अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक संत मोरारी बापू ने कहा कि जो रिश्ता परमात्मा बनाए वो अच्छा है। संबंध परमात्मा को जोड़ने दो। वो जोड़ेंगे तो कभी तोड़ेंगे नहीं। कृष्ण ने सुदामा से रिश्ता जोड़ा और उसे निभाया। आप और हम जो रिश्ता बनाते हैं वो दीर्घायु नहीं होता। हम जोड़ेंगे तो स्वार्थ सिद्ध नहीं होने पर तोड़ देंगे। वे यहां मोक्ष नगरी काशी में आयोजित मानस मसान कथा के चतुर्थ दिवस कृष्ण-सुदामा प्रसंग सुना रहे थे।
बापू ने शायर बदायूं का शेर ‘वो फिर बाजार में नजर नहीं आया, जिनकी नजर तेरी गली की ओर मुड़ गई’ सुनाते हुए कहा कि परमात्मा से प्रेम करो। जिसमें हेत नहीं, वो प्रेत है। जिसमें संवेदना नहीं, एक-दूसरे के प्रति प्रेम नहीं, वो सब प्रेत हैं। कृष्ण के पास ऐश्वर्य और सुदामा के पास गरीबी थी। फिर भी सुदामा का भाव था कि कृष्ण से लेने नहीं, कृष्ण को देने जाऊंगा। पत्नि ने चार मुट्ठी चांवल दिए और कहा, इन चांवलों के साथ मैं मेरा कार्य-अकार्य, बंधन-मोक्ष, सावधान-असावधान, सुख-दुख सब कृष्ण को सौंप रही हूं। उन्होंने कहा कि शास्त्र बंधक हैं और बंधन बड़े प्यारे होते हैं। चाहे जंजीर लोहे की हो या सोने की। दीप्ति मिश्र का शेर ‘दो मुझे ताकत कि मैं अब सत्य को पारिभाषित करूं, या कलम तोड़ो मेरी या मेरी सर्जनाएं छीन लो’ सुनाकर सदैव सत्य के साथ रहने का संदेश दिया।
बापू ने कहा कि जिस घर में संतान नहीं वो शून्य है। खुशियों के लिए घर में संतान होना आवश्यक है। चाहे वो पुत्र हो या पुत्री। अगर घर में संतान न हो तो ईश्वर के साथ संबंध जोड़ो। भगवान के किसी भी रूप से कोई न कोई रिश्ता बनाओ। पुत्र नहीं तो कृष्ण को संतान मानो। ऐसा बेटा होगा तो कल्याण हो जाएगा। उन्होंने कहा कि हृदय में सदभाव न हो तो हृदय भी शून्य हो जाता है। उसी तरह सुख-दुख में साथ देने वाला, कंधे पर हाथ रखने वाला भाई ना हो तो सभी दिशाएं शून्य हो जाती है। बापू ने बेटी बचाने का संदेश देते हुए कहा कि बेटी को भी घर का चिराग समझें। बेटों की तरह बेटियां भी माता-पिता का नाम चमकाकर घर को रोशन करती है। मंगलवार को बापू ने भगवान शिव-पार्वती विवाह का विवाह प्रसंग हास्य-विनोद के साथ आनंद और उल्लास भरे वातावरण में सुनाया। संत कृपा सनातन संस्थान के अध्यक्ष एवं मानस मसान कथा के मुख्य यजमान मदन पालीवाल, काशिराज डॉ.अनंत नारायण सिंह, संत संतोष दास (सतुआ बाबा) सहित देशभर से आए हजारों श्रद्धालुओं ने धर्मलाभ लिया। बुधवार को राम जन्म प्रसंग सुनाया जाएगा। -सुमित सारस्वत, मो.09462737273
..तो घर मसान बन जाता है
रामचरितमानस की व्याख्या करते हुए बापू ने कहा कि रामचरितमानस मंगलकर्णी ग्रंथ है। रामकथा राम का घर है। जहां समर्पण, धैर्य, सत्य ना हो तो घर मसान बन जाता है। राजा दशरथ की मृत्यु के पश्चात कौशल्या का घर अयोध्या का मणिकर्णिका घाट बन गया। उन्होंने कहा कि बोलने की भी सीमा होनी चाहिए। चार भाईयों में सबसे छोटा शत्रुघ्न चुप रहता था। छोटे को कम ही बोलना चाहिए। तभी आत्मीयता और सम्मान बरकरार रहता है।
सामाजिक समरसता का संदेश
कथा में बापू ने नरसी मेहता का संवाद सुनाते हुए सामाजिक समरसता का संदेश दिया। उन्होंने कहा, कसौटियां आदमी को जागृत करती है। समाज से ऊंच-नीच का भेद मिटाओ। किसी दलित के पास जाकर उसे स्वीकार करो, उसे प्रसन्नता होगी। नरसी मेहता ने दलित के घर जाकर पूरी रात जागरण किया था। ऐसा करने पर ठाकुर भी प्रसन्न होता है।
पति के अलावा दूसरा देव नहीं
बापू ने कहा, नारी का पति के अलावा उसका दूसरा कोई धर्म नहीं है। पत्नी पतिव्रता धर्म का पालन करते हुए पति के शुभ की कामना करती है। पति से पहले मोक्ष को प्राप्त कर अपने पति के लिए मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है।
बापू ने बताए बुद्धि के चार दोष
- भ्रम - बुद्धि जल्दी भ्रमित होती है।
- लोभ - बुद्धि प्रलोभन दिखाती है।
- प्रमाद - बुद्धि प्रमाद की तरफ रहती है। सत्य को स्वीकार नहीं करती।
- श्रवण में असावधानता - बुद्धि दूसरों की बात नहीं सुनती।
इन चार दोष के कारण भक्ति हृदय से मस्तिष्क तक नहीं जा पाती। अगर ऐसा हो जाए तो आदि दैविक मसान बन जाए।
भावुक हुए बापू
कथा सुनाते हुए बापू दो बार भावुक हो गए। वे जब कृष्ण और सुदामा का प्रसंग सुना रहे थे तो उनकी आंखों से अश्रु निकल रहे थे। इसके बाद कौशल्या की वेदना सुनाते वक्त भी बापू की आंखों से अश्रु छलक रहे थे। इन दोनों प्रसंगों के दौरान पांडाल में भावुकता का माहौल था।
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