्रित किया और सहर्ष अवॉर्ड स्वीकार कर उसे ही लौटा दिया। बापू ने बताया कि मैंने आज तक कोई अवॉर्ड नहीं लिया है। एक बार मुझे देश के बहुत बड़े अवॉर्ड का ऑफर आया था मगर मैंने प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया। मेरे लिए मेरी रामकथा ही सबसे बड़ा अवॉर्ड है। -सुमित सारस्वत, मो.09462737273

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मोरारी बापू बोले, मृत्यु आए तो खुशी मनाओ | Celebrate of Death

काशी में आयोजित मानस मसान कथा में रामकथा मर्मज्ञ संत मोरारी बापू ने कहा कि मृत्यु कन्हाई है। गीता में कृष्ण ने कहा है कि मैं मृत्यु हूं। अगर मृत्यु आए तो समझो कन्हैया आए हैं। शोक नहीं, खुशी मनाओ। मृत्यु सर्वव्यापक है। रामराज्य में भी मृत्यु थी। मसान और मृत्यु से कभी डरना नहीं चाहिए। भूतकाल का शोक मिट जाए, भविष्य की चिंता मिट जाए और वर्तमान का मोह छूट जाए तो जीव की मुक्ति हो जाती है। उसका मोक्ष हो जाता है। भूत किसी भी व्यक्ति के पास नहीं जाते हैं बल्कि जहां शिवत्व और देवत्व होता हैं, वहां जाते हैं।
बापू ने तात्विक-सात्विक चर्चा करते हुए कहा कि मसान गंगा की तरह पवित्र है। दुनिया का ऐसा कोई मसान नहीं जहां गंगा नहीं है। जहां मसान वहां शिव है। जहां शिव है वहां गंगा है। जैसे समुद्र मंथन से 14 रत्न प्राप्त हुए थे ठीक उसी तरह मसान मंथन से भी 7 रत्न प्राप्त होते हैं। पहला रत्न शांति है। जो मरा है उसको यह रत्न प्राप्त होता है। दूसरा रत्न प्राप्ति है। तीसरा कीर्ति है क्योंकि मर जाने के बाद ही सब हमारी सराहना करते है। शोक सभा में कीर्ति ही गाई जाती है। चौथा रत्न अनासक्ति है। मसान में जलाया जाए उसके बाद उस पर फूलमाला डालें या नहीं, कोई फर्क नहीं पड़ता। यही अनासक्ति है। पांचवां रत्न भक्ति है क्योंकि भक्ति का दाता मसान में बैठा है। छठा रत्न आत्मज्योति है। जो ज्योति चली गई है, वह धीरे-धीरे आत्मज्योति प्रज्जवलित करती है। धृति यानि धैर्य रूपी रत्न मसान से मिला सातवां रत्न है। धैर्य धारण करो, किसी से उलझो मत और अपने ईष्ट पर अटल विश्वास रखो। -सुमित सारस्वत, मो.09462737273


मानस चौपाई व मानस भुवनेश्वर का विमोचन
कथा प्रारंभ होने से पूर्व मोरारी बापू ने श्री चित्रकूट धाम ट्रस्ट, तलगाजरड़ा से प्रकाशित मानस चौपाई व मानस भुवनेश्वर नामक दो पुस्तकों का विमोचन किया। पुस्तक संपादक नितिन बड़गामा ने बताया कि मानस भुवनेश्वर पुस्तक में भुवनेश्वर में हुई रामकथा का प्रवचन है। मानस चौपाई में उन सभी चौपाइयों का संकलन है जिन पर बापू ने शुरू से लेकर जूनागढ़ की मानस नागर तक कथा की है। बापू की पुस्तक हिंदी और गुजराती भाषा में प्रकाशित होती है। अंग्रेजी संस्करण ऑनलाइन उपलब्ध है। बापू की यह वैचारिक संपदा प्रसाद रूप में निःशुल्क बांटी जाती है।



कीर्ति के लिए मरना सीखो
बापू ने कहा कि अगर समाज में कीर्ति प्राप्त करनी हो तो मरना सीखो। मरने के बाद सब तारीफ करते हैं। आपका काम चाहे जैसा भी रहा हो, मृत्यु बाद कीर्ति ही मिलेगी। मुर्दा होना मर्दों का काम है। ओशो ने कहा है, डेथ जितनी डेप्थ नहीं।

