श्रीनाथ की दिव्य लीला भूमि ब्रज चौरासी में हो रही मानस परिक्रमा कथा रविवार को राजस्थान के कामां (कामवन) पहुंची। यहां दूसरे दिन की कथा में रामकथा मर्मज्ञ संत मोरारी बापू ने कहा कि ब्रज चौरासी परिक्रमा करना चार धाम यात्रा के समान है। परिक्रमा की रीत विश्व को भारत की देन है। काबा में मुस्लिम, येरूशलम में ईसाई भी परिक्रमा करते हैं। परिक्रमा संयम और सादगीपूर्वक करें। परिजन, पड़ौसी, परिचित सभी को परिक्रमा में शामिल करें।
देखें : जब ब्यावर पहुंचे मोरारी बापू
बापू ने कहा कि ब्रज की रज कोमल है। यह भूमि अच्छी लगती है। आनंद प्रदान करती है। जिन संतों के लिए परमात्मा अवतार लेते हैं उनकेे लिए भूमि कोमल हो जाती है। अगर एक के प्रति शरणागति हो तो पूरी सृष्टि और प्रकृति अनुकूल होकर मदद करती है। मधुराधिपति मधुरमं मधुरमं.. गाकर समझाया कि अच्छे लोगों का सब अच्छा लगता है। प्यार का जादू सबको मधुर बना देता है। प्रभु से प्रेम करें। चार बातें हमेशा याद रखें। पहला, किसी से तकरार ना करें। चाहे कितना भी विवाद बढ़ जाए। दूसरा, किसी का तिरष्कार ना करें। चाहे सम्मान मिले ना मिले। कागज की नौका दरिया पार कर गई, इसमें समुंद्र की हार हो गई.. शेर सुनाते हुए कहा कि कोई आगे निकल जाए तो चिंता ना करें। नजरों से, इशारों से, वाणी से किसी की उपेक्षा ना करें। तीसरा, सबसे प्यार करो। जीवन ऐसे जीओ कि खुद को धन्य समझो। चौथा, सबका स्वीकार करो। किसी को बदलने की चेष्टा ना करें। जो जैसा है उसे वैसे ही अपना लें। बापू ने तीर्थ, धाम और परमधाम में अंतर बताते हुए कहा कि जहां जल, वृक्ष, पर्वत, साधना, परमात्मा हो वो स्थान तीर्थ है। जहां प्रभु प्रकटे और परमतत्व हो वो धाम। जहां बैठो और भक्ति करो वही परमधाम है। सोमवार को तीसरे दिन की कथा बरसाना में होगी। -सुमित सारस्वत, मो.9462737273
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बापू ने कहा कि ब्रज की रज कोमल है। यह भूमि अच्छी लगती है। आनंद प्रदान करती है। जिन संतों के लिए परमात्मा अवतार लेते हैं उनकेे लिए भूमि कोमल हो जाती है। अगर एक के प्रति शरणागति हो तो पूरी सृष्टि और प्रकृति अनुकूल होकर मदद करती है। मधुराधिपति मधुरमं मधुरमं.. गाकर समझाया कि अच्छे लोगों का सब अच्छा लगता है। प्यार का जादू सबको मधुर बना देता है। प्रभु से प्रेम करें। चार बातें हमेशा याद रखें। पहला, किसी से तकरार ना करें। चाहे कितना भी विवाद बढ़ जाए। दूसरा, किसी का तिरष्कार ना करें। चाहे सम्मान मिले ना मिले। कागज की नौका दरिया पार कर गई, इसमें समुंद्र की हार हो गई.. शेर सुनाते हुए कहा कि कोई आगे निकल जाए तो चिंता ना करें। नजरों से, इशारों से, वाणी से किसी की उपेक्षा ना करें। तीसरा, सबसे प्यार करो। जीवन ऐसे जीओ कि खुद को धन्य समझो। चौथा, सबका स्वीकार करो। किसी को बदलने की चेष्टा ना करें। जो जैसा है उसे वैसे ही अपना लें। बापू ने तीर्थ, धाम और परमधाम में अंतर बताते हुए कहा कि जहां जल, वृक्ष, पर्वत, साधना, परमात्मा हो वो स्थान तीर्थ है। जहां प्रभु प्रकटे और परमतत्व हो वो धाम। जहां बैठो और भक्ति करो वही परमधाम है। सोमवार को तीसरे दिन की कथा बरसाना में होगी। -सुमित सारस्वत, मो.9462737273
मुख्यमंत्री राजे सिर पर पोथी लेकर पहुंची कथास्थल
कथा प्रारंभ होने से पहले मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अपने सिर पर पवित्र पोथी लेकर कथा स्थल पहुंची। उन्होंने पोथी पूजन कर व्यासपीठ से बापू का आशीर्वाद लिया। पर्यटन राज्यमंत्री कृष्णेंद्र कौर दीपा, सांसद बहादुर सिंह कोली, विधायक जगत सिंह भी व्यासपीठ से आशीर्वाद लेने पहुंचे। कथा में संभागीय आयुक्त सुबीर कुमार, जिला कलक्टर डॉ.नरेंद्र कुमार गुप्ता, पुलिस अधीक्षक अनिल टांक सहित देशभर से आए हजारों श्रद्धालुओं ने धर्मलाभ लिया।
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गजल से समझाई प्रेम की परिभाषा
बापू ने शायर मुरादाबादी की गजल ‘ये सच है कि तूने मुझे चाहा बहुत है..’ सुनाकर प्रेम की परिभाषा समझाई। उन्होंने कहा कि भगवान भक्त से प्रेम करता है मगर कई बार भक्ति में व्यवधान भी देता है। बाधा आए तो समझना परमात्मा परीक्षा ले रहे हैं। ‘जो बांटता फिरता है जमाने को उजाले, उस शख्स के दामन में अंधेरा भी बहुत है‘ शेर सुनाकर समझाया कि दूसरों की मदद और प्रेम करने वाला भी अक्सर परेशान रहता है।
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किनकी कितनी परिक्रमा करें ?
बापू ने बताया कि शास्त्रानुसार परिक्रमा निर्धारित है। भगवान गणेश की 3, सूर्य की 7, विष्णु की 3, माता-पिता की 1, राम नाम की 1, गुरू की 1, ग्रंथ की 1 व शंकर की आधी परिक्र्रमा ही करनी चाहिए। जहां विधान नहीं हो वहां 3 परिक्रमा करनी चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगर कोई 108 या 1008 परिक्रमा करना चाहे तो मनाही नहीं है।
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गोवर्धन में होगा छप्पन भोग मनोरथ
बापू ने मन का भाव प्रकट करते हुए कहा कि ठाकुरजी की कथा विराम दिवस पर छप्पन भोग मनोरथ होना चाहिए। कथा से जुड़े आयोजकों और भक्तों ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए मनोरथ की सहमति दी। छप्पन भोग मनोरथ 19 नवंबर को गोवर्धन में मानस परिक्रमा कथा विराम पर होगा।
पढ़ें : बापू ने मानस परिक्रमा में की बड़ी घोषणा
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