भगवान बांकेबिहारी के पावन धाम वृंदावन में संत मोरारी बापू ने सुखद दांपत्य का सूत्र बताया। उन्होंने कहा कि राम-सीता, लक्ष्मी-नारायण और शिव-पार्वती का दांपत्य सुखद है। सीता ने वन में राम की सेवा की। लक्ष्मीजी नारायण के चरण दबाती है। पार्वती ने शिव की आज्ञा का पालन किया। इनसे प्रेरणा लेकर दांपत्य सुंदर बनाओ। एक-दूसरे का आदर करो। पति-पत्नी के बीच संबंध मधुर होने चाहिए। बात-बात पर झगड़ा या क्रोध करना उचित नहीं। वे यहां ब्रज चौरासी कोस में आयोजित मानस परिक्रमा कथा के चौथे दिन प्रवचन दे रहे थे।
बापू ने कहा कि रामकथा संजीवनी है। यह जीना सिखाती है। कथा में जीवन जीने का संकल्प लेकर आओ। जीवन के हर पल का आनंद लो। कई बार तो ऐसा लगता है आनंद लेने के लिए जीवन कम है। खुश रहने का कोई लम्हा न छोड़ो। तुलसी मगन भयो, राम गुण गाए के.. गुनगुनाते हुए बापू बोले कि भजन एक महारोग है जिसे लग जाए उसे कोई कामना नहीं रहती। जब तक काम नहीं मिटता तब तक संतोष नहीं मिलता। काम है तब तक सुख नहीं। काम को मिटाने के लिए राम भजन करें। इस संदेश के साथ उन्होंने ‘मुस्कुराते रहो गुनगुनाते रहो, जीवन संगीत है सुर सजाते रहो..’ गीत सुनाया।
‘कल जहां मजहबी जलसा हुआ था, धुआं सा उठ रहा है क्यूं वहां से’ शेर सुनाते हुए बापू ने कहा कि किसी की आलोचना न करें। आलोचना खूबसूरत लिबास में लिपटी निंदा है। निंदा हिंसा समान है। हिंसा अधर्म है। अधर्म का निर्वाण (मोक्ष) करने के लिए अवतार होता है। जो मुनि का मौन और ऋषि की वाणी समझ ले उसका कल्याण है। बुधवार को कथा अक्रूर घाट पर होगी। -सुमित सारस्वत, मो.9462737273
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कृष्ण को सुख मिले वो प्रेम
बापू ने चैतन्य महाप्रभु के शब्द ‘कृष्ण सुख वांछा, प्रेम तो प्रबल..’ सुनाते हुए बताया कि काम और प्रेम में अंतर है। काम अंधेरा है और प्रेम उजाला फैलाने वाला भास्कर है। हमें सुख मिले वो काम है और जिससे कृष्ण को सुख मिले वो प्रेम है।
नर बन कमाओ, नारायण बन बांटो
बापू ने गुजराती गजल की पंक्ति सुनाते हुए दान का महत्व बताया। कहा, कमाई का सदुपयोग होना चाहिए। नर बनकर दो हाथों से कमाओ और नारायण बनकर चार हाथों से बांटो। खुदा दे तो बांट दो और न भी दे तो मुस्कुराओ। परमात्मा से प्रार्थना करो, दे तो इतना दे कि संसार के काम आए।
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बुजुर्गों की सेवा का संदेश
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बुजुर्गों की सेवा का संदेश
बापू ने बुजुर्गों की सेवा करने का संदेश देते हुए कहा कि आखरी वक्त में सेवा करे वही सच्चा हितैषी है। हाथ-पैरों में जान रहती है तब तक तो सभी पास रहते हैं मगर अंतिम समय में इंसान अकेला हो जाता है। यह कहते हुए बापू की आंखें नम हो गई।
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मानस मंच पर निधिवन का नजारा
मंगलवार को वृंदावन में हुई कथा के मंच पर निधिवन का नजारा दिखाई दिया। बापू ने इसी के बीच बैठकर कथा का अमृतपान करवाया। मंच पर निधिवन का चित्रण सभी का ध्यान आकर्षित कर रहा था। वन के बीच भगवान श्रीकृष्ण राधारानी के साथ प्रेम लीला कर रहे थे। हरियाली से आच्छादित वृक्षों के बीच बैठे मयूर मन को आनंदित कर रहे थे।
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