बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में आयोजित मानस मसान कथा के तृतीय दिवस रामकथा मर्मज्ञ संत मोरारी बापू ने मानस, मृत्यु व मसान की व्याख्या करते हुए कहा कि मसान पवित्र जगह है। मसान में झूठ, फरेब, ईर्ष्या का नाश होता है। मसान मानस की तरह निर्मल है। मसान के प्रति अपना नजरिया बदलें। मन से मसान का भय निकाल दो, यही है मानस मसान।
बापू ने कहा, लोगों को भौतिक मसान भयंकर लगता है क्योंकि यहां चिताएं जलती है। हर ओर रोने-बिलखने का शोर होता है। मसान से डरने की जरूरत नहीं है। मसान तो सुंदर देवालय है। दैविक मसान में तो शिव-पार्वती का निवास है। यहां रात्रि में चिताएं जलती है तो ऐसी लगती है मानो आरती हो रही हो। आध्यात्मिक मसान ज्ञान को जागृत करता है। काशी मानस मसान ज्ञान की खान है। जहां भक्ति है, विश्वास है, श्रद्वा है, संयम है, धर्म की सन्मुखता है, वो है आदि दैविक मसान। उन्होंने कहा कि जीवन ही साधना है। साधना के लिए जीवन को अलग मत करो। जो काम करो, पूरी निष्ठा से करो। बापू ने यह भी स्पष्ट कि कि बेटी अगर मसान में जाकर चिता को मुखाग्नि देना चाहे तो गलत नहीं है। इससे धर्म कभी नाराज नहीं होगा। कुछ धार्मिक लोग नाराज हो सकते हैं। वैसे अब तो परंपरा बदलने लगी है और कई बेटियां मुक्तिधाम जाकर अंतिम संस्कार करती है।
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मन को पवित्र करती है रामचतिमानस
रामचतिमानस को समझाते हुए कहा कि गोस्वामीजी से पूछा गया कि रामचरितमानस में क्या है तो उन्होंने जवाब दिया, ‘एहि महं रघुपति नाम उदारा, अति पावन पुरान श्रुति सारा।’ रामचरितमानस का प्राकट्य संवत 1631 की रामनवमी के दिन हुआ था। उस दिन वही सारे संयोग थे जो त्रेता युग में रामनवमी के दिन थे। रामकथा को बार-बार सुनना चाहिए। जब रामकथा का व्यसन हो गया तो इसे छोड़ नहीं पाओगे। कथा से लगन लग गई तो संसार के दुख नष्ट हो जाएंगे। बापू ने कहा, मेरा 55 साल का अनुभव है कि मुझे कथा हर रोज नई लगती है। जैसे गुलाब का पौधा वही होता है लेकिन फूल हर रोज नया लगता है। रामकथा भजन है। भोजन की तरह इसका भी नित नया स्वाद है। कैलाश मानसरोवर की तरह रामचरितमानस भी मानसरोवर है जो मन को पवित्र करती है। बापू ने कहा, सावन मास में मसान में जाकर रामायण का पाठ करो। वहां महादेव श्रोता बनेगा। कथा शिव को भी सुख देती है। जीव को कथा श्रवण से परम सुख की प्राप्ति होती है। रामकथा सबको सुख देती है। कथा के बीच महादेव तुम्हारी जय जय हो.., श्रीराधे गोविंद भज मन श्रीराधे.. भजन पर भावों में डूबे श्रोता झूम उठे।
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मसान में शादी करवाऊं
बापू ने बताया कि एक युवक हर साल अपना जन्मदिन मसान में मनाता है। मुझे जानकर खुशी है। मेरा बस चले तो मैं मसान में शादी करवाऊं। सभी को जन्मदिन के दिन मसान में जाकर आना चाहिए। संडे को मसान में जाकर पार्टी करो। हो सके तो कभी मसान में रास रचाओ। अगर शादी के बाद मसान जाओगे तो तलाक से बच जाओगे, क्योंकि वहां महादेव का दांपत्य है।
मोरारी बापू का यह वीडियो जरूर देखें
'मैं 300 साल पहले मर गया'
