ब्रज चौरासी कोस में मानस परिक्रमा कथा के छठे दिन मानसरोवर में भगवान राम का जन्म हुआ। कथावाचक मोरारी बापू ने राम जन्म प्रसंग सुनाते हुए दांपत्य को आनंदमय बनाने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि राम का अर्थ विश्राम, विराम व अभिराम है। पति पत्नी से प्रेम करे, पत्नी पति को आदर दे और दोनों मिल कर ठाकुर की सेवा करें तो घर अवध बन जाएगा। यह तीन सूत्रीय फॉर्मूला जहां अपनाया गया वहां राम का जन्म होगा। राजा दशरथ और कौशल्या में प्रेम के कारण भगवान राम प्रकट हुए।
बापू ने कहा कि रामकथा रसमयी व रहस्यमयी कथा है। परमात्मा आज भी लीला कर रहा है। परमात्मा की प्रतीक्षा करें, कृपा की नहीं। परमात्मा आएगा तो कृपा हो जाएगी। परिक्रमा के लिए जहां भी जाओ, परमात्मा साथ है। परिक्रमा प्रवाही परंपरा है। आदि काल में सूर्य से प्रारंभ हुई है। उन्होंने कहा कि जीवन रूपी रथ कृष्ण को सौंप दो। वो चलाएंगे तो मार्ग से नहीं भटकोगे। बीच-बीच में उपदेश देकर मार्गदर्शन भी करेंगे। अपनी लीलाओं से आनंद भी कराएंगे।
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बापू ने कहा कि सत्य की राह पर विघ्न आते हैं। प्रेम में बाधा आएगी। करुणा की राह में प्रहार होंगे। भक्ति में विघ्न आना स्वाभाविक है। अगर भक्ति और प्रेम अहेतु है तो विघ्न कुछ नहीं कर पाएंगे। प्रेम निःस्वार्थ हो। इसमें सौदा नहीं होना चाहिए। परमात्मा मिले न मिले, परमात्मा का नाम हर वक्त साथ रखो। साधक को नियम का बंधन और प्रेम की स्वतंत्रता होनी चाहिए। सदा हंसते-मुस्कुराते प्रसन्न रहो। मैं रामकथा के माध्यम से प्रसन्नता बांट रहा हूं। कथा में ‘भये प्रकट कृपाला दीनदयाला..’ गाते हुए राम जन्म उत्सव मनाया गया। शुक्रवार को कथा रमणरेती (गोकुल) में होगी। -सुमित सारस्वत, मो.9462737273
मथुरा में कथाकारों से करेंगे मुलाकात
बापू ने ब्रज के सभी कथाकारों से मुलाकात की इच्छा जाहिर की है। कथा में मन का भाव बताते हुए कहा कि मैं ब्रज के सभी कथाकारों का दर्शन करना चाहता हूं। उनसे मुलाकात कर उनके साथ तस्वीर लेना चाहता हूं। दर्शन मुलाकात के लिए 18 तारीख की शाम सभी कथाकारों को व्यासपीठ से आमंत्रित किया है।
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