भगवान राम की पावन कथा ब्रज चौरासी कोस परिक्रमा करते हुए शनिवार को कृष्ण जन्म भूमि मथुरा पहुंची। यहां मोरारी बापू ने सत्य, प्रेम, करूणा को केंद्र में रखते हुए मानस परिक्रमा कथा कही। उन्होंने कहा कि भरत प्रेम, राम सत्य व शिव करूणा है। प्रेम रूपी भरत ने सत्य रूपी राम की परिक्रमा की। सत्य रूपी राम ने करूणा रूपी शिव की परिक्रमा लगाई। करूणा रूपी शिव प्रेम रूपी भरत की परिक्रमा करते हैं।
बापू ने कहा कि प्रेम बेकसूर है। प्रेत रत्न है। प्रेम परमात्मा है। जीवन में सत्य और करूणा भले ही न हो मगर अवश्य प्रेम होना चाहिए। मासूम गाजियाबादी का शेर ‘आवाज जबकि हमने उसे बार-बार दी, नादान है कश्ती फिर भी भंवर में उतार दी..’ सुनाकर प्रेम की पराकाष्ठा बयां की। ओशो का जिक्र करते हुए प्रेम का संदेश दिया।
कथा में कृष्ण और नंदबाबा का संवाद बापू ने भावुकता भरते शब्दों में सुनाया। उन्होंने कहा, कृष्ण को गए पांच हजार साल हो गए मगर उनकी स्मृति आज भी जवान हो रही है। प्रसंग सुनाते-सुनते पूरा वातावरण भावुक हो गया। कृष्ण विरह को याद करते हुए बापू की आंखों से अनवरत अश्रुधारा बह रही थी। कृष्ण प्रेम में डूबी हजारों श्रोताओं की आंखें भी रो रही थी। लो आ गई उनकी याद, वो नहीं आए.. गीत के जरिए प्रभु को याद करते हुए बापू ने कहा कि स्मृति सदैव अमर रहनी चाहिए। स्मृति बरकरार रखने के लिए सदैव हरिनाम संकीर्तन करें। नानकदेवजी ने भी कहा है, सिमरन कर ले मेरे मना। कथा में काशी नरेश डॉ. अनंत नारायण सिंह व संत संतोष दास सतुआ बाबा सहित संत-महापुरूष व देशभर से आए हजारों श्रोता शामिल हुए। -सुमित सारस्वत, मो.9462737273
भजन सुनें : तेरे बिना में रोई मोहन
तीन वस्तु की परिक्रमा कभी ना करें
बापू ने बताया कि इंसान को तीन वस्तु की परिक्रमा कभी नहीं करनी चाहिए। पहला मोह, विनय पत्रिका में गोस्वामी तुलसीदासजी ने लिखा है कि रावण ने मोह को केंद्र में रखा जो विनाश का कारण बना। दूसरा अहंकार, जो कुंभकर्ण में था। तीसरा काम, जो रावण पुत्र इंद्रजीत में भरा था।
गोवर्धन को लगाया छप्पन भोग
मानस परिक्रमा कथा के विराम से पूर्व भगवान गोवर्धननाथ को छप्पन भोग लगाया गया। बापू सहित देशभर से आए भक्तों ने भोग दर्शन कर धर्मलाभ लिया। रविवार को कथा गोवर्धन में विराम लेगी। कथा का समय प्रातः 9 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक रहेगा। कथा के पश्चात सभी भक्तों को छप्पन भोग प्रसाद रूप में वितरित किया जाएगा।
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