बापू ने कहा कि भूत से डरने की आवश्यकता नहीं है। एक गांव में मान्यता थी कि रात साढे 9 बजे बाद गांव में भूत घूमता है। उस गांव में रात साढे 9 बजने से पहले ही खिड़की-दरवाजे बंद हो जाते थे। उस गांव में विदेश से एक युवक घूमने आया तो उसे सुनकर अजीब लगा कि रात में भूत आता है। जिज्ञासावश वो रात को साढे 10 बजे गांव में घूमने निकला तो गांव के बाहर नदी के पास एक बूढा बैठा मिला। युवक ने पूछा, आप रात में बाहर क्यों बैठे हो। सुना है रात को भूत आता है तो उसने कहा मुझे पता नहीं रात में क्या होता है। मैं तो तीन सौ साल पहले मर चुका हूं। यह किस्सा सुनकर पूरा पांडाल ठहाकों से गूंज उठा। बापू ने कहा, मैं भूतों की बातें करके आपको निर्भय बनाना चाहता हूं। जो राम नाम का सुमिरन करते हैं वो भूतों से कभी नहीं डरते।
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पूंछ और मूंछ की महिमा
विनोद के लिए किस्सा सुनाते हुए बापू ने कहा कि हमारे देश में दो चीजों की महिमा है, एक मूंछ और दूसरी पूंछ। मूंछ आगे होती है और पूंछ पीछे। इंसान चारों ओर से सुरक्षित। बापू ने मूंछ को लेकर देहाती और विदेशी के बीच संवाद का एक किस्सा सुनाकर सभी को हंसाया।
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संसार की संस्कृतियों का संगम
संत मोरारी बापू की रामकथा में संसार की कई संस्कृतियों का संगम देखने को मिल रहा है। यहां पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक कोने-कोने से कथा श्रवण के लिए श्रोता पहुंचे हैं। वाराणसी में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान सहित देश के कई राज्यों से आए भक्त संगीत की सुमधुर धुनों के बीच आनंद सरोवर में डुबकियां लगा रहे हैं। -सुमित सारस्वत, मो.09462737273
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बापू ने कहा, लोगों को भौतिक मसान भयंकर लगता है क्योंकि यहां चिताएं जलती है। हर ओर रोने-बिलखने का शोर होता है। मसान से डरने की जरूरत नहीं है। मसान तो सुंदर देवालय है। दैविक मसान में तो शिव-पार्वती का निवास है। यहां रात्रि में चिताएं जलती है तो ऐसी लगती है मानो आरती हो रही हो। आध्यात्मिक मसान ज्ञान को जागृत करता है। काशी मानस मसान ज्ञान की खान है। जहां भक्ति है, विश्वास है, श्रद्वा है, संयम है, धर्म की सन्मुखता है, वो है आदि दैविक मसान। उन्होंने कहा कि जीवन ही साधना है। साधना के लिए जीवन को अलग मत करो। जो काम करो, पूरी निष्ठा से करो। बापू ने यह भी स्पष्ट कि कि बेटी अगर मसान में जाकर चिता को मुखाग्नि देना चाहे तो गलत नहीं है। इससे धर्म कभी नाराज नहीं होगा। कुछ धार्मिक लोग नाराज हो सकते हैं। वैसे अब तो परंपरा बदलने लगी है और कई बेटियां मुक्तिधाम जाकर अंतिम संस्कार करती है।
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मन को पवित्र करती है रामचतिमानस
