✍🏻 सुमित सारस्वत
श्री सीमेंट कंपनी एक बार फिर विवादों में है. इस बार कंपनी पर किसानों के घर तोड़ने का गंभीर आराेप लगा है. मुआवजा नहीं मिलने पर एक किसान ने कंपनी के प्रवेश द्वार पर आत्मदाह का प्रयास किया. बड़ी संख्या में मौके पर मौजूद लाेगों ने श्री सीमेंट (Shree Cement) कंपनी पर तानाशाही करने का आरोप लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया.
किसान विद्याधर ने दो दिन पहले इच्छा मृत्यु के लिए एसडीएम और कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भी दिया था. इत्तला मिलने पर पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा (Rajendra Gudha) भी मौके पर पहुंचे और कंपनी की मनमानी के खिलाफ गेट पर चढ़ गए. गुढ़ा ने किसान का समर्थन करते हुए जमीन का मुआवजा मांगा. मामला झुंझुनूं (Jhunjhunu) के नवलगढ़ (Nawalgarh) का है.
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प्रदर्शन के दौरान पूर्व मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने कंपनी प्रबंधन पर कई गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने आरोप लगाया कि श्री सीमेंट कंपनी ने नियमों को ताक में रखकर नवलगढ़ में प्लांट लगाया है. कंपनी के पास पॉल्यूशन की एनओसी नहीं है. बिना बाउंड्री के माइनिंग और ब्लास्टिंग कर रहे हैं. ब्लास्टिंग से कोई भी हादसा हो सकता है, कोई मर सकता है. गुढ़ा ने दावा किया कि उनके पास कंपनी की 50 कमियां हैं. प्रशासन चोरों की रखवाली कर रहा है. किसान परिवार को न्याय नहीं मिल रहा है और प्रशासनिक अधिकारी कंपनी की पैरवी कर रहे हैं.
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प्रदर्शन के दौरान मौके पर मौजूद एक ग्रामीण ने बताया कि करीब एक महीने पहले श्री सीमेंट कंपनी प्रबंधन ने किसान का घर ताेड़कर उसे बेघर कर दिया. किसान के बच्चे छोटे हैं और वाइफ प्रेगनेंट है. एक अन्य ग्रामीण ने आरोप लगाया कि कंपनी ने बीते 2-3 साल में कई किसानों के घर तोड़ दिए. खेत उजाड़ दिए. अभी उनके पास रहने को छत नहीं है. न कंपनी सुनवाई कर रही है और न ही प्रशासन ने सुध ली है. कंपनी ने इलाके का पर्यावरण संतुलन बिगाड़ दिया है. किसानों (Farmers) की मांग है कि उन्हें जमीन का उचित मुआवजा मिलना चाहिए. साथ ही बेघर हुए परिवार के किसी एक सदस्य को कंपनी में रोजगार दिया जाए.
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इस मामले में कंपनी के यूनिट हैड एचसी गुप्ता ने मीडिया को बताया कि प्रभावित किसानों को 26 लाख रुपए प्रति बीघा का मुआवजा निर्धारित किया गया, वह देने को तैयार हैं. आश्वासन के बाद किसानों ने कंपनी को सात दिन का अल्टीमेटम और चेतावनी दी है कि यदि मांग पूरी नहीं हुई तो उग्र आंदोलन करेंगे. अब देखना रोचक होगा कि उत्तर भारत की बड़ी कंपनी किसान के आगे झुकेगी या फिर आंदोलन (Farmers Protest) उग्र होगा. ©सुमित सारस्वत
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