अवध के संत उमाशंकर महाराज ने कहा कि गाय भगवान को प्रिय है। जो व्यक्ति इनसे प्रेम करता है उस पर भगवान प्रसन्न होते हैं। गायों की सेवा सबसे बड़ा पुण्य का कार्य है। वे ब्यावर स्थित प्रभु की बगिया में आयोजित श्रीराम कथा के चतुर्थ दिवस प्रवचन दे रहे थे।
कथावाचक ने कहा कि परमात्मा की प्राप्ति के लिए मन की शुद्धता आवश्यक है। आध्यात्म का मार्ग मन और आत्मा को शुद्ध करने का माध्यम है। व्यक्ति को पाप कर्म करने से बचकर खाली समय का प्रयोग ईश्वर की आराधना में लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भगवान का नाम कल्पवृक्ष है। नाम जपने से भक्त की सभी भावना पूर्ण होती हैं। भगवान व्यक्ति के मन तथा भावनाओं को देखते हैं।
कथा में पधारे संत अर्जुनराम महाराज ने कहा कि रामचरितमानस पुस्तक नहीं, मस्तक है। इसमें पांच चरित्र समाहित है। भगवान शिव, भगवान म, भक्त भरत, हनुमान व काक भुसुंडी का चरित्र हमें जीवन जीना सीखाता है। ज्ञानेंद्र श्रीवास्तव, बुधराज भाटी, गोपाल वर्मा, बबलू अग्रवाल, सुमित सारस्वत, मोनू अरोड़ा ने संत का स्वागत किया। कथा यजमान बुधराज भाटी, राकेश सोलंकी, परबत सिंह, सुमित्रा जैथल्या को महाराज ने दुपट्टा पहनाकर आशीष दिया।
कथा में नरनारायण मोठ, दलपत राठौड़, अरूण गर्ग, रामप्रसाद मित्तल, मुकुटबिहारी गोयल, ओमप्रकाश दगदी, मृदुला उपाध्याय, साधना सारस्वत, गीता जासू, कंचन तंवर, कृपाली तंवर, अर्चना शर्मा, वंदना शर्मा सहित कई श्रद्धालु शामिल हुए। अंकुर उपाध्याय ने बताया कि कथा प्रतिदिन दोपहर 1 बजे से सायं 5 बजे तक हो रही है।
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