काशी में मानस मसान कथा के नवें दिन अंतर्राष्ट्रीय संत मोरारी बापू रामकथा का सार समझाते हुए बोले कि शब्द का आंसू में रूपांतरण ही कथा का सार है। मैं आंसू लेकर जा रहा हूं। रामायण के सात कांड से जीवन जीने के सात सूत्र बतलाते हुए बापू भावुक हो गए। फिर कई शेर-शायरियों के जरिए प्रेम की व्याख्या की। गजल-गीत भी गुनगुनाए।
बापू ने बाल कांड के अनुसार पहला सूत्र सुख बताया। कहा, दूसरों को दुखी किए बिना सुखी हों। सुख पाना हमारा अधिकार है। सुख पाने के लिए पुरूषार्थ करें। राहत इंदौरी का शेर ‘मेरे बच्चों खूब खर्च करो, कमाने के लिए मैं अकेला काफी हूं’ सुनाते हुए बोले हमेशा सुखी रहो। अयोध्या कांड के अनुसार दूसरा सूत्र प्रेम बताया। कबीर के दोहे ‘बिना प्रेम रिझे नहीं.., ढाई आखर प्रेम का..’ सुनाते हुए कहा कि परमात्मा से प्रेम करो। परमात्मा प्रेम का सागर है। प्रेम जात-पात, ऊंच-नीच का भेद नहीं देखता। प्रेमी जहां भी सिर झुकाए वहां प्रियतम है। तीसरा सूत्र अरण्यकांड के अनुसार सत्संग बताया। कहा, सत्संग विश्वरूप है। सत्संग करने से सुख और प्रेम बढ़ेगा। किष्किंधा कांड के अनुसार चौथा सूत्र मैत्री है। दुश्मन से भी मैत्री भाव रखें। मैत्री का मनोरथ भगवान शिव कृपा से प्राप्त होता है। मित्र ऐसा हो जैसे रण में ढाल। सुख में पीछे रहे और दुख में घाव सहे। मैत्री साधु का लक्षण है। आज भारत पूरी दुनिया से मैत्री कर रहा है। सुंदरकांड के अनुसार पांचवा सूत्र श्रद्धा है। जिससे भी संबंध रखो उसके प्रति श्रद्धा रखो। लंका कांड के अनुसार छठा सूत्र विवके है। विवेक रखो कि ऐश्वर्य नहीं, ईश्वर चाहिए। सातवां और अंतिम सूत्र उत्तरकांड के अनुसार परम विश्राम है। इन सात सूत्रों के साथ बापू ने कहा कि काशी श्लोकों की नगरी है। यहां शोक नहीं। यहां का मसान मणिकर्णिका घाट भी शोक मुक्त है। मेरी यह नौ दिवसीय कथा मणिकर्णिका घाट के उन मुर्दों को समर्पित जो यहां आए हैं, आ रहे हैं और आएंगे। -सुमित सारस्वत, मो.09462737273
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गंगा तट पर गुरुद्वारा
बापू ने गुरु नानकदेव साहिब को याद करते हुए गुरुवाणी गाई। इसके लिए बाकायदा सभी का सिर ढंकवाया। कहा, गंगा तट पर गुरुद्वारा आया है। स्वयं के सिर पर भी काली शॉल रखी। ‘रहमत तेरी सुख पाया..’ गुरुवाणी का सभी ने श्रद्धापूर्वक गायन किया। मानो कुछ देर के लिए कथा पांडाल गुरुद्वारा बन गया। बापू के साथ श्रद्धालुओं ने वाहेगुरुजी दा खालसा वाहेगुरुजी दी फतेह, जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल का जयघोष किया।
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साधो यह मुर्दों का गांव
कबीरदास की दोहावली सुनाते हुए बापू बोले कि 14 ब्रह्मांडों में मुर्दे है। संसार में जिसको अत्यंत बदनामी मिली हो वो मुर्दा है। सदा रोगी व हमेशा क्रोध करने वाला मरा हुआ है। भगवान विष्णु और वैष्णव का विरोध करे वो मृतक है। वेद विरूद्ध व संत का विरोध करने वाला व्यक्ति जीवित होते हुए भी मुर्दे के समान है। दूसरों की निंदा करे वो भी मुर्दा है।
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मैंने तो मोहब्बत की है..
‘दिल है कदमों में किसी के, तो सिर झुका हो या ना हो फर्क नहीं पड़ता, बंदगी तो अपनी फितरत है, खुदा हो या ना हो’ शेर सुनाते हुए बापू ने कहा कि प्रभु की याद व्यसन है। जीव का जीवन है। साहिर लुधायनवी द्वारा लिखित दीदी फिल्म का गीत ‘ तुम मुझे भूल भी जाओ तो यह है तुमको, मेरी बात और है मैंने तो मोहब्बत की है..’ गीत गुनगुनाते हुए बापू भावुक हो गए। बोले, यह गोपी गीत है जो प्रभु के विरह में गाया है।
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24 घंटे में 3 बार रोना चाहिए
बापू ने कहा हंसने जितना ही जरूरी रोना भी है। हर इंसान को 24 घंटे में 3 बार रोना चाहिए। पहली बार सुबह उठो तब। परमात्मा का शुक्रिया करो, तूने मुझे जगाया। दूसरी बार मध्यान्ह में सूरज तपे तब गरीब को देखकर आंख में बूंद आनी चाहिए कि मैं इसकी मदद क्यों नहीं कर पा रहा हूं। तीसरी बार रात्रि में सोते वक्त। नम आंखों से ईश्वर को बोलिए कि मैंने किसी का दिल दुखाया हो क्षमा करना। यह नूतन त्रिकाल संध्या है।
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