ब्यावर स्थित प्रभु की बगिया में आयोजित श्रीराम कथा में संत उमाशंकर महाराज ने रामहि केवल प्रेम अधारा.. चौपाई सुनाते हुए कहा कि ठाकुरजी केवल प्रेम के भूखे हैं। उन्हें सिर्फ भक्त का प्रेम चाहिए। प्रेम सेवा से उत्पन्न होता है। ठाकुरजी की सेवा करोगे तो प्रेम स्वतः ही उत्पन्न हो जाएगा। उन्होंने कहा कि मांगने से जो मिलता है उससे तृप्ति नहीं हो सकती है। बिना मांगे जो मिलता है उससे ही तृप्ति होती है। शब्द नहीं, भाव को समझना चाहिए।
कथावाचक ने कहा कि सच्चा प्रेम होगा तो वो दोनों तरफ रहेगा। ठाकुरजी को प्रेम करोगे तो निश्चित ही वो भी आपको प्रेम करेंगे। भक्ति का प्रदर्शन नहीं, दर्शन होना चाहिए। जहां भी भक्ति में दिखावा होगा, प्रदर्शन होगा, वहां भक्ति में विक्षेप आएगा। मृत्यु ऐसी हो कि रुदन हो। जिसके लिए जगत रोए वो ही वास्तविक मृत्यु है। अच्छे कर्म से ही व्यक्ति को याद किया जाता है।
महाराज ने भरत प्रसंग सुनाते हुए कहा कि भरत का चरित्र समुद्र की भांति अगाध है। बुद्धि की सीमा से परे है। लोक-आदर्श का ऐसा अदभुत सम्मिश्रण अन्यत्र मिलना कठिन है। भ्रातृ प्रेम की तो ये सजीव मूर्ति थे। ननिहाल से अयोध्या लौटने पर जब इन्हें माता से अपने पिता के स्वर्गवास का समाचार मिलता है, तब वे शोक से व्याकुल होकर कहते हैं- मैंने तो सोचा था कि पिताजी, श्रीराम का अभिषेक करके यज्ञ की दीक्षा लेंगे, किन्तु मैं कितना बड़ा अभागा हूं कि वे मुझे बड़े भैया श्रीराम को सौंपे बिना स्वर्ग सिधार गए। अब श्रीराम ही मेरे पिता और बड़े भाई हैं, जिनका मैं परम प्रिय दास हूं। उन्हें मेरे आने की शीघ्र सूचना दें। मैं उनके चरणों में प्रणाम करूंगा। अब वे ही मेरे एकमात्र आश्रय हैं। जब कैकेयी ने भरत को श्रीराम के वनवास की बात बताई तब वे महान दुख से संतप्त हो गए। उन्होंने कैकेयी से कहा कि मैं समझता हूं, लोभ के वशीभूत होने के कारण अब तक यह न जान सकी कि मेरा श्रीरामचन्द्र के साथ भाव कैसा है। इसी कारण राज्य के लिए इतना बड़ा अनर्थ कर डाला।
राम भक्त ले चला राम की निशानी, शीष पे खड़ाऊ अंखियों में पानी.. भजन पर श्रोता भावुक हो गए। तनीश उपाध्याय ने राम, श्रेया उपाध्याय ने सीता, माहिन शर्मा ने भरत, केशव शर्मा ने लक्ष्मण के रूप में वन गमन व भरत चरित्र प्रसंग का सजीव मंचन किया। गोपाल वर्मा, सुमित सारस्वत, बबलू अग्रवाल ने सुंदर झांकी सजाई।
भजन सुनें : ठाकुर पधारया म्हारे आंगणा
कथा में प्रसन्न गणपति मंदिर के महंत फतेहगिरी, आर.के. गुप्ता, जी.के. श्रीवास्तव, दिनेश चतुर्वेदी, मृदुला उपाध्याय, साधना सारस्वत, ज्योति अग्रवाल, सुमित्रा जैथल्या, ललिता भाटी, अर्चना शर्मा, वंदना शर्मा, सीमा टांक, प्रिया शर्मा, कंचन तंवर, प्रमिला शर्मा, मोहन दगदी, बुधराज चौहान, अरूण गर्ग, हर्षुल, रजनी शर्मा, मधु शर्मा सहित सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने धर्मलाभ लिया। शनिवार को शबरी। प्रसंग व सीता अन्वेषण प्रसंग का सजीव मंचन किया जाएगा। -सुमित सारस्वत, मो.09462737273
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