'कौन बनेगा करोड़पति' रियलिटी शो के बीते 11 साल के इतिहास में नूपुर चौहान वाला दो दिवसीय एपिसोड शायद सबसे भावुकता भरा रहा। नूपुर को देखकर और उनकी बातें सुनकर दिल भर आया। दोनों दिन आंखें नम रही। मेरी ही नहीं, शायद ये एपिसोड देख रहे हर दर्शक की आंख नम हुई होगी। शो के होस्ट अमिताभ बच्चन जी और मेरे साथ टीवी देख रहे मेरे माता-पिता भी भावुक थे। मैं समझता हूं कि इस दिव्यांग बहन की कहानी दुनिया की हर प्रेरणादायी कहानी से ऊपर है।
केबीसी 11 के फास्टर फिंगर फर्स्ट में जब नुपूर के प्रथम आने की घोषणा हुई तो तालियों की गड़गड़ाहट के बीच ऑडियंस खड़ी हो गई मगर जीतने वाली 29 वर्षीय नुपूर अपनी सीट पर ही बैठी रही। क्योंकि वो सामान्य नहीं, दिव्यांग है। ठीक से चल नहीं पाती मगर उनका दिमाग सामान्य है। जीत की घोषणा होते ही वो खुशी से रोने लगी। अन्य महिला प्रतिभागियों के शामिल होने के बावजूद महिलाओं से जुडे़ सवाल का जवाब एकमात्र नुपूर ने ही दिया। शो हॉस्ट कर रहे अमिताभ बच्चन जी उनके पास गए और हाथ आगे बढ़ाकर उन्हें सीट से उठाया। नुपूर लड़खड़ाने लगी तो भाई ने पास आकर गोद में उठाया और हॉट सीट पर बैठाया। नुपूर की कहानी सुन बच्चन जी की आंख से आंसू छलक पड़े। ऑडियंस भी रोने लगी।
भावुकता भरे शो में बिग बी ने नुपूर से बातचीत की तो उन्होंने अपनी जिंदगी के कई अनुभव साझा किए। उनसे पूछा गया कि आप व्हीलचेयर पर क्यों नहीं बैठती? उनका जवाब था, 'अगर मैं व्हीलचेयर पर बैठ जाती तो शायद खुद कभी खड़े नहीं हो पाती।' हौसलों की उड़ाने भरते हुए आज वो बतौर टीचर आत्मनिर्भर हैं। बच्चों को पढ़ाती हैं और उससे करीब पांच हजार रुपए प्रतिमाह आमदनी होती है।
नुपूर जो ठान लेती हैं उसे पूरा करके दिखाती हैं। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है केबीसी। वो हॉट सीट तक आने के लिए कई सालों से प्रयास कर रहीं थी। पूर्व में तीन बार फास्टर फिंगर फर्स्ट खेलकर बाहर होने के बाद भी उन्होंने चौथी बार लक्ष्य तक पहुंचने का प्रयास किया। इस उम्मीद के साथ कि इस बार हॉट सीट तक अवश्य पहुंच जाऊंगी। वो पहुंची और बड़ी समझदारी से खेलते हुए 12 लाख 50 हजार रुपए जीते।
नुपूर ने बताया कि उनको समझने, हिम्मत देने और निखारने में उनकी टीचर तनु जी का खास योगदान रहा। उन्होंने हर कदम पर विश्वास दिलाया और कभी हिम्मत नहीं हारने दी। बेशक तनु जी ने इस प्रतिभा को निखारकर शिक्षा जगत के लिए मिसाल कायम की है।
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दरअसल नुपूर की यह हालत जन्म के वक्त एक चिकित्सक की लापरवाही के कारण हुई। उन्होंने बताया कि 'मेरा जन्म सीजेरियन हुआ था। उस वक्त सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट लग गए। जन्म होते ही रोई नहीं तो डॉक्टर ने मृत बताकर डस्टबिन में फेंक दिया था। नानी और मौसी ने कर्मचारियों को पैसे देकर मुझे डस्टबिन से बाहर निकलवाया। नानी ने बड़ी मिन्नतें करते हुए डॉक्टर से कहा कि इसे थपथपाकर देखो, शायद जिंदा हो जाए। ऐसा करते ही मैं रोने लगी। उस वक्त डॉक्टर ने मुझे गलत इंजेक्शन लगा दिए थे जिससे मैं कभी नॉर्मल नहीं जी सकी।' नुपूर ने डॉक्टरों से निवेदन किया है कि वो अपनी जिम्मेदारी समझें ताकि ऐसा किसी और के साथ ना हो।
सकारात्मक सोच रखने वाली नुपूर प्रेरणा हैं उन लोगों के लिए जो सक्षम होते हुए भी कहते हैं कि हम कुछ कर नहीं सकते। इस बहन ने साबित कर दिया कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। Amitabh Bachchan जी और Kaun Banega Crorepati टीम को धन्यवाद जिन्होंने Noopur Chauhan जैसी गुमनाम प्रतिभाओं को उत्कृष्ट मंच दिया।
Salute #Noopor गर्व है आप पर
सादर शुभकामनाएं.. ✍️ सुमित सारस्वत
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