अगर कोई बच्चा जिद करे या किसी बच्चे से काम करवाना हो तो उसे लॉलीपॉप देकर मनाने की कला सब जानते हैं। इसी कला को अपनाकर भाजपा भी आगामी लोकसभा उपचुनाव के लिए गत विधानसभा चुनाव में पार्टी से बगावत करने वाले नेताओं की ‘घर वापसी’ करवा रही है। मंगलवार को मंगल कार्य करते हुए राजधानी जयपुर में पार्टी प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनानी ने मसूदा के पूर्व देहात जिलाध्यक्ष नवीन शर्मा एवं ब्यावर के पूर्व विधायक देवीशंकर भूतड़ा को पुनः पार्टी में शामिल किया है। इससे पहले पार्टी ने अजमेर के पूर्व सभापति सुरेंद्र सिंह शेखावत को भी अपनाया था। इन तीनों को गत विधानसभा चुनाव में भाजपा से बगावत करने पर निलंबित किया था। खास बात है कि यह तीनों ही नेता अजमेर जिले के हैं। यहीं अजमेर संसदीय क्षेत्र में लोकसभा उपचुनाव होने हैं। सांसद सांवरलाल जाट का निधन हो जाने से उपचुनाव में पार्टी पुनः इस सीट पर काबिज होना चाहती है। ऐसे में हर कड़ी को मजबूत बनाने के लिए बागियों को बदस्तूर बुलाया जा रहा है।
अजमेर, ब्यावर और मसूदा के इन बड़े नेताओं को पार्टी की मुख्यधारा से पुनः जोड़ने में देहात जिलाध्यक्ष भगवती प्रसाद सारस्वत की भूमिका अहम बताई जा रही है। माना जा रहा है कि उपचुनाव में सारस्वत को प्रत्याशी बनाया जा सकता है। ऐसे में वे जीत के लिए अभी से जोर लगाने लगे हैं। अगर उन्हें टिकट नहीं भी मिलता है तो वह पार्टी के इतने समर्पित सिपाही हैं कि प्रत्याशी की जीत के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।
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इस सारी कवायद के बीच राजनीतिक जानकारों के मन में सवाल आया कि गत विधानसभा चुनाव में आधा दर्जन से अधिक पूर्व विधायकों व कई बड़े नेताओं ने पार्टी से बगावत की थी मगर उन्हें तो पार्टी में शामिल नहीं किया गया। ऐसे में शायद अजमेर के इन तीनों नेताओं को उपचुनाव से पहले ‘राजनीति की लॉलीपॉप’ पकड़ाई गई है। जानकारों के मन में इस बात को लेकर भी संशय है कि इन्हें भविष्य में टिकट मिलेगा इसकी भी कोई गारंटी नहीं है। इतना जरूर है कि बगावत करने के बाद भी इन्होंने पार्टी के प्रति समर्पण रखा।
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यह किस्सा भी रोचक..
चुनाव-उपचुनाव से पहले बागियों की घर वापसी राजनीति में परंपरा बन गई है। इसी परंपरा के चलते आज बुधवार को उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में कई दलों की सैर कर चुके शहर के पूर्व चेयरमैन राजीव अग्रवाल उर्फ टीटी की घर वापसी हुई। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में वह मेनका गांधी के खिलाफ चुनाव लड़े थे। इतना ही नहीं, केंद्र की मोदी सरकार को धोखेबाज बताते हुए 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ पोस्ट भी की थी। आपको बता दें कि यूपी में भी इन दिनों चुनावी चौसर बिछी हुई है।
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