✍ सुमित सारस्वत
Urs in Ajmer Sharif Dargah: राजस्थान (Rajasthan) की धार्मिक नगरी अजमेर (Ajmer) में स्थित विश्व प्रसिद्ध गरीब नवाज हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती (Khwaja Moinuddin Chishti) की दरगाह में 812वां उर्स शुरू हो गया है. सांप्रदायिक सौहार्द और विश्व शांति का संदेश देने वाला यह उर्स कौमी एकता की मिसाल है. यहां देशभर से हजारों जायरीन ख्वाजा की बारगाह में सजदा करने पहुंचे हैं. मजार पर चादर और अकीदत के फूल पेश कर दुआ कर रहे हैं. जल्द ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की चादर भी मजार शरीफ पर चढ़ाई जाएगी. 11 जनवरी को पीएम मोदी अपने कार्यालय में भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी (Jamal Siddiqui) को यह चादर सौंपकर दिल्ली से अजमेर के लिए रवाना करेंगे. सिद्दीकी अजमेर आकर मोदी की तरफ से चादर चढ़ाएंगे.
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इस साल पीएम मोदी की 10वीं चादर
इस्लाम धर्म का सम्मान करते हुए पीएम मोदी (PM Modi) हर साल अजमेर दरगाह शरीफ के लिए चादर भिजवाते हैं. इस साल दसवीं बार पीएम मोदी की चादर चढ़ाई जाएगी. पिछले साल मोदी ने भगवा रंग की चादर भिजवाई थी. सिद्दीकी ने ही चादर चढ़ाई थी. इनसे पहले आठ चादर पेश करने के लिए मोदी सरकार में पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी (Mukhtar Abbas Naqvi) आए थे.
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पीएम मोदी ने संदेश में कही थी यह बात
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल चादर के साथ संदेश भी भिजवाया था. संदेश में कहा, "ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के उर्स के अवसर पर विश्वभर में उनके अनुयायियों को बधाई एवं शुभकामनाएं. दुनिया को प्रेम, सौहार्द और बंधुत्व का संदेश देने वाले महान सूफी संत के वार्षिक उर्स पर दरगाह अजमेर शरीफ पर चादर भेजते हुए मैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. भारत में विभिन्न पंथों, मान्यताओं और आस्थाओं का सद्भावपूर्ण सह-अस्तित्व हमारे देश की समृद्ध विरासत है. हमारे देश में संतों, पीरों व फकीरों ने शांति, एकता और सद्भावना के पैगाम के जरिए राष्ट्र के सांस्कृतिक ताने-बाने को सदैव मजबूती प्रदान की है."
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ख्वाजा हैं आध्यात्मिक परंपराओं के प्रतीक
पीएम मोदी ने कहा, "ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भारत की महान आध्यात्मिक परंपराओं के प्रतीक हैं. गरीब नवाज द्वारा की गई मानवता की सेवा निरंतर पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी. अनेकता में एकता हमारे देश की खूबसूरती है और सालाना उर्स विभिन्न मान्यता एवं आस्था के लोगों द्वारा इसी भावना को संजोते और सहेजते हुए, इसका उत्सव मनाने का अवसर है. आजादी के अमृत कालखंड में देश सामूहिक सामर्थ्य के जरिए प्रगति की नई ऊंचाइयों को छूने के लिए आगे कदम बढ़ा रहा है. मुझे विश्वास है कि सामूहिक सामर्थ्य के जरिए देश प्रगति की नई ऊंचाइयों को छुएगा. ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के उर्स पर मैं दरगाह अजमेर शरीफ से देश की खुशहाली और समृद्धि की कामना करता हूं." ©सुमित सारस्वत
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