भगवान श्री कृष्ण को प्रेम और मित्रता की मिसाल माना जाता है। भारत ही नहीं, पूरे विश्व में भगवान श्री कृष्ण के कई मंदिर हैं। ठाकुरजी का एक मंदिर ऐसा भी जहां भगवान श्री कृष्ण की पूजा सात साल के बालक रूप में होती है। यह मंदिर है राजस्थान के नाथद्वारा शहर में स्थित श्रीनाथजी का पावन धाम।
श्रीनाथजी भगवान श्रीकृष्ण के अवतार हैं, जो सात साल के बालक के अवतार में यहां विराजमान हैं। श्रीनाथ जी का यह मंदिर लेक सिटी उदयपुर सेे करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। श्रीनाथद्वारा में भगवान कृष्ण के जन्म का स्वागत एक अनोखे ढंग से किया जाता है। यहां जन्माष्टमी पर भक्त 21 तोपों की सलामी देकर अपने ईश्वर का जन्मोत्सव मनाते हैं।
वीडियो में देखें- कैसे देते हैं तोपों से सलामी
कृष्ण जन्माष्टमी मनाने की यह परंपरा यहां सालों से इसी तरह चली आ रही है। यहां 400 साल पुरानी तोपों से भगवान को 21 सलामी दी जाती है। इन तोपों से गोलों को उसी परम्परा और विधि से दागा जाता है जैसा सालों पहले दागा जाता था। इन तोपों से गोले भगवान श्रीनाथ जी के गार्ड ही दागते हैं।
वीडियो में देखें- बाल कृष्ण की नटखट लीलाएं
श्रीनाथजी मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की काले रंग की संगमरमर की मूर्ति है। इस मूर्ति को केवल एक ही पत्थर से बनाया गया है। इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपने एक हाथ पर उठाए दिखाई देते हैं और दूसरे हाथ से भक्तों को आशीर्वाद देते हुए नजर आते हैं।
वीडियो में देखें- कैसे होता है कृष्ण का अभिषेक
माना जाता है कि मेवाड़ के राजा इस मंदिर में मौजूद मूर्तियों को औरंगजेब से बचाकर गोवर्धन की पहाड़ियों से यहां लाए थे। ये मंदिर बारहवीं शताब्दी में बनाया गया था। जब औरंगजेब श्रीनाथ जी की मूर्ति को खंडित करने मंदिर में आया तो यहां पहुंचते ही अंधा हो गया था। तब उसने अपनी दाढ़ी से मंदिर की सीढ़ियां साफ करते हुए श्रीनाथ जी से विनती की और ठीक हो गया। उसके बाद औरंगजेब ने एक बेशकीमती हीरा मंदिर को भेंट किया था जिसे हम आज श्रीनाथ जी के दाढ़ी में लगा देखते हैं। अगर आपने नाथद्वारा के श्रीजी बाबा का दर्शन नहीं किया है तो जल्द ही कार्यक्रम बनाइए और ठाकुरजी का दिव्य दर्शन कर आइए। -सुमित सारस्वत, मो.09462737273
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श्रीनाथजी भगवान श्रीकृष्ण के अवतार हैं, जो सात साल के बालक के अवतार में यहां विराजमान हैं। श्रीनाथ जी का यह मंदिर लेक सिटी उदयपुर सेे करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। श्रीनाथद्वारा में भगवान कृष्ण के जन्म का स्वागत एक अनोखे ढंग से किया जाता है। यहां जन्माष्टमी पर भक्त 21 तोपों की सलामी देकर अपने ईश्वर का जन्मोत्सव मनाते हैं।
वीडियो में देखें- कैसे देते हैं तोपों से सलामी
कृष्ण जन्माष्टमी मनाने की यह परंपरा यहां सालों से इसी तरह चली आ रही है। यहां 400 साल पुरानी तोपों से भगवान को 21 सलामी दी जाती है। इन तोपों से गोलों को उसी परम्परा और विधि से दागा जाता है जैसा सालों पहले दागा जाता था। इन तोपों से गोले भगवान श्रीनाथ जी के गार्ड ही दागते हैं।
वीडियो में देखें- बाल कृष्ण की नटखट लीलाएं
श्रीनाथजी मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की काले रंग की संगमरमर की मूर्ति है। इस मूर्ति को केवल एक ही पत्थर से बनाया गया है। इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपने एक हाथ पर उठाए दिखाई देते हैं और दूसरे हाथ से भक्तों को आशीर्वाद देते हुए नजर आते हैं।
वीडियो में देखें- कैसे होता है कृष्ण का अभिषेक
माना जाता है कि मेवाड़ के राजा इस मंदिर में मौजूद मूर्तियों को औरंगजेब से बचाकर गोवर्धन की पहाड़ियों से यहां लाए थे। ये मंदिर बारहवीं शताब्दी में बनाया गया था। जब औरंगजेब श्रीनाथ जी की मूर्ति को खंडित करने मंदिर में आया तो यहां पहुंचते ही अंधा हो गया था। तब उसने अपनी दाढ़ी से मंदिर की सीढ़ियां साफ करते हुए श्रीनाथ जी से विनती की और ठीक हो गया। उसके बाद औरंगजेब ने एक बेशकीमती हीरा मंदिर को भेंट किया था जिसे हम आज श्रीनाथ जी के दाढ़ी में लगा देखते हैं। अगर आपने नाथद्वारा के श्रीजी बाबा का दर्शन नहीं किया है तो जल्द ही कार्यक्रम बनाइए और ठाकुरजी का दिव्य दर्शन कर आइए। -सुमित सारस्वत, मो.09462737273
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