बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी
में आयोजित मानस मसान कथा में अंतर्राष्ट्रीय संत मोरारी बापू ने कहा कि हर घर मसान है क्योंकि मसान
की वस्तुएं घर में है।
जैसे मसान में चिता, काष्ठ और अग्नि है
वैसे ही घर में
चिंता, कष्ट और ईर्ष्या की
आग है। चिंता चिता के समान है।
इससे दूर रहने के लिए रामकथा
का आश्रय करें। रामकथा जीव को शिव बनाने
वाली कथा है। रामकथा सभी समस्याओं का समाधान है।
यह वर्तमान का जवाब और
भविष्य का मार्गदर्शन है।
अहंकार से बचने के
लिए राम नाम अत्यंत आवश्यक है।
बापू
ने कहा कि राम परमतत्व
है जो शिव को
भी परमप्रिय है। सदाशिव के लिए भी
आदरणीय है। कृष्ण भी किसी दूसरे
तत्व का नाम नहीं
है। कृष्ण भी शिव को
उतने ही प्रिय हैं
जितने राम हैं। यदि कृष्ण प्रिय न होते तो
मानव रूप में अवतार के बाद स्वयं
भगवान शंकर उनके दर्शन पूजन को गोकुल न
गए होते। उन्होंने कहा कि कृष्ण बनना
कठिन है। दुनिया के ताने सहने
पड़ते हैं। भले ही मंदिर जाओ
मगर घर में कोई
कृष्ण हो तो उसकी
भावनाओं को भी समझो।
परमात्मा के हाथ न्याय
के प्रतीक और चरण करूणा
के प्रतीक हैं। परमात्मा अपना लेते हैं तो आश्रित की
भूल माफ कर देते हैं।
संत कृपा सनातन संस्थान की ओर से
आयोजित रामकथा में काशीराज कुंवर अनंतनारायण सिंह, मुख्य यजमान मदन पालीवाल, भाजपा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, सतुआ बाबा, मंत्रराज पालीवाल सहित कई देशभर से
आए हजारों श्रद्धालु धर्मलाभ ले रहे हैं।
-सुमित सारस्वत, मो.09462737273
सौभाग्य
से मिलता है मसान
बापू
बोले, जीवित जीवों को तो मैं
बरसों से कथा सुनाता
आ रहा हूं मगर काशी की मानस मसान
कथा मणिकर्णिका महाश्मशान के मुर्दों को
समर्पित है। जीवन की कोई निश्चितता
नहीं है परंतु मृत्यु
तय है। अगर जीवन सुख है तो मृत्यु
सुख का सार है।
मसान का सौभाग्य मुर्दे
को ही मिलता है।
मसान में काम नहीं, राम होता है। क्रोध नहीं बल्कि बोध होता है। लोभ नहीं, क्षोभ व ग्लानि होती
है। वहां मद नहीं, विष्णुपद
होता है। मोह नहीं होता मगर मेह संवेदना होती है। मत्सर नहीं, ईश्वर होता है। मसान में श्रम नहीं होता, विश्राम होता है।
कांड
से मिलती है शिक्षा
रामचरितमानस
का हर कांड हमें
शिक्षा देता है। मानस के बालकांड में
काम नहीं है। अयोध्या कांड में क्रोध नहीं बल्कि बोध है। अरण्य कांड में लोभ नहीं है। यह मुनियों व
त्यागियों का कांड है।
किष्किन्धा कांड में मद व अभिमान
नहीं है। सुन्दरकांड में मोह नहीं है और लंका
कांड में मत्सर नहीं है।
भय से मुक्त हो वो साधु
बापू
ने कहा कि जीव को
तीन प्रकार का भय सताता
है। पहला वियोग, जो मिला वो
छूट जाएगा। दूसरा हानि, नुकसान तो नहीं हो
जाएगा। तीसरा अपमान, कोई अपमानित ना कर दे।
जो इन तीनों भय
से मुक्त हो वो साधु
होता है। साधु भले ही मत बनो,
साधु का संग तो
करो। जीजस ने कहा था,
‘दस्तक दो, दरवाजा खुलेगा।’ परमात्मा का सामीप्य न
हो मगर सानिध्य है।
सत्य
की राह कठिन
‘मजा
देखा सत्य का, जिधर तू है उधर
कोई नहीं’ यह शेर सुनाते
हुए बापू ने कहा कि
सत्य की राह कठिन
है। गांधी बापू सत्य के मार्ग पर
चले तो उन्हें गोली
मार दी गई। ‘हमको
बारिशों का कोई खौफ
नहीं, क्योंकि हम पतंगें नहीं
परिन्दे हैं’ इस शेर के
जरिए संदेश दिया कि सत्य को
अपनाए, किसी से डरें नहीं।
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कथा सीखा रहा हूं
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कथा सीखा रहा हूं
बापू
ने कहा, मुझे कभी-कभी महसूस होता है कि मैं
कथा सुना नहीं रहा बल्कि सीखा रहा हूं। जैसे टीचर क्लास लेता है वैसे मैं
भी आपकी क्लास ले रहा हूं।
मैं ऐसा इसलिए करता हूं क्योंकि मैं चाहता हूं कि रामचरितमानस आपके
अंदर उतर जाए।
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