
उन्होंने कहा कि चेहरे पर मुस्कुराहट कभी कम न होने देना। खुद हंसते रहना और दूसरों को हंसाते रहना। हंसी बांटने से दोगुनी होती है। जब तक तन में प्राण है तब तक हंसते मुस्कुराते रहो। कभी समस्या आए या तनाव हो तो भी मुस्कुराना न छोड़ें। मुस्कुराना लाखों बीमारियों की दवाई है। कथा में संत केवलराम रामस्नेही, संत गोपालराम रामस्नेही, संत उदयराम का भी आगमन हुआ। कथावाचक पंडित रविशंकर शास्त्री ने संतों के आगमन पर प्रसन्नता प्रकट की। निम्बार्क संप्रदाय और रामस्नेही संप्रदाय के बुद्धपुरूषों का मिलन हुआ तो हर भक्त आनंदित हो उठा। मंच संचालन कर रहे सुमित सारस्वत ने भी शब्दों की जादूगरी से भक्तों के चेहरों पर मुस्कान बिखेरी। कथा में सैकड़ों भक्त शामिल हुए। -सुमित सारस्वत, मो.09462737273
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