रामचतिमानस को समझाते हुए कहा कि गोस्वामीजी से पूछा गया कि रामचरितमानस में क्या है तो उन्होंने जवाब दिया, ‘एहि महं रघुपति नाम उदारा, अति पावन पुरान श्रुति सारा।’ रामचरितमानस का प्राकट्य संवत 1631 की रामनवमी के दिन हुआ था। उस दिन वही सारे संयोग थे जो त्रेता युग में रामनवमी के दिन थे। रामकथा को बार-बार सुनना चाहिए। जब रामकथा का व्यसन हो गया तो इसे छोड़ नहीं पाओगे। कथा से लगन लग गई तो संसार के दुख नष्ट हो जाएंगे। बापू ने कहा, मेरा 55 साल का अनुभव है कि मुझे कथा हर रोज नई लगती है। जैसे गुलाब का पौधा वही होता है लेकिन फूल हर रोज नया लगता है। रामकथा भजन है। भोजन की तरह इसका भी नित नया स्वाद है। कैलाश मानसरोवर की तरह रामचरितमानस भी मानसरोवर है जो मन को पवित्र करती है। बापू ने कहा, सावन मास में मसान में जाकर रामायण का पाठ करो। वहां महादेव श्रोता बनेगा। कथा शिव को भी सुख देती है। जीव को कथा श्रवण से परम सुख की प्राप्ति होती है। रामकथा सबको सुख देती है। कथा के बीच महादेव तुम्हारी जय जय हो.., श्रीराधे गोविंद भज मन श्रीराधे.. भजन पर भावों में डूबे श्रोता झूम उठे।
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मसान में शादी करवाऊं
बापू ने बताया कि एक युवक हर साल अपना जन्मदिन मसान में मनाता है। मुझे जानकर खुशी है। मेरा बस चले तो मैं मसान में शादी करवाऊं। सभी को जन्मदिन के दिन मसान में जाकर आना चाहिए। संडे को मसान में जाकर पार्टी करो। हो सके तो कभी मसान में रास रचाओ। अगर शादी के बाद मसान जाओगे तो तलाक से बच जाओगे, क्योंकि वहां महादेव का दांपत्य है।
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'मैं 300 साल पहले मर गया'
बापू ने कहा कि भूत से डरने की आवश्यकता नहीं है। एक गांव में मान्यता थी कि रात साढे 9 बजे बाद गांव में भूत घूमता है। उस गांव में रात साढे 9 बजने से पहले ही खिड़की-दरवाजे बंद हो जाते थे। उस गांव में विदेश से एक युवक घूमने आया तो उसे सुनकर अजीब लगा कि रात में भूत आता है। जिज्ञासावश वो रात को साढे 10 बजे गांव में घूमने निकला तो गांव के बाहर नदी के पास एक बूढा बैठा मिला। युवक ने पूछा, आप रात में बाहर क्यों बैठे हो। सुना है रात को भूत आता है तो उसने कहा मुझे पता नहीं रात में क्या होता है। मैं तो तीन सौ साल पहले मर चुका हूं। यह किस्सा सुनकर पूरा पांडाल ठहाकों से गूंज उठा। बापू ने कहा, मैं भूतों की बातें करके आपको निर्भय बनाना चाहता हूं। जो राम नाम का सुमिरन करते हैं वो भूतों से कभी नहीं डरते।
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पूंछ और मूंछ की महिमा
विनोद के लिए किस्सा सुनाते हुए बापू ने कहा कि हमारे देश में दो चीजों की महिमा है, एक मूंछ और दूसरी पूंछ। मूंछ आगे होती है और पूंछ पीछे। इंसान चारों ओर से सुरक्षित। बापू ने मूंछ को लेकर देहाती और विदेशी के बीच संवाद का एक किस्सा सुनाकर सभी को हंसाया।
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संसार की संस्कृतियों का संगम
संत मोरारी बापू की रामकथा में संसार की कई संस्कृतियों का संगम देखने को मिल रहा है। यहां पूरब से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक कोने-कोने से कथा श्रवण के लिए श्रोता पहुंचे हैं। वाराणसी में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान सहित देश के कई राज्यों से आए भक्त संगीत की सुमधुर धुनों के बीच आनंद सरोवर में डुबकियां लगा रहे हैं। -सुमित सारस्वत, मो.09462737273
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