
जिस श्मशान में जाने से लोग खौफजदा हो जाते हैं वहां एक युगल ने शादी रचाकर नए जीवन की शुरुआत की। सुनकर यकीन नहीं हुआ होगा मगर यह सच है। गुजरात के भावनगर जिले में महुवा के श्मशान को सुन्दर सजाया गया। यहां वर-वधु ने चिता के फेरे लेकर दांपत्य जीवन की शुरुआत की।
दरअसल गत अक्टूबर माह में कथावाचक मोरारी बापू ने मोक्ष नगरी काशी में नौ दिवसीय रामकथा में मुक्तिधाम का महत्व बताते हुए कहा था कि जन्म और मृत्यु का उत्सव श्मशान भूमि में मनाना चाहिए। इससे प्रेरणा लेकर महुवा में रविवार को एक पुजारी के बेटे ने श्मशान भूमि से ही वैवाहिक जीवन की शुरुआत की। दूल्हे घनश्याम और दुल्हन पारुल ने चिता के फेरे लेकर वैवाहिक रस्म निभाई। इस मौके पर वर और वधू पक्ष के सभी लोग मौजूद रहे और उन्होंने जोड़े को सफल जीवन का आशीर्वाद दिया।
श्मशान घाट जहां मनहूसियत का आलम होता है, वहां इस बार रौनक थी और लोगों के चेहरे खुशी से खिले थे। घनश्याम ने कहा, ‘मोरारी बापू ने कहा था कि मसान महातीर्थ है। तभी संकल्प ले लिया था कि श्मशान में ही विवाह करूंगा। पारुल से कहा कि सुनते तो सब हैं, लेकिन अमल भी करना जरूरी है। पारुल भी इसके लिए तैयार हो गई।’ -सुमित सारस्वत, मो.9462737273
पंडित ने मना किया तो बापू ने करवाए फेरे
श्मशान में शादी करने की इच्छा लेकर यह जोड़ा मोरारी बापू के जन्मस्थल तलगाजरडा में उनसे मिला और बापू ने उनका अनुरोध स्वीकार कर लिया। श्मशान में शादी करवाने के लिए जब कोई पंडित तैयार नहीं हुआ तो खुद मोरारी बापू श्मशान पहुंचे। उन्होंने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच श्मशान घाट पर घनश्याम और पारुल की शादी संपन्न कराई। खास बात यह रही है कि श्मशान घाट पर शादी की सभी रस्में पूरी की गईं।
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मृत्यु सच्चाई है इसका उत्सव मनाएं

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