ब्रज चौरासी कोस में आयोजित मानस परिक्रमा कथा के तीसरे पड़ाव बरसाना में संत मोरारी बापू ने कहा कि ब्रज भूमि मनुष्य को जगाए रखती है। यहां जो सोता है वो खोता है। न जाने कब ठाकुर विचरण करते हुए आपके करीब आ जाए। हर पल का एंजॉय करो। ब्रज के रज-रज में ईश्वर का वास है। भगवान गौरांग की कृपा से श्रीमन प्रभु रूप गोस्वामीजी महाराज को ब्रज मंडल में परमात्मा की लीला का दर्शन होता था। जिस भूमि पर इन महापुरूषों को दर्शन हुए हैं उस भूमि का दर्शन करना भी हमारे लिए बलप्रद है।
बापू ने कहा कि सभी की परिक्रमा अलग-अलग है। परिक्रमा का निषेध और उपेक्षा नहीं है। किसी के प्रति उपेक्षा और किसी का निषेध भजन की बाधा है। हम किसी की उपेक्षा ना करें। निषेध ना करें। फिर भी सामने वाले को लगे की उपेक्षा हुई है तो भजन धारा में बाधा उत्पन्न होती है। धारा को अखण्ड प्रवाहित रखने के लिए बेगुनाह होते हुए भी बुद्ध पुरूष से क्षमा मांग लेना। बापू ने बताया कि भगवान रामानंदी परंपरा की परिक्रमा कामदगिरी है। निम्बार्क परंपरा में परिक्रमा गिरीराज, धर्मशाला मथुरा, कुलदेवी रूकमणी, गोपाल गायत्री, अच्युत गौत्र है। मधुवाचार्य परंपरा में अलखनंदा है। श्रीमन महाप्रभु वल्लभ कुल की परिक्रमा अक्षय वट और जगदगुरु शंकराचार्य की परिक्रमा केदार है। भगवान कृष्ण की परिक्रमा बरसाना। सदैव श्रीराधे के केंद्र में घूमते रहते। मीरा बाई ने गिरधर गोपाल, गंगा सती ने पानबाई, शबरी ने महर्षि मतंग, केवट ने राम चरण की परिक्रमा की। हनुमानजी की परिक्रमा रामकथा है। जहां भी कथा होती है, पहुंच जाते हैं। गांधी बापू ने सत्य, चैतन्य महाप्रभु ने प्रेम और बुद्ध ने करुणा की परिक्रमा कर सत्य, प्रेम, करुणा अपनाने का संदेश दिया।
बापू ने कहा कि सांसारिक प्रतिस्पर्धा में जो जीते उसे मान मिलता है और भक्ति मार्ग में जो हारता है उसे नाम मिलता है। जगत में नाम सुमिरन बढ़ना चाहिए। इससे आत्मा की प्राप्ति हो ना हो मगर परमात्मा की प्राप्ति अवश्य होती है। चैतन्य महाप्रभु को सभी विद्याएं प्राप्त थी मगर वो कहते थे कि भगवत नाम विद्या की सदैव चाह रहती है। वे हर पल हरि नाम सुमिरन करते थे। चौरासी कोस में पग-पग पर भगवद नाम रचा-बसा है। सोमवार को कथा में बापू ने बरसाना की गौशाला को 5 लाख रुपए तुलसी दानपत्र देने की घोषणा की। मंगलवार को कथा वृंदावन में होगी। -सुमित सारस्वत, मो.9462737273
दुनिया कृष्ण की, कृष्ण राधे का
बापू ने कहा कि पूरी दुनिया मुखचंद्र और त्रिभुवन विमोहित मीत की लालायित रहती थी। तीनों जगत जलचर, थलचर, नभचर कृष्ण के अदभुत मधुर रूप में डूबता था मगर कोई ये नहीं पहचान पाया कि ये किसके रूप में डूबा है। तब एक चंद्र ऐसा बरसाने में उगा कि दो नेत्र चकोर बनकर उसकी परिक्रमा करते रहते। इस जगत में सबसे सुंदर राधिका है। कृृष्ण बरसाने की राधा के रूप में डूबे रहते थे। सबसे अधिक सुख रामा में है। रा यानि राधा और मा यानि माधव।
भजन सुनें : ठाकुर पधारया म्हारे आंगणा..
साधु से घबराने लगे लोग
बापू ने कहा कि प्रत्येक साधु को प्रणाम करें। शीलवंत साधु को बार-बार प्रणाम करें। स्पष्ट किया कि साधु वो है जिसके निकट आकर अभय हो जाएं। आजकल साधु ऐसे हो गए कि लोग निकट आने से घबराते हैं। निकट वाले भी भागने लगे हैं।
युवानी में करें प्रभु भक्ति
बापू ने भक्ति का महत्व समझाते हुए कहा कि जब बासी फल परमात्मा को नहीं परोसते तो फिर बासी जीवन परमात्मा को क्यों परोसते हैं। भक्ति जवानी में करें। परमात्मा को याद करने के लिए बुढ़ापे का इंतजार ना करें। परमात्मा आनंद स्वरूप है। हर पल आनंद लो।
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