✍🏻सुमित सारस्वत
पौराणिक मान्यता के मुताबिक, दीपावली महापर्व के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है. कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत की शरण में देवराज इंद्र के अभिमान को समाप्त किया और गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) की परंपरा शुरू की. तभी से लोग हर साल गोवर्धन पूजा कर रहे हैं. इस पूजा के दिन भगवान श्री कृष्ण (Lord Krishna) और गोवर्धन जी को अन्नकूट बनाकर भोग लगाते हैं.
भगवान श्री राम (Lord Ram) के वनवास से अवध (Ayodhya) लौटने की खुशी में मनाए जाने वाले दीपावली महापर्व (Diwali Festival) के दूसरे दिन ही गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है ? और कब से की जा रही है ? इसकी कहीं कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है.
क्या है अन्नकूट ?
मान्यता के मुताबिक, गोवर्धन पूजा के शुभ अवसर पर लोग 56 या 108 प्रकार के पकवान बनाकर श्रीकृष्ण को भोग स्वरूप अर्पित करते हैं, इन्हीं पकवानों को 'अन्नकूट' कहा जाता है. इसके बिना गोवर्धन पूजा अधूरी मानी जाती है. अन्नकूट में कई तरह की सब्जियां, कढ़ी, चावल, खीर, पूड़ी, मिठाईयां, रबड़ी, पेड़े, मक्खन, मिश्री आदि तरह-तरह की चीजें बनाते हैं.
अब आनंद के लिए अन्नकूट !
गोवर्धन पूजा के साथ शुरू हुई अन्नकूट परंपरा में वक्त के साथ बदलाव आ गया है. अब लोग आनंद के लिए अन्नकूट का आयोजन करने लगे हैं. अलग-अलग धर्मस्थलों पर कई-कई दिन तक सहूलियत के अनुसार अन्नकूट आयोजन होने लगे हैं. इतना ही नहीं, जिन धर्मस्थलों में ठाकुरजी विराजमान नहीं हैं, उन देवी-देवताओं के धर्मस्थलों पर भी लोग यह आयोजन कर रहे हैं. कई-कई जगह पर तो बाकायदा पंगत लगाकर भोजन होने लगा है.
प्रसाद पाने पहुंचे लोग हुए निराश
बदलते वक्त के साथ अब कुछ धर्मस्थलों पर अन्नकूट के नाम पर व्यापार होने लगा है. ट्रस्टी और सेवादार इस प्रसाद को भी बेचने लगे हैं. बाकायदा इसके लिए रसीद कटवाने का दबाव बनाया जाता है. वहीं कई जगहों पर पंगत में बैठकर प्रसाद खिलाने के लिए रुपए लिए जाते हैं. धर्मस्थलाें पर होने वाले इस कृत्य से आस्थावान लोगों में आक्रोश और निराशा नजर आई. एक बड़े धर्मस्थल पर अन्नकूट प्रसाद (Annakut Prasad) पाने पहुंचे लोगों को ट्रस्ट अध्यक्ष ने रसीद कटवाने का दबाव बनाया. इस बात पर लोगों ने नाराजगी व्यक्त करते हुए अध्यक्ष को खरी-खोटी भी सुनाई.
लोगों को भी बदलनी होगी धारणा
धार्मिक स्थलों पर होने वाले अन्नकूट आयोजन में पहुंचने वाले लोगों को भी अपनी धारणा बदलनी होगी. इस प्रसाद को पाने के लिए कई लोग अपने साथ बड़े-बड़े टिफिन लेकर पहुंच जाते हैं. कई लोग तो इतनी अधिक मात्रा में अन्नकूट ले जाते हैं कि उनके घर में एक वक्त भोजन का जुगाड़ हो जाता है. लोगों को यह सोच बदलनी हाेगी. प्रसाद को प्रसाद की तरह पाएंगे तभी प्रसाद की सार्थकर्ता सिद्ध होगी. ©सुमित सारस्वत
November 16, 2024
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» प्रसाद चाहिए तो पहले रसीद कटवाइए, जानें कहां बिकने लगा अन्नकूट ? - Annakut Prasad on Govardhan Puja
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