ब्रज चौरासी कोस में मानस परिक्रमा कथा के चौथे पड़ाव वृंदावन में रामकथा मर्मज्ञ मोरारी बापू ने एक के बाद एक कई शेर सुनाकर श्रोताओं का दिल जीत लिया। प्रवचन के साथ गीत, गजल, गाने गुनगुना कर कथा को आनंदित बनाने वाले बापू ने ठाकुर बांकेबिहारी की नगरी में राज कौशिक, मासूम गाज़ियाबादी जैसे विख्यात शायरों के शेर सुनाकर खूब दाद बटोरी। गहरे राज छुपाए शेर पर कभी गगनभेदी तालियां गूंजी तो कभी माहौल भावुक हो गया। -सुमित सारस्वत, मो.9462737273
अगर साहिब मेरा कद आंकना है,
तो उतर आइए जमीं पर आसमां से।
बड़ों की रंजिशों में क्या बताऊँ,
कई मासूम चले गए अपनी जान से।
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कल जहां मजहबी जलसा हुआ था,
धुआं सा उठ रहा है क्यूं वहां से।
सगुण सा लग रहा था वो फकत देखा उसे जब तक,
छुआ जब तब उसे तो मुझे वो निर्गुण लगा।
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