जीवात्मा रूपी बीज का रोपण करने के लिए गोपियों ने परमात्मा के हृदय में स्थान मांगा। जीवात्मा और परमात्मा का मिलन ही रास है। ठाकुरजी सर्वत्र हैं। इन्हें कण-कण में महसूस कीजिए। पंडित रविशंकर शास्त्री ने कहा श्री बालाजी व जानकी महिला मंडल की ओर से आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में यह प्रवचन दिए।
कथावाचक ने कहा कि लौकिक संबंध प्रभु से जोड़ लो तो श्रेष्ठ बन जाओगे। गोपियों ने संसार को परमात्मा से प्रेम करना सीखाया। सच्चा प्रेम परमात्मा से ही संभव है। वर्तमान में प्रेम की जगह आसक्ति आ गई है। प्रेम सदैव बढ़ता है जबकि आसक्ति निरंतर घटती है। परमात्मा से प्रेम आनंद व सुख देता है। मनुष्य से आसक्ति विरह और विलाप की वजह बनती है।
शास्त्री ने श्रीकृष्ण व रूक्मणि विवाह प्रसंग सुनाते हुए कहा कि गृहस्थ जीवन को सुखमय बनाने के लिए पति-पत्नी में तालमेल व प्रेम जरूरी है। जीवन में संतोष, शांति व प्रेम ही सच्चा सुख है। हरिकथा सुखी और प्रेम से रहने का संदेश देती है। प्रेम से रहने वाला घर स्वर्ग है। कथा में संदेश गोयल ने श्रीकृष्ण व पल्लवी गोयल ने रूक्मणि के रूप में विवाह प्रसंग का सजीव मंचन किया। कथा में श्री निम्बार्क पीठ के जगद्गुरु निम्बार्काचार्य श्रीजी महाराज भी पधारे।
कथा प्रारंभ होने से पूर्व यजमान केदार गर्ग, प्रेम गर्ग, विकास गर्ग, निशा गर्ग, विनोद गोयल, पार्वती गोयल, वृंदा गोयल, प्रकाश खेतावत, प्रेम खेतावत, लीलाधर झा, सुलेखा झा, राकेश खेतावत, वंदना खेतावत, नीलू राजानी, गणेशप्रसाद बुधिया, अजमेर से आए अनिल गोयल, अनुराधा गोयल का दुपट्टा पहनाकर स्वागत किया गया। कथा में राधेलाल गोयल, शकुंतला गोयल, पार्वती गोयल, शोभा चौटिया, कविता शर्मा, साधना सारस्वत, ललिता शर्मा, मोनिका कौशिक, सुनीता यादव, कांता सोमानी, प्रमिला शर्मा, संतोष सर्राफ, खुशबू सिंहल सहित सैंकड़ों महिला-पुरुष श्रोता शामिल हुए। -सुमित सारस्वत, मो.09462737273
यह भी पढ़ें-
0 comments:
Post a Comment