सूरत में भारतीय सैनिकों व शहीदों को समर्पित मानस शहीद रामकथा में अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक मोरारी बापू ने शहीदों के लिए देशवासियों से खास अपील की है। उन्होंने कहा कि अपने देश की आबादी सवा सौ करोड़ है। विचार करो कि एक नागरिक वर्ष में एक बार 30 जनवरी को मात्र 1 रुपए का अंशदान शहीदों के लिए दे तो 125 करोड़ रुपए होता है। इतनी राशि तो पर्याप्त है। मैं कहता हूं कि करोड़पतियों को भी लाख नहीं मात्र रुपए देने हैं। जिस परिवार ने सब कुछ दे दिया उसे हम क्या दे सकते हैं?
सुनें : ठाकुरजी का सुंदर भजन
सरहदों पर सैनिकों की कुर्बानी को याद करने के लिए रामकथा का यज्ञ किया है। सीमा, पहाड़ या रण (रेगिस्तान) में जहां भी देश के जवानों के रक्त का बूंद गिरा है, वहां उनकी समाधि है। इसीलिए इस कथा में देश-विदेश के लोग भी शामिल हैं। बापू ने कहा कि यह शोक सभा नहीं यह तो शहीदों के उत्सव की सभा है। आज भी हमारे देश के जवान शहीद होते हैं तो उनके घर पत्र और पुष्प जाता है। शहीद को द्रव्य की नहीं भाव की जरूरत है। मानव को कई तरह से देखना होता है। एक तरफ से देखोगे तो दोष माना जाता है।
देशभक्ति गीत से बापू व श्रोता हुए भावुक
बापू में प्रवचन के दौरान कवि प्रदीप को याद किया। शहीद जवानों को स्मरणांजलि देते हुए लताजी के गाए गीत ‘जो शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी...’ गाया। इस देशभक्ति गीत से बापू के साथ पांडाल में मौजूद हजारों श्रोता भावुक हो गए। बापू ने कहा कि नेहरूजी रेशनलिस्ट थे फिर भी लताजी ने शहीदों के लिए यह गीत गाया तो उनकी आंखें नम हो गई थीं। रामकथा में देश-विदेश से पहुंचे श्रद्धालु स्वैच्छिक रक्तदान भी कर रहे हैं।
संबंधित ख़बरें भी पढ़ें-
बापू ने आलोचकों को दिया करारा जवाब
राष्ट्र भावना के बीच राष्ट्रगान गाकर रामकथा का आरंभ
मोरारी बापू ने रामकथा में दिया नया नारा
राष्ट्र भावना के बीच राष्ट्रगान गाकर रामकथा का आरंभ
मोरारी बापू ने रामकथा में दिया नया नारा
अपनी प्रतिक्रिया नीचे कमेंट बॉक्स में दें..
Sumit Saraswat available on :
0 comments:
Post a Comment