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बिसलरी की जगह गंगा जल
बापू ने गंगा की महिमा बताते हुए कहा कि गंगा निर्मल और अमृतमयी जल है। मैं बरसों से गंगा जल पी रहा हूं। मैं चाहता हूं कि देश में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि बिसलरी की जगह गंगा जल ही बिके। मेरे गंगा जल पीने से एक फायदा हुआ कि घर-घर में गंगा जल रहता है। मैं कहीं भी जाऊं वहां गंगा जल मिलता है।

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गंगा को गंदा करना अपराध
कथा में बापू ने गंगा की अस्वच्छता पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, गंगा को गंदा करना अपराध है। शीलवान आदमी गंगा को गंदा करे तो वह अपराधी है। सरकार ने स्वच्छता अभियान चला रखा है। गोरख पीठाधीश्वर सीएम योगी आदित्यनाथ ताजमहल की झाडू लगा रहे हैं। मैं स्वच्छता अभियान की सराहना करता हूं। हमें भी अपनी मानसिकता बदलते हुए इस अभियान में सहयोग करना चाहिए। अंदर से सभी तीर्थ पवित्र हैं लेकिन हमने सदियों से बाहर से उन्हें गंदा कर रखा है। सभी को स्वच्छता अभियान में जुटना चाहिए।


अंधश्रद्धा और शरणागति में अंतर
एक सवाल के जवाब में बापू ने कहा, अंधश्रद्धा कई बार होती है और कहीं भी ले जाती है। शरणाति सिर्फ एक बार होती है और एक से ही होती है। अंधश्रद्धा मत रखो, शरणागति करो।


बुद्ध पुरूष को पहचानने की विधि
बापू से एक भक्त ने प्रश्न किया कि बुद्ध पुरूष की पहचान कैसे करें तो बापू ने कहा वेश, संप्रदाय, तिलक, माला, भाषा के साथ बुद्ध पुरूष में यह चार वस्तु होनी चाहिए। पहला, जो सबका स्वीकार करता हो। दूसरा, किसी से कभी तकरार ना करे। तीसरा, मन, वचन, वाणी से किसी का तिरष्कार ना करे। चौथा, सबसे प्यार करे।

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बापू को ‘प्रेत अवॉर्ड’
काशी के एक भाई ने लिखा, बापू आपकी कथा सुनकर इतना अच्छा लगा कि हम आपको ‘प्रेत अवॉर्ड’ देना चाहते हैं। इस अवॉर्ड के यजमान पद पर मदन भाई को घोषित करते हैं। बापू ने व्यंग्यात्मक जवाब में कहा, ‘मैं अवॉर्ड नहीं लेता। अगर दोगे तो स्वीकार कर लूंगा और वो प्रेत आपको ही लौटा दूंगा।’ बापू ने बताया कि एक बार मुझे देश के बड़े अवॉर्ड का ऑफर आया था मगर मैंने प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया। मेरे लिए मेरी रामकथा ही सबसे बड़ा अवॉर्ड है।

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सांप्रदायिक सौहार्द का मिलन
शुक्रवार को कथा में सांप्रदायिक सौहार्द का मिलन हुआ। शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे सादिक और हरिद्वार के संत चिदानंद सरस्वती ने कथा में पहुंचकर बापू का सम्मान किया। बापू ने मौलाना को शॉल भेंट की। इस दौरान मुख्य यजमान मदन पालीवाल, महामंडलेश्वर संतोष दास महाराज, मंत्रराज पालीवाल सहित अन्य गणमान्य अतिथि मौजूद रहे।
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October 27, 2017

