राजा दशरथ और कौशल्या का दांपत्य पावन था तो उनके घर राम का जन्म हुआ। आज भी राम प्रतीक्षा में हैं मगर दशरथ और कौशल्या नहीं मिलते। हनुमानजी को साकार रूप में आने के लिए माता अंजना नहीं मिल रही। राम का अर्थ विश्राम, विराम व अभिराम है। पत्नी पति को आदर दे, पति प्रेम बरसाए और दोनों मिल कर श्रद्धा-भक्ति करें। यह तीन सूत्रीय फॉर्मूला जहां साकार हो गया वहां राम नवमी हो जाएगी। यह बात अंतर्राष्ट्रीय संत मोरारी बापू ने काशी में आयोजित मानस मसान में कही।
रामकथा के पंचम दिवस भगवान राम का जन्म प्रसंग सुनाते हुए बापू ने चिंता जताई कि हिंदुस्तान के दांपत्य को नजर लग गई है। अब रिश्ते लंबे नहीं चलते। घर में राम नाम का सुमिरन किया जाए तो सुधार आ सकता है। उन्होंने कहा, पुरूषार्थ करो, प्रार्थना करो, प्रतीक्षा करो, प्रभु आएंगे। अहिल्या, सुग्रीव, जटायु, जानकी और शबरी प्रमाण है जिन्होंने प्रतीक्षा की तो प्रभु खुद आए। बापू ने प्रभु जन्मोत्सव की चौपाइयां सुनाकर श्रोताओं को भावों से भर दिया। पांडाल में भजन और चौपाइयों के साथ जब बापू ने श्रीराम जन्म की घोषणा की तो हजारों श्रोता भाव विभोर होकर नाचने लगे।ऐसा अनूठा नजारा दिखा मानो बाबा विश्वनाथ की धरती पर राम ने फिर से जन्म ले लिया हो। पूरा वातावरण राममय हो गया। ‘भये प्रकट कृपाला दीनदयाला..’ दोहराते हुए हजारों की संख्या में मौजूद श्रद्धालु एक साथ खड़े होकर बधाइयां गाने लगे। कथा में संत कृपा सनातन संस्थान के अध्यक्ष मदन पालीवाल, काशी नरेश अनंत नारायण सिंह, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन, यूपी प्रदेशाध्यक्ष डॉ. महेंद्रनाथ पांडेय, संत संतोष दास, पं.आशीष मिश्र, चेतन कृष्ण सहित देशभर से आए हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। -सुमित सारस्वत, मो.09462737273
मृत्यु मेहमान और मसान यजमान
बापू ने कहा कि उज्जैन और बनारस परंपरा में मसान सिद्धपीठ और यजमान हैं। व्यासपीठ पर बैठकर बोलना चिता पर बैठकर बोलने के समान है। मसान हमारी प्रतीक्षा करता है। यजमान कोई पंक्ति भेद नहीं करता है। मसान ऐसा यजमान है कि एक बार मेहमान आ जाए तो सदा के लिए रख लेता है। मेहमान का भी कर्तव्य होता है कि जो मिले, उसका शुक्रिया अदा करे। उन्होंने कहा, मृत्यु वाले घर में बैठकर उत्तरकांड का पाठ करें। मसान में बैठकर एक बार सुंदरकांड का पाठ कर लिया जाए तो संसार की सभी क्रियाएं पूर्ण हो जाती हैं। जब तक राम हैं तब तक पुत्र पुत्र है, हितैषी हितैषी है और मित्र मित्र है। जब राम तत्व चला जाता है तब पुत्र, मित्र और हितैषी यमदूत लगने लगते हैं। सूत्र दिया कि मानस या हृदय जब मसान बन जाता है तब मुक्ति मुट्ठी में आ जाती है। मृत्यु सत्य है और वह प्रेम को प्रकट करती है। सत्य का एकमात्र दायित्व है कि वह विश्व में प्रेम का सर्जन करे।
किसी को सफाई मत दो
बापू ने जीवन में सफलता का सूत्र बताते हुए कहा कि अच्छे व्यक्ति की सदैव आलोचना होती है। आलोचनाओं को स्वीकार करो। अगर सत्य हो तो किसी को सफाई मत दो। सफाई वो देता है जो थोड़ा भी झूठा हो। जवाब नहीं दोगो तो आलोचक का मुंह बंद हो जाएगा।
पद्मभूषण गिरिजा देवी को श्रद्धांजलि
कथा प्रारंभ करने से पूर्व बापू ने पद्मभूषण भारतीय शास्त्रीय संगीत गायिका गिरिजा देवी के निधन पर संवेदना प्रकट की। उन्होंने कहा, बनारस घराने की गिरिजा देवी ने ठुमरी गायन को संवारकर लोकप्रिय बनाने में बहुत बड़ा योगदान दिया। बापू ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ठुमरी संगीत का वादन भी करवाया।
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