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July 31, 2025

सरकार, कब करोगे अमृतकाैर का उपचार ?, क्या डॉक्टरों-मरीजों की मौत का है इंतजार ! - Amritkaur Hospital Building Damaged

✍🏻 सुमित सारस्वत
राजस्थान में ब्यावर जिले के सबसे बड़े राजकीय अमृतकाैर अस्पताल (Amrit Kaur Hospital) की जर्जर बिल्डिंग की मरम्मत करवाने के लिए शासन-प्रशासन शायद डॉक्टरों और मरीजों की मौत का इंतजार कर रहा है. झालावाड़ स्कूल हादसे (Jhalawar School Accident) के बाद जिला अस्पताल में ऐसी ही चर्चा सुनने को मिली. दरअसल, वर्ष 1955 में स्थापित अमृतकौर अस्पताल का 70 साल पुराना भवन मौजूदा वक्त में खुद बीमार है. बीते कई साल से अस्पताल भवन के कई हिस्से बल्लियों के सहारे टिके हैं. यहां कार्यरत चिकित्सक, नर्सिंगकर्मी और आने वाले मरीज भय के साये में रहते हैं.

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एकेएच में चिकित्सा अधिकारी रहे डॉ. प्रदीप जैन ने चिंता जताते हुए बताया कि पूरे प्रदेश में सरकारी स्कूलों के जर्जर भवनों की चर्चा हो रही है लेकिन जर्जर सरकारी अस्पतालों की चर्चा कोई नहीं कर रहा. जितने जरूरी स्कूल हैं उतने ही जरूरी अस्पताल भी हैं. ब्यावर (Beawar) का सरकारी अस्पताल भवन बरसों से जर्जर और अब बल्लियों के सहारे है. यहां कई मंत्री-सांसद आए, सरकारी अधिकारी आए, सभी ने पुराना जर्जर भवन देखा, नए भवन के वादे किए...लेकिन भूल गए. सिस्टम की सुस्ती देखिए कि सरकार बदल गई लेकिन अस्पताल के हालात नहीं बदले. डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ इमरजेंसी सेवाओं में शामिल है इसलिए अस्पताल आना जरूरी है. अस्पताल की दहलीज पर कदम रखते ही दिल दहलता है लेकिन सरकारी नौकरी होने से चुप रहते हैं. कर्मचारियों का मानना है कि सरकार को समस्या बताना मतलब मुसीबत बोल लेना है. या तो कर्मचारी का ट्रांसफर कर देंगे, या किसी बहाने काम में लापरवाही का नोटिस थमा देंगे.

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गौरतलब है कि राजकीय अमृतकौर चिकित्सालय का बरसों पुराना भवन जर्जर हो गया है. सुरक्षा के मद्देनजर कई वार्ड बंद कर दिए हैं. नवीन भवन के लिए पूर्व की कांग्रेस सरकार ने स्वीकृति दी थी लेकिन बजट के अभाव में अब तक न तो पुराने भवन की मरम्मत हुई और न ही नया भवन बना. कांग्रेस शासन में मुख्य सचिव रहे निरंजन आर्य, तत्कालीन सांसद और वर्तमान में ब्यावर जिला प्रभारी व उपमुख्यमंत्री दिया कुमारी (Diya Kumari) समेत कई मंत्री यहां दौरा कर गए और अस्पताल की जर्जर हालत पर चिंता जता गए लेकिन सुधार के लिए किसी ने कोई प्रयास नहीं किए.

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अब सरकारी स्कूलों में होने वाले हादसों को देखकर चिकित्सालय में चारों तरफ यही चर्चा है कि सरकार और जिला प्रशासन शायद अस्पताल में भी किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है. यदि मौत के बाद मुआवजा देने की बजाय सरकार (Government) जिंदगियां बचाने की चिंता करे तो शायद कहीं कोई हादसा न हो. उम्मीद है कि सरकार इस सरकारी अस्पताल की जल्द ही सुध लेकर चिकित्साकर्मियों और मरीजों को बड़ी राहत प्रदान करेगी. 
©सुमित सारस्वत

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