चिंता मसान की चिता समान : मोरारी बापू | Don't Worry Be Happy : Morari Bapu

बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में आयोजित मानस मसान कथा में अंतर्राष्ट्रीय संत मोरारी बापू ने कहा कि हर घर मसान है क्योंकि मसान की वस्तुएं घर में है। जैसे मसान में चिता, काष्ठ और अग्नि है वैसे ही घर में चिंता, कष्ट और ईर्ष्या की आग है। चिंता चिता के समान है। इससे दूर रहने के लिए रामकथा का आश्रय करें। रामकथा जीव को शिव बनाने वाली कथा है। रामकथा सभी समस्याओं का समाधान है। यह वर्तमान का जवाब और भविष्य का मार्गदर्शन है। अहंकार से बचने के लिए राम नाम अत्यंत आवश्यक है।
बापू ने कहा कि राम परमतत्व है जो शिव को भी परमप्रिय है। सदाशिव के लिए भी आदरणीय है। कृष्ण भी किसी दूसरे तत्व का नाम नहीं है। कृष्ण भी शिव को उतने ही प्रिय हैं जितने राम हैं। यदि कृष्ण प्रिय होते तो मानव रूप में अवतार के बाद स्वयं भगवान शंकर उनके दर्शन पूजन को गोकुल गए होते। उन्होंने कहा कि कृष्ण बनना कठिन है। दुनिया के ताने सहने पड़ते हैं। भले ही मंदिर जाओ मगर घर में कोई कृष्ण हो तो उसकी भावनाओं को भी समझो। परमात्मा के हाथ न्याय के प्रतीक और चरण करूणा के प्रतीक हैं। परमात्मा अपना लेते हैं तो आश्रित की भूल माफ कर देते हैं। संत कृपा सनातन संस्थान की ओर से आयोजित रामकथा में काशीराज कुंवर अनंतनारायण सिंह, मुख्य यजमान मदन पालीवाल, भाजपा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, सतुआ बाबा, मंत्रराज पालीवाल सहित कई देशभर से आए हजारों श्रद्धालु धर्मलाभ ले रहे हैं। -सुमित सारस्वत, मो.09462737273


सौभाग्य से मिलता है मसान
बापू बोले, जीवित जीवों को तो मैं बरसों से कथा सुनाता रहा हूं मगर काशी की मानस मसान कथा मणिकर्णिका महाश्मशान के मुर्दों को समर्पित है। जीवन की कोई निश्चितता नहीं है परंतु मृत्यु तय है। अगर जीवन सुख है तो मृत्यु सुख का सार है। मसान का सौभाग्य मुर्दे को ही मिलता है। मसान में काम नहीं, राम होता है। क्रोध नहीं बल्कि बोध होता है। लोभ नहीं, क्षोभ ग्लानि होती है। वहां मद नहीं, विष्णुपद होता है। मोह नहीं होता मगर मेह संवेदना होती है। मत्सर नहीं, ईश्वर होता है। मसान में श्रम नहीं होता, विश्राम होता है।


कांड से मिलती है शिक्षा
रामचरितमानस का हर कांड हमें शिक्षा देता है। मानस के बालकांड में काम नहीं है। अयोध्या कांड में क्रोध नहीं बल्कि बोध है। अरण्य कांड में लोभ नहीं है। यह मुनियों त्यागियों का कांड है। किष्किन्धा कांड में मद अभिमान नहीं है। सुन्दरकांड में मोह नहीं है और लंका कांड में मत्सर नहीं है।

भय से मुक्त हो वो साधु
बापू ने कहा कि जीव को तीन प्रकार का भय सताता है। पहला वियोग, जो मिला वो छूट जाएगा। दूसरा हानि, नुकसान तो नहीं हो जाएगा। तीसरा अपमान, कोई अपमानित ना कर दे। जो इन तीनों भय से मुक्त हो वो साधु होता है। साधु भले ही मत बनो, साधु का संग तो करो। जीजस ने कहा था, ‘दस्तक दो, दरवाजा खुलेगा।परमात्मा का सामीप्य हो मगर सानिध्य है।
सत्य की राह कठिन
मजा देखा सत्य का, जिधर तू है उधर कोई नहींयह शेर सुनाते हुए बापू ने कहा कि सत्य की राह कठिन है। गांधी बापू सत्य के मार्ग पर चले तो उन्हें गोली मार दी गई।हमको बारिशों का कोई खौफ नहीं, क्योंकि हम पतंगें नहीं परिन्दे हैंइस शेर के जरिए संदेश दिया कि सत्य को अपनाए, किसी से डरें नहीं।

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कथा सीखा रहा हूं

बापू ने कहा, मुझे कभी-कभी महसूस होता है कि मैं कथा सुना नहीं रहा बल्कि सीखा रहा हूं। जैसे टीचर क्लास लेता है वैसे मैं भी आपकी क्लास ले रहा हूं। मैं ऐसा इसलिए करता हूं क्योंकि मैं चाहता हूं कि रामचरितमानस आपके अंदर उतर जाए।


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